देहरादून: बुधवार को मुख्यमंत्री हरीश रावत ने ‘‘बाल एवं मातृत्व सम्मान दिवस’’, ‘‘वार अगेन्स्ट एनिमिया एंड लुकोरिया’’ का शुभारम्भ करते हुए कहा कि स्वास्थ्य विभाग, प्रदेश में मातृत्व मृत्यु दर व शिशु मृत्यु दर में 5 प्रतिशत की कमी लाने का लक्ष्य निर्धारित करे। न्यू कैंट रोड़ स्थित मुख्यमंत्री आवास में आयोजित कार्यक्रम में ‘‘आशा-किरण’’ आॅन लाईन सिस्टम व मोबाईल एप का भी शुभारम्भ किया गया। प्रदेश में कार्यरत आशाओं को सीयूजी सिम दिए जाने की विधिवत शुरूआत भी की गई।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि जब से हमने गर्भवती महिलाओं को 2 किग्रा मंडुवा, 1 किग्रा काला भट व 1 किग्रा नमक देना शुरू किया, कुछ जिलों में मातृत्व मृत्यु दर में कमी देखने को मिली है। परंतु हमारे लिए चिंता का विषय है कि अन्य जिलों में मातृत्व मृत्यु दर व शिशु मृत्यु दर में अपेक्षाकृत कमी नहीं आ पाई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक अभियान चलाकर आशाओं, एएनएम व दाईयों को प्रशिक्षित किया जाए ताकि वे महिलाओं व बच्चों में रक्ताल्पता व कुपोषण की जांच मौके पर ही कर सकें।
‘‘वार अगेन्स्ट एनिमिया एंड लुकोरिया’’ के लिए बधाई देते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि योजना को महिलाओं की विभिन्न प्रकार की जांच संबंधी सुविधाओं का सपोर्ट देना होगा। आशा व एएनएम मिलकर काम करें तो एनिमिया एंड लुकोरिया को दूर करने में बड़ा परिवर्तन ला सकती हैं। मंडुवा, काला भट व झंगोरा को खाने की आदतों में शामिल करना होगा। एकाध हरी सब्जी को किसी तरीके से फूड सप्लीमेंट में शामिल करने का प्रयास किया जाए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने आंगनबाड़ी केंद्रों, अस्पतालों की कैंटीनों में खाना लोहे की कढ़ाई में पकाए जाने की शुरूआत किए जाने की सराहना करते हुए कहा कि सरकार, खाना बनाने में प्रयुक्त होने वाले लोहे के बर्तनों पर वैट माफ करने पर विचार करेगी। उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद अधिकारियों को निर्देश दिए कि लुकोरिया व एनिमिया ग्रस्त महिलाओं को सेनेट्री नेपकिन भी उपलब्ध करवाए जाएं। श्रम विभाग में पंजीकृत महिला श्रमिकों व इंटर में पढ़ने वाली छात्राओं को भी सेनेट्री नेपकिन उपलब्ध करवाई जाएं।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने प्रदेश में मातृत्व मृत्यु दर व शिशु मृत्यु दर में 5 प्रतिशत की कमी लाने का लक्ष्य निर्धारित करते हुए कहा कि ‘खिलती कलियां’ व ‘अन्न प्राशन’ योजना को बाल एवं मातृत्व सम्मान दिवस से समन्वित किया जाए। प्रत्येक 5 तारीख को आगंनबाड़ी केंद्रों में लगने वाले कैम्प में स्वास्थ्य विभाग की फील्ड कर्मचारी भी उपस्थित रहें।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि आशा, एएनएम, आंगनबाड़ी वर्कर सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं। राज्य सरकार भी उनके हित में हर सम्भव प्रयास कर रही है। ‘आशा किरण’ आॅन लाईन सिस्टम से उनकी पारिश्रमिक भुगतान संबंधी समस्याएं दूर हो जाएंगी। उŸाराखण्ड ऐसा राज्य है जो प्रोत्साहन राशि के साथ ही आशाओं को निश्चित मानदेय भी दे रहा है। आंगनबाड़ी व आशा वर्कर को सेवानिवृŸिा पर लाभ के लिए 5-5 करोड़ रूपए जबकि भोजन माताओं के लिए 1 करोड़ रूपए का रिवाल्विंग फंड बनाया गया है। इसके साथ ही उनके लिए अंशदायी बीमा योजना भी प्रारम्भ की जा रही है। सरकार उनकी सेवा शर्तों में सुधार लाने की प्रत्येक कोशिश कर रही है।
स्वास्थ्य मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि आशाएं हमारे हेल्थ सिस्टम की आधार हैं। सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार का निरंतर प्रयास कर रही है। यदि मां स्वस्थ है तो बच्चा भी स्वस्थ होगा। प्रदेश में महिलाओं में एनिमिया की अधिक समस्या है। इसी को देखते हुए वार अगेन्स्ट एनिमिया एंड लुकोरिया प्रारम्भ किया गया है। डेंगू का जिक्र करते हुए श्री नेगी ने कहा कि डेंगू से डरने की आवश्यकता नहीं है बल्कि जागरूकता की आवश्यकता है। आईएमए के सहयोग से रविवार को दो जगहों पर कैम्प लगाया जाएगा। हमारे पास एलाईजा टेस्ट के लिए पर्याप्त मात्रा में किट उपलब्ध है। साथ ही पर्याप्त मात्रा में प्लेटलेट भी उपलब्ध है।
कार्यक्रम में जानकारी देते हुए बताया गया कि प्रत्येक माह की 9 तारीख को समस्त चिकित्सा इकाईयों में बाल एवं मातृत्व सम्मान दिवस आयोजित किया जाएगा। इसके तहत ही ‘‘वार अगेन्स्ट एनिमिया व लुकोरिया’’ प्रारम्भ किया जा रहा है। इसके तहत मुख्यतः महिलाओं में रक्त की कमी को दूर करने के लिए आवश्यक फूड सप्लीमेंट उपलब्ध करवाने के साथ ही जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा। प्रदेश में मातृत्व मृत्यु दर 165 प्रति 1 लाख जबकि शिशु मृत्यु दर 40 प्रति 1 हजार है। इसका मुख्य कारण गर्भवती महिलाओं में खून की कमी है। आशा वर्कर, महिलाओं को एनिमिया व लुकोरिया को दूर करने के उपायों की जानकारी देंगी।
‘आशा-किरण’ आॅन लाईन सिस्टम व मोबाईल एप की जानकारी देते हुए बताया गया कि राजस्थान द्वारा उपलब्ध करवाए गए ‘आशा-साॅफ्ट’ व पी.सी.टी.एस. साफ्टवेयर को एनआईसी उŸाराखण्ड के सहयोग से राज्य की आवश्यकतानुसार संशोधित करते हुए ‘आशा-किरण’ सिस्टम विकसित किया गया। इसके माध्यम से राज्य की सभी आशाओं को उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों पर विभिन्न मदों में देय प्रोत्साहन राशि का भुगतान आॅनलाईन सीधे उनके बैंक खातों में स्थानांतरित हो सकेगा। भुगतान स्थानांतरण की सूचना प्रत्येक आशा को उनके रजिस्टर्ड मोबाईल नम्बर पर एसएमएस द्वारा दी जाएगी। उŸाराखण्ड पूरे भारत में दूसरा राज्य होगा जो आशा कार्यकत्रियों को आॅनलाईन भुगतान करने जा रहा है। इससे राज्य में कार्यरत 11 हजार से अधिक आशाओं को प्रतिमाह 7 तारीख को अनिवार्य रूप से भुगतान कर दिया जाएगा। मोबाईल एप से आशाओं को अपने भुगतान की स्थिति व किए जा रहे कार्यों का ब्यौरा देखने में सुविधा मिलेगी।
कार्यक्रम के दौरान सर्वश्रेष्ठ काम करने वाली आशा कार्यकत्रियों को पुरस्कृत किया गया। अर्जित पाईन्ट के आधार पर प्रति वर्ष आशाओं को सम्मानित किया जाएगा। प्रदेश की सभी आशाओं को सीयूजी सिम उपलब्ध करवाने की भी विधिवत शुरूआत की गई। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को लोहे की कढ़ाई व किशोरियों को पौष्टिक आहार किट भी भेंट किया गया। मुख्यमंत्री श्री रावत ने दो आशा कार्यकत्रियों से दीप प्रज्वलन करवाकर कार्यक्रम की शुरूआत करवाई।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव ओमप्रकाश, सचिव डा.भूपिंदर कौर औलख सहित अन्य विभागीय अधिकारी, स्टेट बैंक व वोडाफोन के अधिकारी सहित बड़ी संख्या में आशा व आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां उपस्थित थीं। स्टेट बैंक व वोडाफोन के अधिकारियों द्वारा घोषणा की गई कि प्रत्येक वर्ष अच्छा प्रदर्शन करने वाली आशा कार्यकत्रियों को उनके द्वारा पुरस्कृत किया जाएगा।