लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा कि बच्चों को सही राह दिखाने की जिम्मेदारी साहित्यकारों की है। क्योंकि टेलीविजन आदि आधुनिक उपकरणों के प्रभाव से बच्चों की भाषा बदलती जा रही है। विभिन्न कार्यक्रमों में वह जैसी भाषा सुनते हैं, वही भाषा बोलते हैं। यही बच्चे हमारे देश और समाज को बनाएंगे। यह पीढ़ी ही हमारा भविष्य है। इसलिए सभी की जिम्मेदारी है कि उन्हें अपनी परम्परा और संस्कृति से परिचित कराया जाए। इसमें साहित्यकारों खासकर बाल साहित्यकारों की बड़ी भूमिका है। उन्होंने कहा कि उम्र कितनी भी हो खुश रहने के लिए जरूरी है कि सभी में थोड़ा बहुत बचपना बना रहे।
मुख्यमंत्री आज यहां उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान में ‘अभिनन्दन पर्व-2015’ के तहत बाल साहित्य की विभिन्न विधाओं में उत्कृष्ट साहित्य रचने वाले बाल साहित्यकारों को सम्मानित करने के पश्चात अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने सभी सम्मानित साहित्यकारों को बधाई देते हुए कहा कि समाजवादियों ने हमेशा साहित्य और साहित्यकारों को प्रोत्साहित किया है। लेकिन सूबे में ऐसी भी सरकार सत्ता में आयी थी, जिसने हिन्दी संस्थान के सम्मानों को बंद करा दिया। खुशी की बात है कि समाजवादियों ने सत्ता में वापस आते ही इन सम्मानों को फिर से शुरू कराया। उन्होंने कहा कि साहित्यकार अच्छे से अच्छा साहित्य रचकर समाज का सहयोग करते हैं। राज्य सरकार भी बेहतर साहित्य के लिए हर सम्भव सहयोग करेगी। आने वाले समय में बाल साहित्यकारों की सम्मान राशि को बढ़ाकर दोगुना किया जाएगा।
श्री यादव ने कहा कि नेताजी सहित सभी समाजवादियों का मानना रहा है कि बिना हिन्दी भाषा के विकास के देश की तरक्की और खुशहाली सम्भव नहीं है। दुनिया में जितने भी देशों ने तरक्की की है, उन्होंने अपनी भाषा को प्रोत्साहित किया है। अंग्रेजी मुल्कों से जुड़ने की भाषा हो सकती है, लेकिन देश और प्रदेश के विकास की भाषा नहीं हो सकती। हालांकि कुछ क्षेत्रों में अंग्रेजी जरूरी है, लेकिन सरकारों को सोचना पड़ेगा कि कैसे हिन्दी का सम्मान वापस आए और हिन्दी के माध्यम से देश तरक्की और खुशहाली के रास्ते पर आगे जाए।
पांच सौ रुपए और एक हजार रुपए के नोट का चलन बंद होने से जनता को हो रही परेशानी की ओर संकेत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज बैंक बंद है, इसलिए कार्यक्रम में इतने लोग मौजूद हैं। परेशानी देने वालों को शायद अंदाजा ही नहीं था कि पांच सौ रुपए और एक हजार रुपए के नोटों का चलन एकाएक बंद कर देने से आम जनता को कितनी तकलीफ होने वाली है। गरीब, मजदूर, छोटे व्यापारी तथा किसान इस फैसले से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। इस निर्णय से प्रदेश सहित पूरे देश के किसानों के सामने रबी फसल की बुआई के लिए बीज-खाद आदि का गम्भीर संकट पैदा हो गया है। इसलिए कम से कम किसानों को इस फैसले से कुछ छूट देनी चाहिए।
श्री यादव ने कहा कि जिसे पहले हफ्ते-दस दिन की समस्या कहा गया था। अब बताया जा रहा है कि इसमें 50 दिन लगेंगे। मुख्य सचिव ने उन्हें बताया है कि वर्तमान में बैंकों में कैश की स्थिति को देखते हुए अभी इसमें दो-ढाई महीने या अधिक समय भी लग सकता है। उन्होंने कहा कि देश से भ्रष्टाचार और काले धन की समस्या को खत्म किया जाना चाहिए। लेकिन काले धन और भ्रष्टाचार का खात्मा करने के लिए सभी को आपसी भरोसे और संकल्प के साथ मिलकर काम करना होगा।
श्री यादव ने कहा कि समाजवादी सरकार ने सड़क, बिजली, पानी सहित विभिन्न क्षेत्रों में संतुलन बनाकर विकास का जो काम किया है, यही इस प्रदेश को आगे बढ़ाने का रास्ता है। दिल्ली की सरकार ने ढाई साल में क्या किया, यह सब ने देख लिया है। उत्तर प्रदेश में 02 एम्स बन रहे हैं। यह तभी सम्भव हुआ है, जब प्रदेश सरकार ने जमीन मुहैया करायी। अगर राज्य सरकार जमीन न उपलब्ध कराती तो यह नहीं बन पाते। एम्स की स्थापना के लिए जमीन उपलब्ध कराने के प्रति समाजवादी सरकार को गर्व है।
इससे पूर्व, मुख्यमंत्री ने उ0प्र0 हिन्दी संस्थान द्वारा आयोजित ‘अभिनन्दन पर्व-2015’ के तहत डाॅ0 शशि गोयल को सुभद्रा कुमारी चैहान महिला बाल साहित्य सम्मान, डाॅ0 अजय जनमेजय को सोहन लाल द्विवेदी कविता सम्मान, श्री अखिलेश श्रीवास्तव ‘चमन’ को अमृत लाल नागर बाल कथा सम्मान, श्री जावेद आलम शम्सी को शिक्षार्थी बाल चित्रकला सम्मान, श्री निश्चल को लल्ली प्रसाद पाण्डेय बाल साहित्य पत्रकारिता सम्मान, श्री लायकराम ‘मानव’ को डाॅ0 रामकुमार वर्मा बाल नाटक सम्मान, डाॅ0 अरविन्द मिश्र को जगपति चतुर्वेदी बाल विज्ञान लेखक सम्मान, श्री शादाब आलम को उमाकान्त मालवीय युवा बाल साहित्य सम्मान से सम्मानित किया। सम्मान स्वरूप इन बाल साहित्यकारों को 51 हजार रुपए की धनराशि, अंगवस्त्र व प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ बाल साहित्यकार डाॅ0 शेरजंग गर्ग ने आयोजन को सम्बोधित करते हुए कहा कि बाल साहित्यकार भावी पीढ़ी को बनाता है। इसलिए माता-पिता को भी बाल साहित्य से जुड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिन्दी का विकास होगा तभी अन्य भारतीय भाषाओं का भी विकास होगा। कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत करते हुए उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष श्री उदय प्रताप सिंह ने कहा कि वर्तमान में हिन्दी संस्थान की जीवन्तता मुख्यमंत्री की देन है। उन्होंने संस्थान की हर मांग को पूरा किया। बाल साहित्यकारों के सम्मान का कार्यक्रम भी मुख्यमंत्री ने शुरू कराया था।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश पंजाबी एकेडमी की पुस्तिका ‘पंजाबी प्रवेशिका’ का लोकार्पण भी किया। एकेडमी के उपाध्यक्ष श्री हरपाल सिंह जग्गी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने सभी भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहित करने का काम किया है। पंजाबी भाषा को प्रोत्साहित करने के लिए मुख्यमंत्री ने पंजाबी एकेडमी के गैर वेतन बजट को 10 लाख रुपए से बढ़ाकर 01 करोड़ रुपए कर दिया है।
इस अवसर पर राजनैतिक पेंशन मंत्री श्री राजेन्द्र चैधरी, प्रमुख सचिव भाषा श्री किशन सिंह अटोरिया, मुख्यमंत्री के सचिव श्री पार्थ सारथी सेन शर्मा, हिन्दी संस्थान के निदेशक श्री मनीष शुक्ल सहित वरिष्ठ अधिकारी तथा बड़ी संख्या में साहित्यकार व साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।
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