उनका कहना है कि आईटीबीपी के एक गश्ती दल ने जल्द ही इन चीनी सैनिकों का प्रतिरोध किया और रोका। इसके बाद कुछ घंटे के लिए दोनों तरफ के जवान एक दूसरे के आमने-सामने रहे। फिर स्थिति सहज हो गई और दूसरा पक्ष अपने पुराने स्थल पर लौट गया।
इस घटना को लेकर सेना की प्रतिक्रिया फिलहाल नहीं मिल पाई है। वैसे सेना का यह कहना रहा है कि सीमा को लेकर अलग अलग अवधारणा के कारण एलएसी पर टकराव होता है। चीनी सैनिकों के दल का नेतृत्व कर्नल स्तर का एक अधिकारी कर रहा था और इसमें दो मेजर भी शामिल थे। चीनी पक्ष के जवान हथियारों से लैस थे और आईटीबीपी जवानों के पास भी हथियार एवं दूसरे साजो-समान थे।
दौलत बेग ओल्डी में मई, 2013 में दोनों पक्षों के बीच तीन सप्ताह तक टकराव के बाद से 90 किलोमीटर की पानगोंग झील के किनारे के इलाके में हालात तनावपूर्ण रहे हैं। चीन फिंगर-4 इलाके में सड़क का निर्माण कराने में सफल रहा है जो सिरिजाप इलाके में भी पड़ती है और एलएसी के पांच किलोमीटर अंदर तक है।