देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केन्द्रीय ग्रामीण विकास, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री चै. विरेंद्र सिंह को पत्र के माध्यम से राज्य में चल रही विभिन्न योजनाओं के लिए बजट स्वीकृति की मांग की। ज्ञातव्य है कि मुख्यमंत्री श्री रावत को आज नई दिल्ली में केन्द्रीय मंत्री से भेट करनी थी, किन्तु प्रदेश में भारी वर्षा से उत्पन्न स्थिति का जायजा लेने के लिए दिल्ली का दौरा बीच में स्थगित कर देहरादून लौट आये।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने पत्र के माध्यम से केन्द्रीय मंत्री को अवगत कराया कि भारत सरकार के ध्वजवाहक कार्यक्रम राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल आपूर्ति कार्यक्रम एवं स्चच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) का संचालन राज्य के समस्त ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित हो रहा है। इसके लिए राज्य को राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल आपूर्ति कार्यक्रम में 250 करोड़ रुपये का परिव्यय (केद्रांश) की स्वीकृति प्रदान करे। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल आपूर्ति कार्यक्रम के अन्तर्गत वर्ष 2015-16 में प्रथम किश्त के रूप में रूपये 43.20 करोड़ की धनराशि उत्तराखण्ड राज्य को अवमुक्त किये जाने की सूचना भारत सरकार की वेबसाइट पर अपलोड की गई थी, लेकिन अभी तक राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल आपूर्ति कार्यक्रम के अन्र्तगत वर्ष 2015-16 के परिव्यय के सापेक्ष में भारी कटौती कर दी गयी है। वर्ष 2014-15 में उत्तराखण्ड राज्य हेतु उक्त कार्यक्रम मंे स्वीकृत परिव्यय रूपये 145.67 करोड़ (केन्द्रांश) भारत सरकार द्वारा निर्धारित किया गया था, जिसके सापेक्ष वर्ष 2014-15 में राज्य को 111.48 लाख रूपये की धनराशि केन्द्रांश के तहत अवमुक्त की गयी थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वर्तमान स्वीकृत परिव्यय की सूचना राज्य को नहीं दी गयी है, किन्त पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अवमुक्त की गयी। प्रथम किश्त की राशि से लग रहा है कि वर्तमान वर्ष (वर्ष 2015-16) में उक्त कार्यक्रम में स्वीकृत परिव्यय के सापेक्ष केंद्र सरकार कटौती कर सकती है, मुख्यमंत्री ने कटौती न किये जाने का अनुरोध किया।
राज्य के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अधीन 797.25 करोड रुपये लागत की 363 ग्रामीण पेयजल योजनाएं निर्माणधीन है एवं इन योजनाओं पर माह अपै्रल, 2015 तक रूपये 423.96 करोड़ की धनराशि अवमुक्त की गयी है। इस प्रकार इन योजनाओं को पूर्ण करने हेतु अवशेष धनराशि रूपये 373.26 करोड़ की आवश्यकता है। इसके अलावा 335.91 करोड़ रुपये लागत की 72 ग्रामीण पेयजल योजनाओं की डीपीआर तैयार कर ली गई है। अन्य नयी योजनाओं के भी प्रस्ताव है, जिनकी डी.पी.आर. तैयार की जा रही है। इस प्रकार स्वीकृत निर्माणधीन योजनाओं एवं प्रस्तावित योजनाओं को पूर्ण करने के लिए 708.17 करोड़ रुपये धनराशि की आवश्यकता होगी। इसके अतिरिक्त पूर्ण ग्रामीण पेयजल योजनाओं के रखरखाव हेतु एवं सहयोग गतिविधियों हेतु वर्ष 2015-16 में कम से कम रूपये 40 करोड़ की धनराशि की और आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री ने वर्ष 2015-16 में भारत सरकार द्वारा उक्त कार्यक्रम के राज्य के परिव्यय मे सम्भावित कटौती के फलस्वरूप योजनाओं को पूर्ण करने एवं नयी योजनाओं को प्रारम्भ करने एव ंअपेक्षित गति प्रदान करने में अवरोध उत्पन्न होने की सम्भावना केंद्रीय मंत्री के समक्ष रखी। इस कटौती के फलस्वरूप राज्य के विधायकांें, मंत्रीगणों, जनप्रतिनिधियों एवं जनता में उत्पन्न हो रहे आक्रोश की भी बात कही। परिव्यय में कटौती के कारण राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल आपूर्ति कार्यक्रम के अन्य मदों जैसे पेयजल गुणवत्ता निगरानी एवं सहयोगी गतिविधियों के संचालन में भी अवरोध उत्पन्न हो रहा है।
राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम में केन्द्रांश एवं राज्यांश का अनुपात 50: 50 है। उत्तराखण्ड राज्य के पास अपने वित्तीय संसाधन सीमित है तथा राज्य का लगभग 67 क्षेत्रफल वनभूमि से आच्छादित है। अतः राज्य की भौगोलिक स्थिति के दृष्टिगत एवं राज्य के सीमित वित्तीय संसाधनों को देखते हुए ग्रामीण पेयजल योजनाओं में केन्द्रांश एवं राज्यांश का अनुपात 90ः10 निर्धारित किये जाने एवं वर्ष 2015-16 में रूपये 250 करोड़ का परिव्यय (केन्द्रांश) की स्वीकृति प्रदान किये जाने की भी मांग की।
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अन्तर्गत राज्य सरकार के अनुमोदन उपरान्त वर्ष 2015-16 हेतु रूपये 202.16 करोड़ (केन्द्रांश) की धनराशि की वार्षिक क्रियान्वयन कार्ययोजना (।ददनंस प्उचसमउमदजंजपवद च्संद) तैयार कर पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय भारत सरकार को निर्धारित समय के अन्दर उपलब्ध करायी गयी थी। जिसके सापेक्ष प्रथम किश्त के रूप में रूपये 30.81 करोड़ की धनराशि राज्य को अवमुक्त किये जाने की सूचना भारत सरकार की वेबसाइट पर अपलोड की गई स्वीकृति आदेशों के द्वारा प्राप्त हुई है। राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के सीमान्त जनपदों, जिनमें चमोली एवं बागेश्वर को आगामी 02 वर्षो में खुले में शौच की प्रथा से मुक्त किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिये अतिरिक्त धनराशि रूपये 20.35 करोड़ की आवश्यकता राज्य को होगी। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के दिशा निर्देशों के अनुसार घरेलू शौचालय के निर्माण हेतु 90ः10 के अनुपात में प्रोत्साहन धनराशि किये जाने का प्राविधान है, इसी प्रकार ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबन्धन, आई0ई0सी0 प्रशासनिक मद में 75ः25 एवं सामुदायिक स्वच्छता काॅम्पलेक्स हेतु 60ः30 के अनुपात धनराशि का प्राविधान किया गया है। मुख्यमंत्री ने इन्हें भी 90ः10 के अनुपात में किये जाने की मांग की।
केंद्रीय मंत्री ने मांगों पर विचार कर सकारात्मक निर्णय लिये जाने का आश्वासन दिया।