नई दिल्ली: विभिन्न जिलों को निर्यात केन्द्रों (हब) में तब्दील करने संबंधी माननीय प्रधानमंत्री के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने अब निर्यात वस्तुओं के जिला-वार आंकड़ों या मूल स्थान को दर्ज अथवा एकत्रित करना शुरू कर दिया है। इस आइडिया का उल्लेख हाल ही में माननीय वित्त मंत्री ने भी अपने बजट भाषण में किया था। निर्यात घोषणाओं से प्राप्त होने वाली इस अतिरिक्त सूचना से निर्यात के लिए प्रत्येक जिले के विशेष महत्व पर नीति-निर्माताओं को एक महत्वपूर्ण सांख्यिकीय जानकारी मिलेगी। यही नहीं, इससे स्थानीय क्षमता बढ़ाने के लिए संबंधित नीतियों में सामंजस्य स्थापित करने में भी मदद मिलेगी।
इसके अलावा, भारत के मुक्त एवं तरजीही व्यापार समझौतों (एफटीए/पीटीए) से लाभ उठाने के लिए निर्यात घोषणाओं में अब उन वस्तुओं के निर्यातकों द्वारा की गई घोषणाओं को भी दर्ज किया जाएगा जिनका निर्यात साझेदार देशों को किया जा रहा है। इससे एफटीए/पीटीए के तहत भारतीय निर्यातकों को हो रहे फायदों से संबंधित महत्वपूर्ण आंकड़े प्राप्त होंगे। इतना ही नहीं, इससे सरकार को राष्ट्र के हितों को ध्यान में रखते हुए भारत की विदेश व्यापार नीति को सुव्यवस्थित करने में मदद मिलेगी।
इसके अलावा, सीबीआईसी ने अब यह अनिवार्य कर दिया है कि प्रत्येक जीएसटी पंजीकृत आयातक एवं निर्यातक को आयात तथा निर्यात संबंधी घोषणाओं के संदर्भ में अपने जीएसटीआईएन को निश्चित तौर पर घोषित करना पड़ेगा। इससे न केवल करदाताओं को आईटीसी क्रेडिट और आईजीएसटी रिफंड का दावा करने में मदद मिलेगी, बल्कि इससे धोखाधड़ियों से निपटने में भी आसानी होगी।
सीबीआईसी की उपर्युक्त पहलों से नीति-निर्माताओं को आंकड़ों पर आधारित निर्णय लेने में मदद मिलेगी।