नई दिल्ली: नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्थायी समिति के अध्यक्ष श्री झांग देजियांग के नेतृत्व में चीन जनवादी गणराज्य का एक शिष्टमण्डल कल (15 जून, 2015) को राष्ट्रप्रति भवन में राष्ट्रप्रति श्री प्रणव मुखर्जी से मिला।राष्ट्रपति ने शिष्टमण्डल का स्वागत करते हुए कहा कि श्री झांग की भारत यात्रा भारत और चीन के बढ़ते संबंधों का प्रतीक है। इससे भारत चीन संसदीय आदान-प्रदान में जीवंतता आयेगी क्योंकि नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के अध्यक्ष की भारत यात्रा 14 वर्ष पहले हुई थी। लोकसभा के अध्यक्ष की चीन यात्रा भी 2006 में हुई थी।
राष्ट्रपति ने भारत और चीन की संसदों के बीच आदान-प्रदान बढ़ाने की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि भारत इसे पारस्परिक समझदारी बढ़ाने का महत्वपूर्ण मार्ग समझता है। भारत चीन के साथ संबंधों को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है और भविष्य में मैत्रीपूर्ण सहयोग संबंधों को विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है। हाल के वर्षों में चीन के साथ भारत के संबंधों में चौतरफा प्रगति हुई है। भारत-चीन द्विपक्षीय व्यापार 2014 में 70.59 बिलियन डॉलर था। यह उसके पहले के वर्ष से 7.9 प्रतिशत अधिक था। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत आर्थिक सहयोग के पूर्ण क्षमता का लाभ उठाना चाहता है लेकिन व्यापार घाटा चिंता का विषय है। यह अच्छी बात है कि व्यापार घाटे को कम करने के मामले पर विचार करने के लिए एक उच्च स्तरीय समूह बनाया गया है।
राष्ट्रपति ने भारत के मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में अपनी भागीदारी बढ़ाने के लिए चीनी कंपनियों को आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि भारत के मेक इन इंडिया कार्यक्रम का लाभ चीनी कंपनियों द्वारा न उठाने का कोई कारण नहीं दिखता। राष्ट्रपति ने नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के अध्यक्ष की चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरों की स्थायी समिति के सदस्य के रूप में उच्च स्तरीय राजनीतिक समझदारी तथा भारत-चीन संबंधों की गहरी जानकारी के लिए उनकी सराहना की।
नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्थाई समिति के अध्यक्ष ने अपने संबोधन में कहा कि वह चीन से और बेहतर संबंध के लिए भारत के प्रमुख नेताओं में सहमति से बहुत प्रभावित हुए हैं। दोनों देशों की मित्रता से न केवल दोनों देशों की जनता को लाभ होगा बल्कि इसका प्रभाव पूरे क्षेत्र व विश्व पर पड़ेगा।