देहरादून: मुख्य सचिव एस.रामास्वामी की अध्यक्षता में उनके कक्ष में केन्द्र द्वारा उत्तराखण्ड के लिए स्वीकृत बायडाइवर्सिटी फाईनेन्स इनिशियेटिव प्रोजेक्ट की परामर्शी बैठक समपन्न हुई। बैठक में उत्तराखण्ड जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष डाॅ.राकेश शाह, वाईल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट के निदेशक डाॅ.वी.बी.माथुर, सदस्य सचिव राज्य जैव विविधता बोर्ड एस.एस.रसायली, अपर सचिव वन मीनाक्षी जोशी, उप निदेशक बोर्ड धनन्जय प्रसाद उपस्थित थे।
भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा उक्त प्रोजेक्ट के लिए उत्तराखण्ड राज्य के साथ महाराष्ट्र का चयन किया गया है, तथा बायडाइवर्सिटी फाईनेन्स इनिशियेटिव प्रोजेक्ट हेतु बायडाइवर्सिटी रणनीति एवं कार्ययोजना बनाने के लिए वाईल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट इंडिया को चुना गया है।
मुख्य सचिव श्री रामास्वामी ने प्रोजेक्ट के लिए उत्तराखण्ड राज्य के चयन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए वाईल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट के निदेशक डाॅ.वी.बी.माथुर को परियोजना की रणनीति एवं कार्ययोजना तैयार करने हेतु हर संभव सहयोग देने का आश्वासन दिया। उनका मानना था कि जैव विविधता को लेकर अनेक विभाग कार्य कर रहे है। जिनमें समन्वय की आवश्यकता है। निदेशक डाॅ.माथुर ने अवगत कराया कि वर्तमान में लगभग 19 विभागों में 291 जैव विविधता से जुड़ी योजनाएं चल रही है। उनका कहना था, कि इन सब योजनाओं को लेकर धन की वांछित मांग का आंकलन किया गया है। जो वर्तमान में योजनाओं में आवंटित धन से अधिक है, इस धनराशि के अन्तर को भारत सरकार के माध्यम से बायडाइवर्सिटी फाईनेन्स इनिशियेटिव प्रोजेक्ट के माध्यम से हासिल किया जायेगा, ताकि जैव विविधता के अंतर्गत संचालित योजनाओं की शत-प्रतिशत लक्ष्य को हासिल किया जा सकें।
इससे पूर्व मुख्य सचिव की अध्यक्षता में भारत सरकार के जैव विविधता अधिनियम 2002 की धारा 63(1) में राज्य सरकार को प्राप्त शक्तियों के अधीन उत्तराखण्ड जैव विविधता बोर्ड नियमावली को लेकर चर्चा हुई।