नई दिल्ली: केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीएसआईआर), लखनऊ ने तुलसी पौधे के जेनोम सीक्वेंस में सफलता प्राप्त की। तुलसी को ‘विष्णुप्रिया’ के रूप में पूजा जाता है। हिन्दू संस्कृति की यह परंपरा तीन हजार वर्षों से पुरानी है। इस कामयाबी के साथ ही तुलसी के औषधीय गुणों को समझने में आसानी होगी। उल्लेखनीय है कि तुलसी को प्राकृतिक औषधियों की जननी माना जाता है। इसे हर रूप में आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध इत्यादि औषधीय परंपराओं में उपयोग किया जाता रहा है। यह श्वासनली की सूजन, दमा, मलेरिया, डायरिया, चर्म रोग, गठिया, आंखों के रोगों, बुखार इत्यादि के लिए रामबाण है। इसे कैंसररोधी, मधुमेहरोधी, दर्द निवारक इत्यादि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। इसके संबंध में अधिक जानकारी के लिए डॉ. अजित कुमार शासने (मोबाइल नम्बर 09415027245) से संपर्क किया जा सकता है।