नई दिल्ली: केन्द्रीय जल मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने हरियाणा में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के विभिन्न पहलुओं पर मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर के साथ आजवीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा की। जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल एवं स्वच्छता विभागद्वारा यह कार्य पिछले 3 महीनों से राज्यों / संघ शासित प्रदेशों के साथ सलाह-मशविरा करके किए जा रहे बहुत बड़े प्रयोग को आगे बढ़ाते हुए किया जा रहा है, जिसमें राज्यों में जल आपूर्ति योजनाओं की स्थिति का विश्लेषण किया गया था ताकि गांवों में घरों में नल कनेक्शन प्रदान किए जा सकें। भारत सरकार राज्यों की भागीदारी के साथ देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन (एफएचटीसी) सुनिश्चित करने के लिए प्रमुख कार्यक्रम ‘जल जीवन मिशन’ लागू कर रही है, जिसमें किफायती सेवा वितरण शुल्क पर नियमित और दीर्घकालिक आधार पर निर्धारित मात्रा में पर्याप्त मात्रा में पीने का पानी प्रदान करने की व्यवस्था है जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार होगा। सरकार का प्रयास है कि मौजूदा कोविड-19 स्थिति के दौरान प्राथमिकता के आधार पर ग्रामीण घरों में नल कनेक्शन प्रदान किया जाए, ताकि ग्रामीण लोगों को सार्वजनिक नलोंसे पानी लाने में कठिनाई का सामना नहीं करना पड़े।
मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि राज्य के सभी घरों में 2022 तक नल कनेक्शन प्रदान किए जाएंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में सभी ढाणियों / बस्तियों को पाइपलाइन के जरिये जलापूर्ति की जाएगी, ताकि गरीब और हाशिए पर रहने वाले लोगों को घर के परिसर में नल कनेक्शन मिल सकें। हरियाणा 2024 के राष्ट्रीय लक्ष्य से पहले 2022 तक 100 प्रतिशत कवरेज की योजना बना रहा है। ऐसा करने से, हरियाणाहर ग्रामीण घर में नल कनेक्शन प्रदान करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने वाले अग्रणी राज्यों में से एक होगा।
हरियाणा राज्य में 28.94 लाख ग्रामीण परिवारों में से, 18.83 लाख (59.36 प्रतिशत) परिवारों को पहले ही एफएचटीसीप्रदान किया जा चुका है। शेष 10.11 लाख घरों में से, हरियाणा की 2020-21 के दौरान 7 लाख घरों में नल कनेक्शन देने की योजना है। चालू वर्ष के दौरान, राज्य कुल 6,987 गांवों में से 1 जिले और 2,898 गाँवों को 100 प्रतिशत कवरेज की योजना बना रहा है।
2020-21 में, 289 करोड़ केन्द्रीय निधि उपलब्ध है और राज्य के हिस्से सहित जल जीवन मिशन के लिए 760 करोड़ की उपलब्धता सुनिश्चित है। राज्य भौतिक और वित्तीय प्रदर्शन के आधार पर अतिरिक्त आवंटन का पात्र है। इसके अलावा, हरियाणा को पीआरआईको 15वें वित्त आयोग के अनुदान के तहत 1,264 करोड़ आवंटित किए गए हैं और इसका 50 प्रतिशत पानी की आपूर्ति और स्वच्छता के लिए उपयोग किया जाना है। केन्द्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि वे इस धनराशि का ग्रामीण जल आपूर्ति, ग्रे-वाटर प्रबंधन और सबसे महत्वपूर्ण जल आपूर्ति योजनाओं के लंबी अवधि के संचालन और रखरखाव के लिए उपयोग करें।
केन्द्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री से ग्राम पंचायत की एक उप-समिति के रूप में ग्रामीण जल और स्वच्छता समिति / पानी समितियों का गठन करने का आग्रह किया जिसमें कम से कम 50 प्रतिशत महिलाएं होंगी जो गाँव की जल आपूर्ति प्रणाली की योजना, डिजाइन तैयार करने, कार्यान्वयन, संचालन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार होंगी। इस बात पर भी बल दिया गया कि सभी गाँवों को ग्राम कार्य योजना (वीएपी) तैयार करनी होगी जिसमें अनिवार्य रूप से पेयजल स्रोतों, जल आपूर्ति प्रणालियों, ग्रे-वाटर के दोबारा इस्तेमाल और संचालन और रखरखाव घटक का विकास / संवर्द्धन शामिल होंगे।
पांच-तालाब प्रणाली के रूप में लोकप्रिय कचरा स्थिरीकरण तालाबों के माध्यम से ग्रे जल प्रबंधन में हरियाणा की पहल की सराहना करते हुए, केन्द्रीय मंत्री ने आग्रह किया कि हर गांव के घरेलू गंदे जल और घरेलू कचरे के प्रबंधन के लिए समान दृष्टिकोण अपनाया जाए, ताकि राज्य इस तरह के ‘स्वच्छ गाँव’ का निर्माण कर एक रोल मॉडल के रूप में उभरे।
मुख्यमंत्री द्वारा शुरू किया गया पीएचईडीका डैशबोर्ड एक गतिशील मंच है, जिसमें वास्तविक समय के आधार पर गांवों, नल कनेक्शन, वित्तीय प्रगति आदि का विवरण देखा जा सकता है। यह पारदर्शिता लाने और जवाबदेही सुनिश्चित करने का एक अच्छा उदाहरण है।
कोविड-19 महामारी की स्थिति के दौरान, ग्रामीण इलाकों में घरेलू नल कनेक्शन प्रदान करने के प्रयासों से निश्चित रूप से महिलाओं और लड़कियों के कठोर परिश्रम को कम करके उनके जीवन में सुधार होगा।