वाशिंगटन: अमेरिका और चीन ने व्यापार में चल रहे तनाव को खत्म करने के लिए कदम उठाया है। दोनों देशों ने इसको लेकर एक समझौता किया है। इसके तहत चीन अब अमेरिका से आयात बढ़ाएगा। अमेरिकी वस्तुओं का आयात बढ़ाकर चीन 375 अरब डालर के अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करने पर ध्यान देगा। अमेरिका के साथ दूसरे दौर की वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने संयुक्त बयान जारी कर एक-दूसरे के खिलाफ व्यापार युद्ध नहीं छेड़ने का संकल्प जताया।
संयुक्त बयान के अनुसार अमेरिका के चीन के साथ व्यापार घाटे को उल्लेखनीय रूप से कम करने के लिए प्रभावी उपाय करने को लेकर एक आम सहमति थी। इसमें कहा गया है कि चीनी जनता की खपत जरूरतों को पूरा करने तथा उच्च गुणवत्ता के आर्थिक विकास की जरूरत को पूरा करने के लिये चीन उल्लेखनीय मात्रा में अमेरिकी वस्तुओं और सेवाओं की खरीद करेगा। इससे अमेरिका में वृद्धि तथा रोजगार को समर्थन मिलेगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर चीन उसके व्यापार घाटे में शुरुआती दौर में 100 अरब डॉलर तथा 2020 तक 200 अरब डॉलर की कमी नहीं लाता है तो चीनी वस्तुओं के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
अमेरिका का कहना है कि पिछले साल कुल 636 अरब डॉलर के व्यापार में से व्यापार घाटा 375 अरब डॉलर का था। वहीं चीन का कहना है कि व्यापार घाटा करीब 200 अरब डॉलर है। चीन ने भी जवाबी कदम उठाने की चेतावनी दी थी लेकिन बाद में मामले में नरम रुख अपनाते हुए अमेरिका से वस्तुओं के आयात की दिशा में कदम बढ़ाया।
दोनों देशों के बीच व्यापार प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के समापन पर जारी संयुक्त बयान के अनुसार दोनों पक्षों ने अमेरिकी कृषि तथा ऊर्जा निर्यात में सार्थक वृद्धि पर सहमति जतायी। अमेरिका इस संदर्भ में एक दल चीन भेजेगा जो इस बारे में विस्तार से काम करेगा।
अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल में वित्त मंत्री स्टीवन म्नुचिन, वाणिज्य मंत्री विलबर एल रोस तथा अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि राबर्ट ई लाइथीजर शामिल थे। वहीं चीनी प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई उप-प्रधानमंत्री तथा राष्ट्रपति शी चिनफिंग के विशेष प्रतिनिधि लिऊ ही ने की। दोनों पक्षों ने विनिर्मित वस्तुओं तथा सेवाओं में व्यापार बढ़ाने पर भी चर्चा की। दोनों देशों में इन क्षेत्रों में व्यापार बढ़ाने के लिये अनुकूल माहौल बनाने को लेकर सहमति भी बनी।