देहरादून: मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह की अध्यक्षता में सचिवालय में भागीरथी इको-सेंसिटिव जोन माॅनिटरिंग कमेटी की बैठक हुई। बैठक में विभिन्न विभागों द्वारा तैयार किये गये जोनल मास्टर प्लान का प्रस्तुतीकरण किया गया। विभागों ने अपनी गतिविधियों को नोटिफिकेशन के अनुसार तीन श्रेणियों-प्रतिबद्ध(प्रोहिबिटे ड) विनियमित(रेगुलेटेड) और अनुज्ञात(परमिटेड) में बांटा था।
वन विभाग ने पूरे जोन में पड़ने वाले 4105,91 वर्ग किमी वन क्षेत्र को संरक्षित रखने की योजना प्रस्तुत की। वनों के विभिन्न प्रकार, वन्य जीव प्रजातियां, जल स्रोतों का विवरण और प्राकृतिक विरासत स्थलों के संरक्षण का मास्टर प्लान प्रस्तुत किया गया। बुग्याल, ताल, धार्मिक पर्यटक स्थल, साहसिक ट्रेनिंग मार्ग, पर्वतारोहण स्थल, पर्वत चोटियां, स्थानीय लोगों के हक हकूक, आरा मशीन, आवासीय भवन निर्माण आदि को प्रतिबंधित, नियंत्रित और परमिटेड की श्रेणी में अलग-अलग रखा गया है। पर्यटन विभाग ने 2010 से 2014 तक क्षेत्र में आने वाले देशी-विदेशी पर्यटको को आंकडा प्रस्तुत किया। वर्ष 2014 में 1,32,683 देशी और 418 विदेशी पर्यटक आए। पर्यटको की सुविधा के लिए टूरिस्ट रेस्ट हाउस, शौचालय, पार्किंग आदि मूलभूत सुविधाओं का प्रस्तुतीकरण किया गया। यह भी बताया गया कि पर्यटन व्यवसाय स्थानीय लोगों के रोजगार से जुड़ा है।
उत्तराखण्ड जल विद्युत निगत ने लघु जल विद्युत परियोजनाओं का प्रस्तुतीकरण किया। बताया गया कि असीगंगा जल विद्युत परियोजना का 70 प्रतिशत कार्य हो चुका था। आपदा में सब कुछ तबाह हो गया। इसके पुनर्निर्माण की जरूरत है। निगम ने अधिसूचना के मानकों को पूरा करते हुए 2 मेगावाट तक की लघु जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण का संकलप दोहराया। बताया कि अस्थायी पैदल मार्ग बनाये जायेंगे। किसी का विस्थापन नही होगा, किसी के अधिकार का हनन नही होगा, स्थानीय लोगों के रोजगार को प्राथमिकता दी जायेगी। पारिस्थितिकी और पर्यावरण विशेषज्ञों की सेवाएं ली जायेगी। स्वारीगाड, पिलंगाड, लिम्चागाड लघु जल विद्युत परियोजनाओं का प्रस्तुतीकरण किया गया। प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना में 5 किमी से अधिक की सड़क पर तारकोल न करने और 20 डिग्री से अधिक के ढलान पर मार्ग निर्माण न करने के प्रतिबंध में छूट प्रदान करने की बात कही गई। इस समय 500 से अधिक आबादी वाले गांवों को जोड़ने का कार्य किया जा रहा है। बताया गया है कि इस प्रतिबंध के चलते यह संभव नहीं हो पायेगा। कृषि विभाग ने भूमि कटाव को रोकने, रासायनिक उर्वंरकों का उपयोग न करने, जैविक और पारम्परिक खेती को बढ़ावा देने की बात कही। सिंचाई विभाग ने मनेरी भाली-एक(90 मेगावाट), मनेरीभाली-दो(120 मेगावाट) के आपरेशन और मेंटिनंेस की अनुमति मांगी। राजस्व विभाग ने कृषि भूमि को अकृषि भूमि में परिवर्तित करने का अधिकार जमींदारी उन्मूलन अधिनियम की धारा 143 के तहत जिलाधिकारि में ही निहित रहने के लिए कहा। मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि माॅनिटरिंग कमेटी की बैठक फिर 15 दिन बाद बुलाई जाय। इस बैठक में सभी संबंधित विभाग न्यायसंगत प्रस्ताव रखेंगे, जिसके अंतर्गत अधिसूचना के अव्यवहारिक बिन्दुओं में संशोधन की सिफारिश की जा सकें।