17 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

चंद्रयान-2: सफलतापूर्वक यान के ऑर्बिटर से अलग हुआ विक्रम लैंडर, 7 सिंतबर को दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग

देश-विदेश

बेंगलुरु: विक्रम लैंडर आज यानी सोमवार को दोपहर तकरीबन सवा एक बजे चंद्रयान 2 के ऑर्बिटर से सफलतापूर्वक अलग हो गया. अब विक्रम लैंडर तेजी से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की तरफ अग्रसर होगा. वहीं ऑर्बिटर अपनी मौजूदा कक्षा में परिक्रमा करता रहेगा.

ऑर्बिटर से अलग होने के बाद लैंडर चांद के इर्द-गिर्द 100 किमी गुणा 30 किमी की कक्षा में प्रवेश करेगा. इसके बाद यह चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने के लिए धीमी गति और ठहराव जैसी कई सिलसिलेवार एवं जटिल प्रक्रियाओं से गुजरेगा. इसके बाद सात सितंबर को यान चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में सॉफ्ट लैंडिंग करेगा.

चंद्रमा पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ महत्वपूर्ण

इसरो अध्यक्ष के सिवन ने कहा है कि चंद्रमा पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ सर्वाधिक महत्वपूर्ण क्षण होगा, क्योंकि इसरो ने यह पहले कभी नहीं किया है. चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग चंद्रयान-2 का सबसे जटिल चरण है. यह वैज्ञानिकों के लिए बेहद ‘गंभीर’ क्षण होगा. बता दें कि पृथ्वी की कक्षा में 23 दिनों तक चक्कर लगाने के बाद 14 अगस्त को यान चांद पर लैंडिंग के लिए रवाना हुई थी.

सॉफ्ट लैंडिंग

सात सितंबर को लैंडर चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा. इसके चार घंटे बाद रोवर प्रज्ञान बाहर आयेगा, जो कि चंद्रमा की सतह पर लगभग 500 मीटर की दूरी तय करेगा. लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा. यह यान अब तक पृथ्वी से 3.8 लाख किमी की लंबी यात्रा कर चुका है.

  • यान ने तय की 3.8 लाख किमी की दूरी
  • ऑर्बिटर से अलग होने के बाद लैंडर चांद के इर्द-गिर्द 100 किमी गुणा 30 किमी की कक्षा में प्रवेश करेगा
  • चांद पर लैंडिंग के दौरान कई जटिल प्रक्रियाओं से गुजरेगा चंद्रयान-2

दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला भारत पहला देश

यदि सब कुछ ठीक रहता है, तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जायेगा. इसके साथ ही अंतरिक्ष इतिहास में भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरने वाला दुनिया का पहला देश बन जायेगा.

चंद्रयान-2 की लैंडिंग पर पूरी दुनिया की नजर

नासा के पूर्व अंतरिक्षयात्री डोनाल्ड ए थॉमस ने कहा है कि चंद्रयान-2 जब चंद्रमा पर लैंड करेगा, तब नासा समेत पूरी दुनिया की नजर उस पर रहेगी. चंद्रयान-2 पहला यान होगा, जो चंद्रमा के दक्षिणी धुव्र पर उतरेगा.

नासा इस क्षेत्र में पांच साल बाद अपना अंतरिक्षयात्री उतारने की योजना बना रही है. थॉमस ने कोयंबटूर के पार्क कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के एक कार्यक्रम में कहा कि हम इससे पहले चंद्रमा के भूमध्य रेखा के पास लैंड कर चुके हैं, लेकिन यह पहला मौका होगा, जब कोई दक्षिण धुव्र पर उतरेगा. दक्षिणी धुव्र हमारे लिए बेहद खास है, क्योंकि हमें यहां बर्फ मिलने की उम्मीद है.

अगर हमें यहां बर्फ मिलती है, तो हमें उससे पानी मिल सकता है. इसके बाद हम उससे ऑक्सीजन और हाइड्रोजन प्राप्त कर सकते हैं. चांद के स्थिति के बारे में थॉमस ने कहा कि चांद पर रहना बेहद मुश्किल है. वहां भारी मात्रा में रेडिएशन है. दिन के समय वहां का तापमान 100 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच जाता है. वहीं, रात के समय तापमान 100 डिग्री सेल्सियस के नीचे होता है. Source प्रभात खबर

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More