लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी जनकपुर, नेपाल में आयोजित ‘श्री सीताराम विवाह पंचमी महामहोत्सव’ में सम्मिलित हुए। जनकपुर पहुंचने के पश्चात सर्वप्रथम उन्होंने माता जानकी के मन्दिर में मां जानकी का दर्शन व पूजन किया। इसके पश्चात मुख्यमंत्री जी मधेश भवन पहुंचे। जहां पर उन्होंने नेपाल सरकार और प्राॅविन्स संख्या-2 सरकार के वरिष्ठ राजनेताओं से भेंट की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी को सम्मान पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। मधेश भवन में मुख्यमंत्री जी प्राॅविन्स संख्या-2 के मुख्यमंत्री श्री लालबाबू राउत के साथ दोपहर के भोज में सम्मिलित हुए। दोपहर के भोज में मुख्यमंत्री जी के साथ 500 साधु-सन्त भी सम्मिलित हुए।
इसके पश्चात, मुख्यमंत्री जी ‘श्री सीताराम विवाह पंचमी महामहोत्सव’ में सम्मिलित होने के लिए बारह बीघा मैदान पहुंचे। इस समारोह में लगभग 2 लाख लोग उपस्थित थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने भगवान श्रीराम और माता सीता के प्रतिरूपों से आशीर्वाद भी प्राप्त किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जी को अभिनन्दन पत्र और दुशाला प्रदान कर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर अपने सम्बोधन में मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत और नेपाल का सम्बन्ध ऐसा है कि हम एक साझी नियति से जुड़े हुए हैं। हमारे देशों की खुली सीमाएं हमारे मजबूत सम्बन्धों का आधार हैं, जिसमें सरहद के दोनों ओर के निवासी एक साझी सभ्यता के सहभागी हैं। जनकपुर और अयोध्या का धार्मिक महत्व सम्पूर्ण विश्व में है। इन दोनों स्थानों के धार्मिक स्थलों का सौन्दर्यीकरण किया जा सकता है, जिससे पूरी दुनिया के लोग जो अयोध्या आएं, वे जनकपुर जाएं और जो जनकपुर जाएं वे अयोध्या अवश्य आएं। मिथिला और अवध दोनों अत्यन्त प्राचीन संस्कृतियां हैं। इनमें सांस्कृतिक पर्यटन की अपार सम्भावनाएं हैं। हम इस अवसर का लाभ लेते हुए एक बड़ी कार्य योजनाएं बनाएंगे, जिसमें मिथिला और अवध के सांस्कृतिक पर्यटन के विकास के साथ ही रोजगार के भी अवसर विकसित हों।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्तमान में नेपाल सुशासन और समावेशी विकास आधारित, सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के नये दौर में प्रवेश कर रहा है। इसी प्रकार, हम भी आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में नये भारत के निर्माण के लिए प्रयासरत हैं, जिसमें समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को भी प्रगति का समान अवसर प्राप्त हो सकें। विगत कुछ वर्षाें में हम समावेशी विकास की दिशा में स्पष्ट दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ रहे हैं। कई दशकों से भारत, नेपाल के विकास का एक भरोसेमन्द सहयोगी रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत की आर्थिक प्रगति का वास्तविक लाभ नेपाल प्राप्त कर सके, इसके लिए कनेक्टिविटी में बढ़ोत्तरी आवश्यक है। इसलिए हमने कनेक्टिविटी से जुड़ी परियोजनाआंे के क्रियान्वयन को प्राथमिकता प्रदान की है। कनेक्टिविटी से जुड़ी यह परियोजनाएं न केवल नेपाल के सामाजिक आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि दोनों देशों के मध्य व्यापार, निवेश तथा जनसामान्य के सुगम आवागमन के प्रति हमारी साझी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
इसके साथ ही, दोनों देशों की कृषि सम्बन्धी सम्भावनाओं के सदुपयोग के लिए भी हमें सम्मिलित प्रयास करने होंगे। दोनों देशों के माननीय प्रधानमंत्रियों ने कृषि क्षेत्र में नयी भागीदारी की घोषणा की है। इससे विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से कृषि विज्ञान और तकनीकी, कृषि उत्पादन तथा एग्रो प्रोसेसिंग में सहयोग बढ़ाया जाएगा। दोनों देशों के मध्य पर्यटन सेक्टर की सम्भावनाओं का सदुपयोग करने के लिए रामायण तथा बुद्धिस्ट सर्किट के विकास पर सक्रियता से कार्य करना होगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अयोध्या-जनकपुर तथा काशी-काठमाण्डू के मध्य ‘सिस्टर सिटी’ समझौता हस्ताक्षरित हो जाने से इस दिशा में शुरूआती कदम उठाये गये हैं। इन नगरों को अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर लाने के लिए भी काफी कार्य किया जाना शेष है। जनकपुर में पर्यटन को बढ़ावा देकर आर्थिक विकास किया जा सकता है। साथ ही, जनकपुर तथा अयोध्या के मध्य शाश्वत सम्पर्क को प्रोत्साहित किया जा सकता है।
इसके दृष्टिगत, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राम जानकी मार्ग के माध्यम से अयोध्या से जनकपुर तक जोड़े जाने का कार्य प्रारम्भ किया गया है। इस मार्ग के बन जाने से अयोध्या और जनकपुर की दूरी कम होगी। साथ ही, हजारों वर्ष की हमारी साझी सांस्कृतिक परम्परा और विरासत का राजमार्ग खुलेगा। इससे व्यापार के साथ-साथ अन्य गतिविधियां भी तेजी से संचालित होंगी। उत्तर प्रदेश सरकार बाॅर्डर चकपोस्ट के लिए भी 350 करोड़ रुपये की धनराशि व्यय कर रही है।
नेपाल और जनपद गोरखपुर स्थित श्री गोरक्षनाथ पीठ के सम्बन्धों की विस्तार से चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि नेपाल राष्ट्र और वहां की जनता से शिवावतार महायोगी गुरु गोरखनाथ का भी निकट सम्बन्ध था। श्री गोरखनाथ मन्दिर में सम्पन्न होने वाले खिचड़ी मेले में आज भी नेपालवासियों द्वारा खिचड़ी चढ़ायी जाती है।
मुख्यमंत्री जी ने नेपाल के नवसृजित राज्य प्रोविन्स 2 और इसके निवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामना देते हुए कहा कि विशिष्ट पहचान के साथ-साथ अपनी आर्थिक समृद्धि से भी नेपाल में आप एक विशेष प्रदेश के रूप में जानें जाएं। आपके राज्य द्वारा उत्तर प्रदेश से मांगे गये सहयोग और समर्थन को हर सम्भव पूरा किया जाएगा, क्योंकि मां जानकी की जन्मभूमि जनकपुर एवं भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या का अटूट सम्बन्ध है। पूरी दुनिया में हमारी संस्कृति यदि सर्वश्रेष्ठ संस्कृति के रूप में पहचानी जाती है, तो यह मां जानकी और भगवान श्रीराम द्वारा प्रस्तुत उदाहरण के कारण ही है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अयोध्या का समग्र विकास हमारी प्राथमिकताओं में शामिल है। इसके अन्तर्गत वर्तमान सरकार द्वारा जनपद फैजाबाद का नाम परिवर्तित कर अयोध्या कर दिया गया है। अयोध्या नगर निगम का गठन करके जहां एक ओर इस पावन नगरी में बुनियादी सुविधाओं को सुदृढ़ एवं बेहतर किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर अयोध्या को केन्द्र में रखकर रामायण, रामलीला सहित इस पवित्र धाम के विभिन्न आयामों को वैश्विक पटल पर प्रमुखता से स्थापित करने के लिए भी कार्रवाई की जा रही है। इसी उद्देश्य से विगत वर्ष और इस वर्ष भी दीपावली के अवसर पर अयोध्या में भव्य ‘दीपोत्सव‘ का सफल आयोजन किया गया। साथ ही, अयोध्या के विकास के लिए 133 करोड़ रुपए की लागत की विभिन्न परियोजनाओं का शुभारम्भ भी किया गया है।
इस वर्ष मई माह में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों द्वारा रामायण सर्किट के तहत अयोध्या और जनकपुर को जोड़ने वाली सीधी बस सेवा का शुभारम्भ एक ऐतिहासिक क्षण था। जयनगर-कुर्था सीमा पार रेलवे लाइन पूर्णता की ओर अग्रसर हैं। उत्तर प्रदेश, भारत का सबसे बड़ा राज्य है। यह नेपाल के साथ सर्वाधिक लम्बी सीमा साझा करता है। हमारे नजदीकी सम्बन्धों को और सुदृढ़ करने तथा जनता की खुशहाली हेतु नए युग को शुरू करने के लिए, उत्तर प्रदेश सरकार, भारत सरकार के दिशा-निर्देशन में, नेपाल की संघीय सरकार तथा प्राॅविन्स संख्या-2 की सरकार के साथ कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जनकपुर और अयोध्या के सामाजिक, सांस्कृतिक सम्बन्ध पौराणिक काल से हैं। भारत और नेपाल के जन-जन को राम कथा एकसूत्र में बांधती है। अयोध्या धाम और जनकपुर धाम इस कथा से अभिन्न रूप से जुड़े हैं। राजा जनक और राजा दशरथ के पारिवारिक जुड़ाव से न केवल अयोध्या और जनकपुर आपस में जुड़े, बल्कि भारत और नेपाल भी आपस में गहराई से जुड़े हैं। हमारे सम्बन्ध अत्यन्त प्राचीन और गहरे तथा हमारी विरासत और परम्परा साझी हैं। भारत के लोग नेपाल के साथ अपने अद्वितीय सम्बन्ध, साझी विरासत और परम्परा को बहुत मूल्यवान मानते हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रत्येक वर्ष विवाह पंचमी के अवसर पर भारत और नेपाल से हजारों श्रद्धालु जनकपुर आकर माता जानकी और भगवान श्रीराम के विवाह संस्कार के साक्षी बनते हैं। यह पर्व हमारी प्राचीन सांस्कृतिक परम्पराओं को सुदृढ़ करने के साथ ही, दोनों देशों के पारिवारिक सम्बन्धों को नवीनीकृत करता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इसी वर्ष मई माह में भारत के आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी नेपाल यात्रा पर आये थे। उस दौरान प्रधानमंत्री जी ने जनकपुर आकर माँ जानकी के मन्दिर में दर्शन पूजन भी किया था। धर्म ही सदियों से सदाचार का प्रेरणा-स्रोत रहा है। धार्मिक कथाओं ने जनमानस को सद्मार्ग का दर्शन कराया है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत की पहचान ही नहीं अपितु विश्व में मानवीय सम्बन्धों के सबसे प्राचीन स्रोत तथा आदर्श भी हैं।
प्रभु श्रीराम की कथा केवल भारत में ही नहीं, बल्कि इण्डोनेशिया, मलेशिया, थाईलैण्ड, कम्बोडिया, श्रीलंका आदि अनेक देशों में अत्यन्त लोकप्रिय है, क्योंकि भगवान श्रीराम ने अपने जीवन में विषम परिस्थितियों एवं कठिनाइयों का सामना करते हुए भी मर्यादा को स्थापित करने का सफल प्रयास किया है, जिससे प्रत्येक व्यक्ति प्रेरणा ग्रहण करता है। उनके जीवन दर्शन में हम सभी आज भी अपनी प्रत्येक समस्या का उचित समाधान प्राप्त कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द जी ने उचित ही कहा था कि मां जानकी के बगैर भगवान श्रीराम की कल्पना भी सम्भव नहीं है। माता जानकी का चरित्र हमारे क्षेत्र की सांस्कृतिक चेतना की केन्द्रीय भावना है। प्राचीन समय में जनकपुर धाम ज्ञान का केन्द्र था। जहां इस पूरे क्षेत्र के ज्ञानी और दार्शनिक, विमर्श और प्रबोधन के लिए आया करते थे। भगवान बुद्ध और भगवान महावीर ने भी शाश्वत सत्य की तलाश में जनकपुर धाम की यात्रा की थी। जनकपुर धाम की मेरी यह यात्रा दोनों देशों की जनता द्वारा पोषित स्थायी मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों को दर्शाती है। दोनों देशों के नजदीकी रिश्तों, भाषायी और सांस्कृतिक सम्बन्धों के कारण, मात्र कुछ घण्टे यहां बिताने के बावजूद मुझे घर जैसा अपनत्व महसूस हो रहा है। मुख्यमंत्री जी ने नेपालवासियों को प्रयाग कुम्भ-2019 के लिए निमंत्रण भी दिया।