देहरादून: उद्यमिता को उत्तराखण्ड का नारा व पहचान बनाना होगा। सफल उद्यमियों की सफलता का प्रचार-प्रसार आवश्यक है। सफल उद्यमियों को नए व छोटे उद्यमियों का नेतृत्व करना होगा। उत्तराखण्ड सरकार राज्य में उद्यमिता विकास के क्षेत्र में धन की कमी नहीं होने देगी। राज्य सरकार फेसिलेटर की भूमिका निभा रही है तथा युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने तथा महिला उद्यमिता पर विशेष बल दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बुधवार को मुख्यमंत्री आवास, न्यू कैन्ट रोड़ में उत्तराखण्ड इण्डिस्ट्रियल ऐकेडिमिया आर एण्ड डी मिशन एवं मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अधीन वित्तीय वर्ष 2015-16 में योजना के अधीन लाभान्वित उद्यमियों को उनके सब्सिडी/मार्जिन मनी अंश के प्रपत्र/हस्तशिल्प/हथकरघा लघु उद्यम पुरस्कार वितरण के अवसर पर उक्त विचार व्यक्त किये। मुख्यमंत्री श्री रावत द्वारा इस अवसर पर हस्तशिल्प, हथकरघा व लघु उद्यम क्षेत्र में सफल उद्यमियों को पुरस्कृत किया गया तथा लगभग 270 नए उद्यमियों को अनुदान राशि व प्रमाण पत्र भेंट की गयी।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि एक आइडिया को वास्तविकता में बदलने के लिए उद्योग विभाग, एमएसएमई विभाग, प्रयासों से जुड़े सभी विभागीय अधिकारी, बैंक तथा सरकारी मशीनरी बधाई की पात्र है। उद्यमिता को राज्य के नारे के रूप में लोकप्रिय बनाना होगा। सौभाग्य से उत्तराखण्ड के पास शिक्षा व तकनीकी शिक्षा का व्यापक आधार है जो राज्य में कौशल विकास व मानव संसाधन विकास में सहायक है। वर्तमान प्रतिस्पर्धा के दौर में विभिन्न राज्यों में भी प्रतिस्पर्धा है। हमंे नए क्षेत्रों की खोज करनी होगी। हमें अपनी औद्योगीकरण के प्रयासों में अपने गांव, महिलाओं, युवाओं को जोड़ना होगा जिससे बेरोजगारी व पलायन की समस्या का समाधान होगा। सफल उद्यमियों को अपने साथ छोटे उद्यमियों व कुशल कारीगरों को अपने साथ जोड़ना होगा। नौकरी मांगने वाले हाथों को रोजगार उत्पन्न करने वाले हाथों में बदलना होगा। उद्योग तथा एमएसएमई विभाग को सामूहिक रूप इस उद्येश्य के लिए कार्य कार्य करना होगा। कौशल विकास व निस्बड के प्रयासों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। ऐसे बच्चे जों किन्ही कारणों से अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ चुके है उन्हें चिन्हित करके कौशल प्रशिक्षण दिया जाय। इसके लिए एक ठोस कार्ययोजना बनाए जाय। हमें उद्योगों के विकास के लिए एक अनुकूल वातावरण तैयार करना होगा। हमें बैंको के सहयोग की आवश्यकता है। स्थानीय स्तर पर उद्योगों के विकास हेतु जिला उद्यम अधिकारी मार्गदर्शक तथा फिलोसफर की भूमिका निभा सकते है। उद्यमिता प्रोत्साहन हेतु रचनात्मक समन्वय व सकारात्मक संवाद कायम करने में इन अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। सूचना तकनीकी ने सरकार व समाज द्वारा किये जा रहे उद्यमिता विकास के लिए किये जा रहे प्रयासों को अधिक सरल व तीव्र कर दिया है। हमें अपनी उत्पादों की अच्छी मार्केटिंग की बहुत आवश्यकता है। आन्तरिक व बाहय बाजारों में स्थानीय उत्पादों का स्थान बनाने के लिए हमें अच्छी मार्केटिंग पर विशेष बल देना होगा। हमें उत्तराखण्ड के अन्दर भी राज्य के स्थानीय उत्पादों के उपभोग को बढ़ाने की आवश्यकता है। पर्यटन स्थलों तथा तीर्थ स्थलों पर उत्पादों की बिक्री की व्यवस्था करनी होगी जिससे पर्यटक तथा श्रद्धालु उत्तराखण्ड के स्थानीय उत्पादों के बारे में एक अच्छा संदेश लेकर लौटे। यह प्रसन्नता की बात है कि हमारी कुछ स्थानीय उत्पादों ने राष्ट्रीय स्तर पर अच्छी पहचान बनायी है। राज्य सरकार द्वारा सभी उभरते उद्यमियों तथा नई व्यवसायिक गतिविधयां प्रारम्भ करने के इच्छुक लोगो को आश्वासन दिया जाता है कि उन्हें वितीय सहयोग प्रदान किया जायेगा। राज्य सरकार अगले 3 से 4 वर्षो में 50000 दक्ष उद्यमियों को तैयार करेगी। उद्यमिता के क्षेत्र में सफल लोगों की प्रयासों का समुचित प्रचार प्रसार किये जाने की जरूरत है। सफल लोगों को अपने साथ अन्य उभरते व संघर्षशील लोगों का नेतृत्व करना होगा तथा उनकी सहायता करनी होगी।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि हम हस्तशिल्पियों के हुनर को सलाम करते है राज्य सरकार द्वारा ने समाज के सभी वर्गाे को ध्यान में रखते हुए विभिन्न प्रकार के स्टार्ट अप आरम्भ किये है। घूमन्तू व जनजातियों के लिए विशेष स्टार्ट अप योजनाएं प्रारम्भ की गई है। हमें अपनी कठिनाईयों व चुनौतियों जैसे कि भौगोलिक विषमता तथा दुर्गम स्थिती को अवसरों के रूप में देखना होगा। उच्च पर्वतीय स्थलों पर भी महिला स्वंय सहायता समूह अच्छा कार्य कर रहे है। पर्वतीय क्षेत्रों में दुग्ध विकास की अच्छी सम्भावनाएं है। हमें अपनी सम्भावनाओं को पहचान कर विकसित करना होगा।
कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री श्री हरीश चन्द्र दुर्गापाल, प्रमुख सचिव मनीषा पंवार, अपर निदेशक उद्योग निदेशालय सुधीर नौटियाल आदि उपस्थित थे।