नई दिल्ली: हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में दैनिक जागरण द्वारा द्वारा हिंदी को समृद्ध और मजबूत बनाने की मुहिम ‘हिंदी हैं हम‘ के अंतर्गत आयोजित सानिध्य कार्यक्रम के सत्र ‘विज्ञापन की हिंदी’ में केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने लेखक एवं पत्रकार अनंत विजय से बातचीत में कहा कि जब वह विज्ञापन में शामिल हुए थे, तो वो अक्सर हिंदी बोलने के लिए कार्यालय की बैठकों के दौरान एक तमाशा हुआ करते थे , चूंकि कुछ ही द्विभाषी लोग थे। वे मुझे एक जमीनी व्यक्ति के रूप में समझते थे। मगर अब समय बदल गया है। मातृ भाषा एक हो सकती है, आज हिंदी मेरी मातृ भाषा है और अंग्रेजी मेरी कुशलता हैं .
हिंदी में इसके बारे में एक सहज आकर्षण है और इसे अन्य भाषाओं के शब्दों को बिना असुरक्षा के समायोजित करना चाहिए। “शब्द संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं। जोशी ने आगे कहा कि “मैं गोबर का अनुवाद नहीं कर सकता और मैं स्वीकार नहीं कर सकता कि मिट्टी टेराकोटा है। हिंदी भाषियों के लिए यह महत्वपूर्ण था कि वे उन लोगों का उपहास न उड़ाएं जो इसे बोलने के लिए संघर्ष करते हैं। “गलतियाँ होंगी, लेकिन वे अंततः सुधर जाएंगी । हिंदी को बेचारी के रूप में प्रस्तुत नहीं किया जाना चाहिए।
आगे उन्होंने कहा “विज्ञापन के लिए लिखना एक चुनौती है तुरंत मांग पर और भी मुश्किल होता है . विज्ञापन में बहुत ही कम शब्दों में आपको किसी वस्तु का महिमामंडल करना होता है जो काफी चुनौतीपूर्ण होता है”
भारतीय सेंसरबोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने आगे कहा है कि फिल्म उद्योग में सामग्री की प्रामाणिकता का अभाव है। किसानों की दुर्दशा पर बनी फिल्मों पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा ; हमारे देश में जब किसान का बेटा किसानों पर फिल्म नही बानायेगा तब तक किसानों का असली दर्द महसूस नही होगा.उन्होंने कहा कि फिल्म निर्माण को अधिक लोगों के लिए खोलकर ‘लोकतांत्रिक’ होना चाहिए।किसानों पर एक फैंसी-ड्रेस वाला व्यक्ति फिल्म बनाकर न्याय कभी नहीं कर पाएगा।
हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर दैनिक जागरण सानिध्य का में मुख्य अतिथि केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री भारत सरकार श्री नित्यानंद राय ने दैनिक जागरण के 75 वर्ष की प्रगतिशील यात्रा पर एक विशेष प्रदर्शनी उद्घाटन किया था.दिनभर चले विभिन्न सत्रों ‘हिंदी का भविष्य’, ‘रेडियो की हिंदी’, ‘गाँधी और हिंदी’ , ‘हिंदी, समाज और धर्म’ में वक्ताओं में प्रो.सुधीश पचौरी, अब्दुल बिस्मिल्लाह, राम बहादुर राय ,प्रो. आनंद कुमार ,जैनेद्र सिंह, सच्चिदानंद जोशी ,प्राचार्य रमा एवं आरजे दिव्या वक्ता शामिल हुए.