नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति श्री दीपक मिश्रा ने अगस्त, 2018 के तीसरे सप्ताह के दौरान सुप्रीम कोर्ट में एक आयोजन में वादकारियों और अधिवक्ताओं के लाभ के लिए विभिन्न एप्लीकेशंस का शुभारंभ किया। विधि एवं न्याय मंत्री माननीय श्री रविशंकर प्रसाद ने एप्लीकेशंस के मैनुअल और ई-कोर्ट परियोजना के तहत उपलब्ध सेवाओं के संबंध में जागरूकता बढ़ाने के लिए पुस्तिकाएं जारी कीं, ताकि ई-कोर्ट परियोजना के तहत किए जाने वाले कामों का प्रचार हो तथा वादकारियों, अधिवक्ताओं और अन्य हितधारकों को इन सेवाओं का लाभ उठाने में मदद मिले।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट की ई-समिति के प्रभारी न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति श्री एम. बी. लोकुर के नेतृत्व में ई-कोर्ट परियोजना ने डिजिटल न्यायालय सेवाएं प्रदान करने में कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। उन्होंने इन एप्लीकेशंस की विशेषताओं और लाभों का ब्यौरा प्रस्तुत किया। सुप्रीम कोर्ट की ई-समिति के प्रभारी न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति श्री एम. बी. लोकुर के नेतृत्व में विकसित नागरिक आधारित एप्लीकेशंस को एक समारोह के दौरान आरंभ किया गया है। ई-कोर्ट परियोजना के प्रमुख घटक, विशेषतौर से महत्वपूर्ण पैन-इंडियन वाइड एरिया नेटवर्क (डब्ल्यूएएन) संपर्कता कार्यक्रम की रूपरेखा न्यायविभाग के सचिव डॉ. आलोक श्रीवास्तव ने तैयार की है।
इस अवसर पर ई-कोर्ट परियोजना के तहत ई-फाइलिंग, ई-पे और एनएसटीईपी (नेशनल सर्विस एंड ट्रैकिंग ऑफ इलेक्ट्रानिक प्रोसेस) नामक तीन एप्लीकेशंस को जारी किया गया। ई-कोर्ट परियोजना के दूसरे चरण को 2015-19 के दौरान न्यायविभाग ने कार्यान्वित किया। यह देश के सभी जिलों और अधीनस्थ अदालतों के आईसीटी क्षमता के लिए सुप्रीम कोर्ट की ई-समिति के निर्देशन में पूरा हुआ।
ई-फाइलिंग एप्लीकेशन efiling.ecourts.gov.in पर उपलब्ध है, जहां अधिवक्ता और वादकारी ऑनलाइन पंजीकरण कर सकते हैं। इस एप्लीकेशन के जरिये देश के किसी भी हिस्से से किसी भी अदालत में मुकदमा दायर किया जा सकता है। इस पोर्टल पर वादकारियों और अधिवक्ताओं के मामलों का प्रबंधन संभव है और व्यक्ति को दायर मुकदमे के बारे में समय-समय पर जानकारी मिलेगी। जो लोग डिजिटल हस्ताक्षर के लिए टोकन खरीदने में सक्षम नहीं हैं, उन्हें ई-हस्ताक्षर की सुविधा उपलब्ध रहेगी।
ई-फाइलिंग एप्लीकेशन से न्याय प्रणाली के कारगर प्रशासन की सुविधा होगी तथा फाइलिंग काउंटरों पर दबाव कम होगा और काम में तेजी आयेगी। डाटा एंट्री भी और सटीक हो जाएगी, जिससे न्यायालय प्रशासन को डाटा आधारित निर्णय में सहायता मिलेगी।
ई-पे एप्लीकेशन pay.ecourts.gov.in पर उपलब्ध है, जहां ऑनलाइन कोर्ट फीस भरने की सुविधा होगी। ई-पेमेंट एक सुरक्षित जरिया है। शुरूआत में यह सुविधा महाराष्ट्र और हरियाणा में उपलब्ध होगी। इसके लिए ओटीपी दिया जाएगा और एसएमएस के जरिये पावती प्रदान की जाएगी।
एनएसटीईपी ई-कोर्ट परियोजना का एक अन्य अनोखा एप्लीकेशन है। यह वाद सूचना सॉफ्टवेयर (सीआईएस), वेबपोर्टल और मोबाइल एप्लीकेशन के बीच एक सहयोगी के रूप में काम करेगा। यह एक स्थान से दूसरे स्थान तक प्रक्रियाओं के अंतरण के लिए एक पारदर्शी और सुरक्षित प्रणाली है। एनएसटीईपी सीआईएस के जरिये क्यूआर कोड के साथ स्वयं प्रक्रिया शुरू करेगा, पोर्टल पर प्रक्रियाओं को प्रकट करेगा और देश के अन्य अदालतों में प्रक्रियाओं का अंतरण करेगा। इस सेवा से वादकारियों को प्रक्रिया-सेवा की स्थिति की जानकारी सही समय पर प्राप्त होगी, ताकि वादकारियों को तुरंत कार्रवाई करने का अवसर मिल सके।
ई-कोर्ट मिशन मोड परियोजना प्रथम चरण को 2011-2015 के दौरान क्रियान्वित किया गया, जिसके तहत जिला और अधीनस्थ अदालतों के कंप्यूटरीकरण के लिए 639.41 करोड़ रुपये जारी किए गए। पहले चरण के अंत तक 14,249 जिला और अधीनस्थ अदालतों के कंप्यूटरीकरण का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इनमें से सभी को कंप्यूटरीकरण के लिए तैयार कर लिया गया। 13,643 अदालतों में एलएएन लगाए गए, 13,436 अदालतों को हार्डवेयर उपलब्ध कराए गए और 13,672 अदालतों में सॉफ्टवेयर लगाए गए। 14,309 न्यायिक अधिकारियों को लेपटॉप उपलब्ध कराए गए और सभी हाईकोर्टों में परिवर्तन प्रबंधन अभ्यास पूरा कर लिया गया है।
परियोजना के दूसरे चरण (2015-19) के तहत अब तक 1078 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए हैं। 16,089 जिला और अधीनस्थ अदालतों का कंप्यूटरीकरण पूरा कर लिया गया है।
न्याय विभाग डब्ल्यूएएन संपर्कता परियोजना चला रहा है, जिसके तहत बीएसएनएल के जरिये सभी जिला और तालुक अदालतों को जोड़ा जाएगा। न्याय विभाग ने 3064 न्यायालय परिसरों में डब्ल्यूएएन संपर्कता बनाने के लिए मई, 2018 में बीएसएनएल को जिम्मेदारी सौंपी थी। इनमें 458 ऐसे न्यायालय परिसर शामिल हैं, जहां संपर्कता शामिल नहीं थी।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और ई-समिति के सदस्य माननीय न्यायमूर्ति श्री ए एम खानविलकर ने ई-समिति के मूल्यवान प्रयासों और सभी हितधारकों के योगदान की चर्चा की, जिनमें न्याय विभाग और राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केंद्र शामिल हैं। आयोजन में सुप्रीम कोर्ट के माननीय न्यायाधीशगण, भारत के महान्यायवादी श्री के के वेणुगोपाल, न्याय विभाग एवं इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव, राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केंद्र की निदेशक सुश्री नीता वर्मा, ई-समिति के सदस्यगण, भारत सरकार, सुप्रीम कोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।