अल्मोड़ा/देहरादून: प्राचीन पाण्डुलिपियों, ग्रन्थों, पुराणाें एवं लोक वाद्य यंत्रों के संरक्षण के लिये राज्य सरकार ठोस कदम उठा रही है। यह बात मुख्यमंत्री हरीश रावत ने रविवार को पेटशाल में जुगल किशोर पेटशाली के प्रयासों से बनाये गये लोक वाद्य यंत्र संग्रहालय के निरीक्षण के दौरान कही।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि संस्कृति विभाग को निर्देश दिये गये है कि जुगलकिशोर पेटशाली की साझीदारी में इस संग्रहालय का संचालन किया जाए। इस तरह के अपने आप में व्यक्तिगत प्रयासों से संचालित किये जा रहे इस संग्रहालय को राज्य संग्रहालय के रूप में पहचान दिलाई जायेंगी। उन्होंने कहा कि कुमाॅऊ विश्वविद्यालय एवं गढ़वाल विश्वविद्यालय को निर्देश दिये गये है कि वे अपने यहाॅ इनके संरक्षण एवं सर्वद्धन हेतु पाठ्यक्रम चालू करने के साथ ही एक संग्रहालय को भी विकसित कराये। उन्होंने हस्त लिखित दुर्गा सप्त सती कुमाॅऊनी में लिखित गरूड़ पुराण सहित अन्य ग्रन्थों व प्राचीन लोक वाद्य यंत्रों का अवलोकन किया। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत प्रयासों से इस तरह के संग्रहालय का संचालन वास्तव में सराहनीय व प्रेरणादायी है। इस अवसर पर उन्होंने अनेक पुराणों, वाद्य यंत्रों के बारे में जानकारी प्राप्त की। उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रयासों को प्रोत्साहित करने के लिये सरकार हमेशा तैयार है। जो इस तरह के संकलन को आगे बढ़ाने का कार्य करेंगा उसे प्रोत्साहित किया जायेगा। इस अवसर पर जुगलकिशोर पेटशाली ने संग्रहालय में रखी गई सामग्री के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी।
इससे पूर्व मुख्यमंत्री श्री रावत ने चितई ग्राम में स्थित एस0ओ0एस0 फैक्ट्री का निरीक्षण किया जहाॅ पर स्थानीय उत्पाद से निर्मित सामग्री तैयार की जा रही है। बिच्छू घास, तुलसी, किलमोड़ा, गैदे के फूल आदि के द्वारा सामग्राी तैयार की जा रही है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने स्थानीय उत्पाद मडुवा, झंगोरा आदि से बनाये जाने वाली सामग्रीयों के बारे में फैक्ट्री की व्यवस्थापिका अमृता चिगप्फा से जानकारी प्राप्त की। उन्होंने चितई में स्थित इस फैक्ट्री का स्थलीय निरीक्षण किया और वहाॅ के संचालकों से कहा कि यहाॅ पर टेनिंग दिलाये जाने की व्यवस्था की जाय ताकि अधिक से अधिक लोग इससे जुड़ सकें। उन्होंने इस बात पर भी प्रसन्नता व्यक्त की स्थानीय उत्पादों से तैयार किये जा रहे माल का विदेशों में भी निर्यात किया जा रहा है। यदि इसमें स्थानीय लोग अपनी भागीदारी करे तो और अधिक इस तरह के प्रयासों को आगे बढ़ाया जा सकेगा। इस दौरान व्यवस्थापिका अमृता चिगप्फा व सन्तोष ने विस्तृत रूप से वहाॅ पर संचालित किये जा रहे कार्याें बारे में बताया। इस सेन्टर में 50 से अधिक महिलायें कार्य कर रही है।