नई दिल्ली: आज केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री श्री अनंत कुमार ने फर्मा प्राइस डाटा बैंक की शुरुआत की। ये एक एकीकृत फर्मास्युटिकल डाटाबेस प्रबंधन प्रणाली है जो नेशनल फर्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) द्वारा संचालित एवं प्रबंधित की जाती है। विमोचन समारोह में मंत्री ने भाषण देते हुए कहा कि ये फर्मा उद्योग के लिए देश का पहला डाटा बैंक है जो फार्मा निर्माताओं और नियामकों के साथ ही साथ आम जनता की मदद करेगा।
उन्होंने कहा कि निर्माता अब अपने अनिवार्य फार्म को ऑनलाइन भर सकेंगे, सरकार और एनपीपीए के पास अब व्यापक स्तर पर डाटा या जानकारियां होंगी और उपभोक्ता को भी दवाइयों और उनकी कीमत के बारे में पूरी जानकारी मिल सकेगी। श्री अनंत कुमार ने कहा कि 21वीं सदी सूचनाओं का युग है, और सूचनाएं ही ताकत हैं। उन्होंने दवा उद्योग में सुधार के लिए भावी पीढ़ी का आह्वान किया ताकि उत्पाद की संरचना और उनके मूल्य दरों के बारे में पूरी जानकारी मिले और उस आधार पर ग्राहक दवाइयों के सही चुनाव करने में सशक्त बनें। श्री अनंत कुमार ने उम्मीद जताई कि जानकारियों की उपलब्धता से बेहतर नीतिगत हस्तक्षेप में मदद मिलेगी।
इस अवसर पर बोलते हुए रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री श्री हंसराज गंगाराम अहीर ने कहा कि सरकार जनता के कल्याण के लिए काम कर रही है। एनपीपीए की पहल की प्रशंसा करते हुए उन्होंने उम्मीद जताई कि डाटाबेस आम नागरिकों को फायदा पहुंचाएगा।
फार्मास्युटिकल्स विभाग के सचिव, डॉक्टर वीके सुब्बुराज ने कहा कि डाटाबैंक से प्रक्रियाएं आसान होंगी। उन्होंने आशा जाहिर की है कि ऑनलाइन व्यवस्था लोगों के बीच अधिक लोकप्रिय होगी और कंपनियां अब समय पर और पूरी जानकारी उपलब्ध कराएंगी।
फार्मा प्राइस डाटा बैंक एक समेकित फार्मास्युटिकल डाटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम है जिसका इस्तेमाल दवाई बनाने, कारोबार करने, आयात करने, वितरण करने वाली कंपनियां इस्तेमाल करेंगी। कंपनियां इस प्रणाली का इस्तेमाल ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर, 2013 के तहत दी गई अनिवार्य जानकारियों को ऑनलाइन प्रस्तुत करें। नई दवाई के लिए मूल्य तय किए जाने के लिए आवेदन प्रस्तुत करने की सुविधा भी उपलब्ध होगी। वैसे एनपीपीए पहले से एक और वेबपोर्टल चला रहा है जिसका नाम “फार्मा जन समाधान” है। ये पोर्टल दवाइयों के लिए तय की गई कीमतों से अधिक कीमत वसूलने और दवाई की कमी की शिकायतों को दर्ज करती है। एनपीपीए के चेयरमैन श्री आई श्रीनिवासन ने कहा है कि 10,000 से अधिक दवाइयों का निर्माण कर रहे हैं, और इसे ऑनलाइन संकलित करने से इस उद्योग की बेहत निगरानी और निरीक्षण में मदद मिलेगी।
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