नई दिल्ली: केंद्र राज्य संबंध को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में बड़ी पहल करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यों को जबरदस्त तोहफा दिया है। सरकार ने केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 10 पर्सेंट बढ़ाकर 42 पर्सेंट करने की 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों को पूरी तरह से स्वीकार कर लिया है। अभी तक केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 32 पर्सेंट थी। मंगलवार को सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लिखे लेटर में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘संसाधनों की न तो कमी है और न ही इसकी कमी होने दी जाएगी। समस्या नीतियों की दिशा और उसे लागू करने की हमारी मंशा को लेकर है।’
राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने ‘सहयोगात्मक संघवाद’ के प्रति केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता जाहिर की है। राज्यों से सभी केंद्रीय योजनाओं का नए सिरे से जायजा लेने की अपील करते हुए उन्होंने कहा, ‘देश के लोगों को अपनी सरकारों से बहुत अधिक उम्मीदें हैं और वे अधिक समय तक इंतजार नहीं करना चाहते। हम इस बात को समझते हैं कि इस एक गतिशील संघीय शासन के मॉडल की मदद से इस दिशा में तेजी से आगे कदम बढ़ाते हुए उद्देश्यों को पूरा किया जा सकता है।’
मोदी ने कहा कि अगर राज्यों को लगता है कि कोई योजना उनकी जरूरतों के मुताबिक नहीं है तो वे उससे खत्म करने के लिए पूरी तरह से आजाद हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार वित्त आयोग की सिफारिशों से आगे बढ़ चुकी है। राज्यों को दी जाने वाली मिनरल रॉयल्टी की समीक्षा का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा, ‘बहुत अधिक हद तक विकेंद्रीकरण की दिशा में फैसला करने के बाद हमने गरीबी उन्मूलन, मनरेगा, शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, कृषि समेत अन्य कुछ राष्ट्र हित से जुड़े मुद्दों पर इसी भावना के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया है।’
संसद में रखी गई और सरकार की ओर से मंजूर की गई वित्त आयोग की रिपोर्ट में कहा गया, ‘हमारे आकलन के अनुसार, सकल राजस्व प्राप्तियों में राज्यों को मिलने वाली ग्रांट्स और टैक्स हिस्सेदारी के 2014-15 में 47.5% से बढ़कर 2019-20 में 49.4% होने की संभावना है। लिहाजा बंटवारे वाली रकम के पर्सेंटेज के रूप में इक्विवैलेंट शेयर 61.3% से बढ़कर 63.9% हो जाएगा।’
आयोग ने रेवेन्यू की तंगी वाले राज्यों के लिए अतिरिक्त प्रावधान भी किए। हालांकि इस अतिरिक्त रकम के मिलने के साथ राज्यों की योजनाओं में केंद्रीय सपोर्ट खत्म हो जाएगा। राज्य सरकारों ने आयोग की सिफारिशें स्वीकार किए जाने का स्वागत किया। हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा, ‘राज्यों का शेयर काफी ज्यादा बढ़ाने का निर्णय अच्छा है। राज्य इस रकम का उपयोग अपनी जरूरतों के मुताबिक कर सकेंगे।’
वित्त आयोग के चार सदस्यों में से एक अभिजीत सेन ने हालांकि सुझाव दिया है कि राज्यों को केंद्रीय करों में से मिलने वाले हिस्से को 38% पर ही रखना चाहिए।