जिस पल का लंबे वक्त से इंतजार था वो लम्हा आ गया. चंद्रयान-2 लॉन्च हो गया है. इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) ने सफलतापूर्वक चंद्रयान-2 को पृथ्वी से चंद्रमा के लिए लॉन्च कर दिया है.
चंद्रयान-2 को करीब 44 मीटर लंबे, 640 टन वजनी जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लांच व्हीकल-मार्क III से किया गया है. इसी रॉकेट में 3.8 टन का चंद्रयान स्पेसक्राफ्ट है, रॉकेट को ‘बाहुबली’ उपनाम दिया गया है.
रॉकेट के पहले स्टेज में दो स्ट्रैप-ऑन बूस्टर्स, दूसरे स्टेज में दो विकास इंजन और तीसरे स्टेज में एक क्रायोजेनिक इंजन है. 603 करोड़ रुपये के चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान को पृथ्वी पार्किंग में 170 गुणा 40,400 किलोमीटर की कक्षा में रखेगा
इससे पहले इसरो ने रिहर्सल किया था, जो कि सफल रहा था. वैसे चंद्रयान-2 को 15 जुलाई को लॉन्च किया जाना था, लेकिन लॉन्चिंग से एक घंटे पहले ही इसे रोक लिया गया. इसके लॉन्च के 56 मिनट पहले व्हीकल में तकनीकी खामी पाई गई थी, जिसके बाद एहतियात के तौर पर इसके लॉन्च को रद्द करने का फैसला लिया गया.
चंद्रयान-2 क्यों हैं इतना अहम?
दस साल में दूसरी बार भारत चांद पर मिशन भेज रहा है. इससे पहले चंद्रयान-1 साल 2008 में भेजा गया था. इसरो का यह अब तक का सबसे जटिल मिशन है. चंद्रयान- 2 के जरिए चंद्रमा की सतह, मिट्टी की जानकारी, पानी की मात्रा, अन्य खनिजों और पर्यावरण की स्थिति से संबंधित तथ्य पता लगाने की कोशिश की जाएगी.
इसरो पहली बार चंद्रयान के साथ लैंडर भेज रही है. इसका नाम मशहूर भारतीय वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के ऊपर रखा गया है. लैंडर में तीन पेलोड शामिल हैं. यह पेलोड चंद्रमा पर इलेक्ट्रॉन का घनत्व, टेम्परेचर वेरिएशन, चांद का वातावरण और जमीन के नीचे की हलचलों के बारे में पता लगाएंगे.
चंद्रयान 2 पर कितना हुआ खर्च?
पृथ्वी और चांद की दूसरी करीब 384,400 किलोमीटर है. चंद्रयान-2 कुल मिलाकर तकरीबन 3800 किलोग्राम भारी है. इस पूरी परियोजना में 978 करोड़ का खर्च आया है. चंद्रयान 2 के लिए सेटेलाइट पर 603 करोड़ और GSLV MK III के लिए 375 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. चंद्रयान 2 पूरी तरह स्वदेशी अभियान है. न्यूज़ सोर्स द क्विंट