लखनऊ: हिंदी-इंडिया का विशेष सम्मेलन –’श्री राम महापर्व’ में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय शामिल हुआ. उन्होंने कई मुद्दों पर अपने विचार रखे. चंपत राय ने कहा, ‘हिंदुस्तान बलिदानों का देश है. अपने सम्मान की रक्षा के लिए हमारी महिलाओं ने अपना बलिदान कर दिया. 1528 से लेकर आज तक जो हुआ, उसे कोई नहीं जानता. किसी उद्देश्य के लिए बलिदान दिया है तो उनकी आत्मा को शांति जरूर मिलेगी. सत्या अगर है, तो वो जीतेगा.’
विपक्ष को न्योता क्यों नहीं मिला? इस सवाल पर चंपत राय ने कहा कि राजनीतिक दलों की आलोचना को हम सुनते ही रहते हैं. देश को भी सुनना चाहिए. आपको मालूम होगा कि एक समय था जब कोर्ट में राम को काल्पनिक बता दिया था. अयोध्या और आस-पास के सार्वजानिक जीवन में रहने वाले लोगों को जरूर बुलाएंगे. शेष राजनीतिक दलों को इतना ही कहूंगा कि जितना शांत रहेंगे उतना अच्छा रहेगा. चुप रहेंगे तो शायद नाम आ जाएगा.
प्रधानमंत्री को बुलाने पर विपक्ष के विरोध पर चंपत राय ने कहा कि आत्मचिंतन करो. मैं प्रधानमंत्री को 1984 के राम आंदोलन से देख रहा हूं. अगर विपक्ष न बोले तो ही बेहतर है. उन्होंने कहा कि व्यक्ति धर्मनिरपेक्ष नहीं होता. व्यवस्था धर्म निरपेक्ष होती है. कानून धर्म निरपक्ष होता है. समाज और व्यक्ति अपने-अपने धर्म का पालन करेगा.
चंपत राय ने कहा, ‘रामलला के 5 साल के बालक स्वरूप का मंदिर तैयार किया जा रहा है. पत्थर की खड़ी मूर्ती बनाई जा रही है. तीन मूर्तिकार 3 अलग-अलग पत्थरों पर भगवान के चेहरा उकेर कर रहे हैं. प्राण प्रतिष्ठा मंदिर के गर्भगृह में होती है. यह संगमरमर का है. यह पूरी तरह से तैयार है. मंदिर के एक फ्लोर पर मार्बल लग रहा है. यह मंदिर 135 करोड़ लोगों का है. प्राण प्रतिष्ठा में सारे भारत का प्रतिनिधित्व होना चाहिए. प्राण प्रतिष्ठा में संतों का कार्यक्रम अधिक होगा. सारा देश यहां होगा. हिंदुस्तान के हर जिले का कोई न कोई महापुरुष यहां होगा. हर वर्ग का प्रतिनिधित्व यहां होना चाहिए.’