देहरादून: राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड उत्तराखण्ड में दुग्ध विकास में तकनीकी सहयोग देगा। राज्य के दूध को बाजार उपलब्ध करवाने के लिए आंचल डेयरी की मदर डेयरी के साथ को-ब्राण्डिंग की जाएगी। राज्य में उत्पादित सब्जियों व दालों को मार्केट उपलब्ध करवाने में भी एनडीडीबी सहायता करेगा।
‘हिमालयन दाल’ को ब्राण्ड बनाया जाएगा। बुधवार को बीजापुर में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के चैयरमैन टी.नंदा कुमार ने मुख्यमंत्री हरीश रावत से भेंट की। उत्तराखण्ड में दुध व दुग्ध पदार्थों के उत्पादन को बढ़ाने, क्वलिटी सुधारने व मार्केट उपलब्ध करवाने के संबंध में विस्तार से विचार विमर्श हुआ।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने पशुपालन विभाग को निर्देश दिए कि डेयरी से संबंधित पशुओं का शतप्रतिशत टीकाकरण अनिवार्य किया जाए। इसमें 50 प्रतिशत धनराशि भारत सरकार द्वारा दी जाती है। शेष 50 प्रतिशत राशि राज्य सरकार पशुपालकों को टीकाकरण के लिए देगी। पशुओं की ‘इयर टेगिंग’ को भी बढ़ावा दिया जाए। तय किया गया कि आंचल डेयरी के साथ मदर डेयरी की को-ब्रांडिंग की जाएगी। रूद्रपुर व कालसी में एक-एक प्लांट स्थापित किए जाएंगे। इसकी डिजाईन एनडीडीबी द्वारा बनाई जाएगी। मदर डेयरी की ओर से क्वालिटी सुनिश्चित करने के लिए दोनों प्लांटों में एक-एक सुपरवाईजर नियुक्त किए जाएंगे। दूध की पैकेजिंग में भी एनडीडीबी का सहयोग लिया जाएगा।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए राज्य सरकार का विशेष फोकस दुग्ध क्षेत्र पर है। हरेला के तहत जिस पैमाने पर चारा प्रजाति के पेड़ लगाए गए हैं, उससे पूरा विश्वास है कि अगले तीन वर्षों में उत्तराखण्ड चारा सरप्लस राज्य हो जाएगा। गंगा गाय योजना में प्रत्येक जिले में 500-500 गायें दुग्ध सहकारी संघों से जुड़े लोगों विशेषकर महिलाओं को देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। प्रति लीटर दूध 4 रूपए की प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है। इसके बाद से 4 जिलों में डेयरी कापरेटिव संघ लाभ में आ चुके हैं। चार-पांच गांवों के क्लस्टर बनाकर चीज मेकिंग मशीन उपलब्घ करवाने की योजना पर काम कर रहे हैं। राज्य के अधिकांश जिले पूरी तरह से आर्गेनिक हैं। यहां डेयरी विकास की मुख्य समस्या यह है कि कलेक्शन केंद्रों के बीच दूरी अधिक है।
बैठक में राज्य में उत्पादित आर्गेनिक सब्जियों व दालों के विपणन में सहयोग किए जाने पर भी एनडीडीबी ने सहमति व्यक्त की। श्री कुमार ने कहा कि यदि सही तरीके से माकेर्टिंग की जाए तो ‘हिमालयन दाल’ को एक ब्रांड के तौर पर बाजार में स्थापित किया जा सकता है। इससे उŸाराखण्ड के किसानों व काश्तकारों को दालों को अच्छा मूल्य मिल सकता है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि राज्य में आॅफ सीजन सब्जियों की भी काफी सम्भावनाएं है।