टिहरी: चंबा में बेशकीमती वनौषधि वाटिका देखभाल के अभाव में बदहाल स्थिति में पहुंच गई है. देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड को प्रकृति नेअपार धरोहर दी है.
इस धरोहर में यहां पाई जाने वाली दुर्लभ किस्म की जड़ी बूटियां भी शामिल हैं. लेकिन उचित देखभाल और इनका सही उपयोग नहीं होने केचलते हमारी ये धरोहर आज नष्ट होने की कगार पर है. जी हां टिहरी जिले के चंबा में भी शासन प्रशासन की अनदेखी के चलते वनौषधिवाटिका आज बदहाल हो चुकी है.
टिहरी जिले के चंबा में 1970 के दशक में वनौषधि वाटिका के लिए गुल्डी गांव के लोगों ने करीब 60 नाली भूमि दान दी थी. जिसमें भारतसरकार स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय आयुष विभाग द्वारा वनौषधि वाटिका का निर्माण किया गया था.
वनौषधि वाटिका में बेहतरीन किस्म का केसर, एलोवेरा, कोट, बांज, सोमय, सतावरी, रोजमेरी, कपूर, अर्जुन, रुद्राक्ष सहित करीब 250प्रजातियों की औषधियां और पेड़ पौंधे फूल लगाए गए थे. जिनका उपयोग शोध के लिए किया जाता था और स्थानीय लोगों को भी इसकेजरिए रोजगार से जोड़ा गया.
क्षेत्रीय हिमालयी वनस्पति अनुसंधान संस्थान का गनियाधोली रानीखेत द्वारा देखरेख का जिम्मा लिया गया और इसे संचालित कियागया. लेकिन बजट के अभाव में आज वनौषधि वाटिका दम तोड़ रही है और बदहाल अवस्था में हैं.
स्थानीय लोगों का मानना है कि वनौषधि वाटिका से चंबा सहित आसपास के कई लोगों को रोजगार मिल रहा था, लेकिन वर्षों से इसकीउपेक्षा के चलते आज लोगों से रोजगार भी छिन गया है. वनौषधि वाटिका के लिए दान में दी गई भूमि पर लोग अतिक्रमण कर रहे हैं.वर्तमान स्थिति में तो लोगों ने वनौषधि वाटिका को कूड़ेदान में तब्दील करना शुरू कर दिया है.
जहां एक तरफ जड़ी बूटियों को बचाने और संजोय रखने के लिए सरकार लाख दावे कर रही हो़ं, लेकिन वहीं दूसरी ओर चंबा वनौषधि वाटिकाकी बदहाल स्थिति आज सरकार के दावों की सच्चाई बयान कर रही है. ऐसे में जरूरत है तो समय रहते इस ओर ध्यान देने कि जिससे हमअपनी इन अमूल्य धरोहरों को समय रहते बचा सकें और इसका सदुपयोग कर सकें.
Kavinder Payal
Beuro Chief
E131 Nehru Colony Dehradun