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मुख्यमंत्री ने ‘ईको पर्यटन संवाद’ कार्यक्रम को सम्बोधित किया

उत्तर प्रदेश

लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश के हृदय स्थल के रूप में जाना जाता है। यह आबादी की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा राज्य भी है। उत्तर प्रदेश में पर्यटन के क्षेत्र में अनेक सम्भावनाएं हैं। इन सम्भावनाओं को आगे बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश ईको पर्यटन विकास बोर्ड का गठन किया गया है। गत वर्ष उत्तर प्रदेश में 48 करोड़ पर्यटक आए थे। यह प्रदेश की आबादी से लगभग दोगुनी संख्या है। यह उत्तर प्रदेश में पर्यटन की सम्भावनाओं को दर्शाता है। इनमें से अधिकांश पर्यटक स्प्रिचुअल टूरिज्म के क्षेत्र में आए थे।
मुख्यमंत्री जी आज यहां इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में उत्तर प्रदेश ईको पर्यटन विकास बोर्ड द्वारा आयोजित ‘ईको पर्यटन संवाद’ कार्यक्रम के अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने उत्तर प्रदेश ईको पर्यटन विकास बोर्ड के ‘लोगो’ का अनावरण किया। मुख्यमंत्री जी के समक्ष सलखन जीवाश्म पार्क को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश ईको पर्यटन विकास बोर्ड एवं बीरबल साहनी पुरावनस्पति विज्ञान संस्थान, लखनऊ के मध्य समझौता ज्ञापन हस्तांतरित किया गया। मुख्यमंत्री जी ने प्रदेश में नई ईको पर्यटन इकाइयों की स्थापना करने वाले तीन महानुभावों का सम्मान किया। कार्यक्रम में प्रदेश में ईको टूरिज्म के विकास पर आधारित लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया। इससे पूर्व, मुख्यमंत्री जी ने पर्यटन प्रदर्शनी का अवलोकन किया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2023 में काशी में 10 करोड़ से अधिक, मथुरा-वृन्दावन में साढ़े सात करोड़ से अधिक तथा अयोध्या में 05 करोड़ से अधिक पर्यटक आए थे। 500 वर्षों के बाद अयोध्या धाम में प्रभु श्रीरामलला के अपनी जन्मभूमि पर विराजमान होने के उपरान्त पर्यटकों की संख्या कई गुना बढ़ गई है। प्रतिदिन औसतन डेढ़ से दो लाख पर्यटक अयोध्या धाम आ रहे हैं। इसमें अभी और बढ़ोत्तरी होनी है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में नैमिषारण्य, चित्रकूट, शुकतीर्थ, माँ विन्ध्यवासिनी धाम, माँ पाटेश्वरी धाम, माँ शाकुम्भरी धाम, बौद्ध तीर्थ स्थल कपिलवस्तु, सारनाथ, कुशीनगर, श्रावस्ती तथा संकिसा सहित जैन तीर्थ स्थलों एवं सूफी परम्परा से जुड़े स्थलों के रूप में स्प्रिचुअल टूरिज्म की अनेक सम्भावनाएं पहले से ही मौजूद हैं। इससे यह भी पता चलता है कि उत्तर प्रदेश मानव सृष्टि और जीव सृष्टि का उद्गम स्थल है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण जनपद सोनभद्र के फॉसिल्स पार्क है। यह उतने ही पुराने हैं, जितनी जीव सृष्टि है। यहां लगभग 150 करोड़ वर्ष पूर्व के फॉसिल्स पाए जाते हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में स्प्रिचुअल टूरिज्म के साथ ही हेरिटेज और ईको टूरिज्म की भी सम्भावनाएं मौजूद हैं। श्रावस्ती, बहराइच, बलरामपुर, लखीमपुर खीरी तथा पीलीभीत सहित प्रदेश में 15,000 वर्ग कि0मी0 क्षेत्र की वन सम्पदा है। यहां पौराणिक व ऐतिहासिक महत्व के वन मौजूद हैं। प्रदेश सरकार वर्तमान में चित्रकूट और बिजनौर के अमानगढ़ में टाइगर रिजर्व के कार्य आगे बढ़ा रही है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इस वर्ष जून में बहुत ज्यादा गर्मी थी। इसका उत्तरदायी मनुष्य की स्वार्थी गतिविधियां हैं। अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति का दोहन करने की मनुष्य की प्रवृत्ति ने ऐसी स्थितियां उत्पन्न की हैं। अनेक नदियों के स्रोत सूख गए हैं। प्रदेश में ईको टूरिज्म की सम्भावनाओं को देश व दुनिया के सामने लाने, लोगों का इसके प्रति आकर्षण बढ़ाने, मनोरंजन, ज्ञानवर्धन करने, अपने अतीत और इतिहास के साथ जुड़ने का अवसर प्रदान करने तथा भावी चेतावनी के प्रति सभी को जागरूक करने की दृष्टि से उत्तर प्रदेश ईको पर्यटन विकास बोर्ड का गठन किया गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रकृति के उपहारों के संरक्षण की जिम्मेदारी हमारी है। हम अपने ज्ञानवर्धन तथा मनोरंजन के लिए इनका उपयोग करें, लेकिन आने वाली पीढ़ी को भी यह उपहार प्राप्त हों, इसके लिए इनका संरक्षण जरूरी है। लखनऊ में कुकरैल के पास नाइट सफारी बनायी जा रही है। यहां कुकरैल नदी को पुनर्जीवित किया जा रहा है। यह नदी कभी आदि गंगा गोमती की सहायक नदी थी। गोमती पीलीभीत से निकलकर वाराणसी के निकट माँ गंगा से मिलती है। कुकरैल नदी अवैध निर्माण तथा कब्जे से नाले में बदल गयी थी। विगत 04 दशक में हुए कब्जे से नदी के साथ ही पर्यावरण के लिए चुनौती बन गयी थी। 01 वर्ष पूर्व हमने कुकरैल नदी को पुनर्जीवित करने के लिए लड़ाई शुरू की। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट तक पैरवी की गयी। आज यह प्रसन्नता का विषय है कि वहां से अवैध निर्माण को हटाया गया है। लोगों का पुनर्वास किया गया है। अवैध निर्माण हटने के बाद नदी में पानी के नये स्रोत फूटते हुए दिखायी दे रहे हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि एक टूरिस्ट अनेक लोगों के लिए रोजगार के अवसरों का सृजन करता है। प्रकृति एवं पर्यावरण का संरक्षण करते हुए हमें अपनी सम्भावनाओं से लाभ लेना चाहिए। प्रदेश में ईको टूरिज्म के क्षेत्र में अनेक कार्य प्रारम्भ किए गए। दुधवा, पीलीभीत टाइगर रिजर्व तथा सोहागी बरवा में अनेक कार्य हुए हैं। लोग यहां के प्राकृतिक सौन्दर्य का लाभ उठाने आ रहे हैं। उन्हें प्रकृति को देखने का अवसर प्राप्त हो रहा है। लखनऊ की तुलना में दुधवा में तापमान बहुत कम रहता है। यह प्रकृति के सान्निध्य में ही सम्भव है। हम प्रकृति के जितना नजदीक जाएंगे और उसे संरक्षण देंगे, उतना ही स्वच्छ व सुन्दर वातावरण हमें प्राप्त होगा। इसके लिए प्रयास किए जाने चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने पर्यटन स्थलों पर कनेक्टिविटी के प्रयास प्रारम्भ किए हैं। लखीमपुर खीरी में पुरानी एयर स्ट्रिप को एयरपोर्ट के रूप में विकसित करने जा रहे हैं। यहां रेलवे के सहयोग से एक हॉलिडे ट्रेन प्रारम्भ की गयी थी। इसे और अच्छे ढंग से प्रस्तुत करने का हमारा प्रयास है। उत्तर प्रदेश ईको पर्यटन विकास बोर्ड, पर्यटन विभाग तथा टूर ऑपरेटर्स के माध्यम से इन सम्भावनाओं को आगे बढ़ाना होगा। व्यापक पैमाने पर लोगों को जागरूक करते हुए गाइड के रूप में प्रशिक्षित करना चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पर्यटन एक ऐसा क्षेत्र है, जो मनोरंजन प्रदान करने के साथ ही आर्थिक रूप से समृद्ध कर सशक्त करने का माध्यम भी है। यह अनेक रोजगार सृजन का माध्यम बन सकता है। उत्तर प्रदेश में स्प्रिचुअल टूरिज्म के साथ ही हेरिटेज टूरिज्म के विकास के लिए भी कार्य प्रारम्भ हुए हैं। बुन्देलखण्ड क्षेत्र के किलों, ऐतिहासिक इमारतों को होटल तथा पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के प्रयास किए गए हैं। प्रदेश में अलग-अलग जनपदों में अलग-अलग सम्भावनाएं हैं। पर्यटन से जुड़े लोगों का सहयोग और सक्रियता इन सम्भावनाओं को आगे बढ़ा सकता है। कुछ टूर ऑपरेटर्स ने इसमें रुचि ली है और अच्छा प्रयास किया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यदि ग्रामीण क्षेत्रों में विलेज टूरिज्म का विकास करें तो गांवों में भी लोगों के सामने नयी सम्भावनाएं बनेंगी। वे भी विकास की मुख्य धारा से जुड़ेंगे। रोजगार सृजन की नयी सम्भावनाएं बनेंगी। बांदा में कालिंजर तथा जनपद जालौन और बस्ती में ऐसे कार्य प्रारम्भ हुए हैं। यह सम्भावनाएं पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, सोनभद्र, चित्रकूट तथा चन्दौली सहित उन सभी जनपदों में विकसित हो सकती है, जहां पहले से ही इसके लिए ईको सिस्टम मौजूद है। सरकार अपने स्तर से सुविधाएं तथा कनेक्टिविटी दे सकती है। इस पहल को नई ऊंचाई तक पहुंचाने के लिए पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ईको टूरिज्म संवाद के इस कार्यक्रम में जो भी सुझाव आएंगे, उन पर सरकार गम्भीरता से विचार करते हुए समयबद्ध तरीके से आगे बढ़ाने की कार्यवाही करेगी।
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री जयवीर सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थापना तथा विकास के अनुकूल वातावरण ने पर्यटन की सम्भावनाओं को बढ़ावा दिया है। आज प्रदेश ईको टूरिज्म के क्षेत्र में निरन्तर आगे बढ़ रहा है। पर्यटन के क्षेत्र में स्थानीय स्तर पर रोजगार के अनेक अवसर सृजित हुए हैं।
वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री अरुण कुमार सक्सेना ने कहा कि प्रदेश में ईको टूरिज्म की अनेक सम्भावनाएं हैं। मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में प्रदेश में ईको टूरिज्म डेवलपमेण्ट के अनेक कार्य हो रहे हैं। इस क्षेत्र में पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है तथा रोजगार का व्यापक सृजन हुआ है।
इस अवसर पर वन राज्य मंत्री श्री के0पी0 मलिक, मुख्य सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्र, अपर मुख्य सचिव वन एवं पर्यावरण श्री मनोज सिंह, प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति श्री मुकेश कुमार मेश्राम सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी, टूर ऑपरेटर्स तथा पर्यटन क्षेत्र से जुड़े स्टेक होल्डर्स उपस्थित थे।

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