केंद्र सरकार की तर्ज पर महाराष्ट्र के लिए एक स्वतंत्र अनुसूचित जनजाति आयोग की स्थापना को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार ने मंजूरी दे दी है. श्री शिंदे की अध्यक्षता में बुधवार को आयोजित राज्य जनजातीय सलाहकार परिषद में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। इसके साथ ही इस बैठक में राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों का पुनर्गठन, जनसंख्या के अनुसार धन का प्रावधान, आदिवासी जिलों के तहसीलों में परियोजना कार्यालय शुरू करना जैसे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई।
उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरी झिरवाळ, आदिवासी विकास मंत्री डॉ. विजयकुमार गावित, खाद्य एवं औषधि प्रशासन मंत्री धर्मरावबाबा अत्राम सहित आदिवासी क्षेत्रों के सांसद और विधायक इस बैठक मे उपस्थित थे।
राज्य के लिए स्वतंत्र अनुसूचित जनजाति आयोग की स्थापना के संबंध में विधि एवं न्याय विभाग की राय ली गई तथा इस आयोग के अधिनियम का प्रारूप जनजातीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा तैयार किया गया है। बुधवार को आयोजित राज्य जनजाति सलाहकार परिषद की 51वीं बैठक में इसे आगे की कार्रवाई के लिए अनुमोदित किया गया।
जनजातीय विभाग के लिए निर्धारित धनराशि संबंधित वित्तीय वर्ष में खर्च नहीं होने पर समाप्त हो जाती है। बैठक में इस विषय पर भी विस्तृत चर्चा हुई। विभाग को पूरा फंड दिसंबर के अंत तक वितरित करने का निर्णय हुआ। मुख्यमंत्री ने इस राशी को कहीं और डायवर्ट नहीं करने का निर्णय लिया। आदिवासी क्षेत्रों में होनेवाले कार्य गुणवत्तापूर्ण हो, सड़क, आश्रम विद्यालय, छात्रावासों के कार्य अद्यावत गुणवत्ता के हों, तथा इसके लिए संबंधित क्षेत्र के सांसद और विधायक का इन कार्यों में समन्वय होने को भी निर्णय हुआ।
इस अवसर पर प्रदेश के 11 अति संवेदनशील परियोजना कार्यालयों में परियोजना अधिकारी के पद पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की पूर्णकालिक नियुक्ति के संबंध में भी चर्चा की गई। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिये कि परियोजना अधिकारी अपने कार्य क्षेत्र के आश्रम विद्यालयों को नियमित भेट दें। आदिवासी बहुल जिलों में तहसिल स्तर पर परियोजना कार्यालय बनाने की भी मंजूरी दी गई. इस अवसर पर राज्य में आदिवासी तहसिले को आकांक्षी तहसिल घोषित करने का भी निर्णय लिया गया।
राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों के पुनर्गठन के प्रस्ताव पर चर्चा हुई. वर्तमान में राज्य के 13 जिलों को अनुसूचित क्षेत्र घोषित किया गया है, जिनमें से 23 तहसिल पूर्ण अनुसूचति तहसिल हैं और 36 आंशिक रुप से अनुसूचित तहसलि हैं। अनुसूचित क्षेत्रों के पुनर्गठन के प्रस्ताव में नये गांवों को शामिल करने का प्रस्ताव दिया गया ।