देहरादून: उत्तराखण्ड राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (से0नि0) राजेश टंडन ने विधान सभा सभा कक्ष में राज्य विधि आयोग के सम्बन्ध में प्रथम बैठक की।
बैठक में कहा गया कि ऐसे कानूनों की पहचान करना, जिनकी दीर्घ अवधि तक राज्य को आवश्यकता, उपयोगिता नहीं है अथवा ऐसे कानूनों को चिन्हित करना, जिसमें तत्काल राज्य हित में संशोधन किया जाना आवश्यक है, इसके सम्बन्ध में सरकार को अपनी संस्तुति उपलब्ध कराया जायेगा। राज्य विधि आयोग का यह प्रयास है कि राज्य में लागू विधियों जो अनुपयोगी हो गयी है उनके संदर्भ में राज्य सरकार को अपनी संस्तुति भेजा जायेगा। आयोग की बैठक पुनः दिनांक 4 जून, 2018 को निर्धारित की गई है।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि सभी विभाग सम्बन्धित अधिनियमों में होने वाले संशोधनां के प्रति राज्य विधि आयोग को अविलम्ब उपलब्ध करायें।
बैठक में विषेश कार्याधिकारी आर0 पी0 पन्त, अपर सचिव बी0 एस0 मनराल, निदेशक शहरी विकास राजेन्द्र सिंह, निदेशक संस्कृति बीना भट्ट, अपर सचिव कृषि राम विलास यादव इत्यादि अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद थे।