नई दिल्ली: इस बात पर जोर देते हुए कि वृत्तीय अर्थव्यवस्था और संसाधनों की कार्य क्षमता पर्यावरण संबंधी निरंतरता के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए आर्थिक वृद्धि की प्रक्रिया के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान प्रदान कर सकती है, केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने संसाधनों के क्षमता निर्माण में कॉरपोरेट की भागीदारी और एक वृत्तीय अर्थव्यवस्था की आवश्यकता बताई है। ‘‘सभी के भविष्य’’ विषय पर आज यहां 13वें वहनीयता शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए डॉ. हर्ष वर्धन ने सफल प्रबंधन और वनों के विकास, वन्य जीव प्राकृतिक वास और पर्यावरण प्रणाली के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय वन सर्वेक्षण की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार भारत में वनों और वृक्षों से अच्छादित क्षेत्र में एक प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि निरंतर विकास की बात करते समय अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के बारे में एक साथ बात होनी चाहिए। वर्तमान सरकार ने इन दोनों को बराबर महत्व दिया है और हम निरंतर विकास के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं। डॉ. हर्षवर्धन ने पर्यावरण, वन, वन्य जीव और तटवर्ती नियंत्रण क्षेत्र के दायरे में एकल खिड़की मंजूरी प्रणाली ‘परिवेश’ के हाल ही में कार्यान्वयन की चर्चा की। उन्होंने कहा कि स्वचालित प्रणाली से आवेदनकर्ताओं को अपने आवेदन की स्थिति का पता लगाने के साथ ही पर्यावरण संबंधी स्वीकृति को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। डॉ. हर्षवर्धन ने भारत द्वारा 5पी-पीपल (जनसमूह), प्लेनेट (नक्षत्र), प्रॉसपैरेटी (समृद्धि), पीस (शान्ति) और पार्टनरशिप (सहभागिता) को जोड़कर अच्छी जीवन शैली अपनाने के सकारात्मक कार्य का जिक्र किया।
इस बात को स्वीकार करते हुए कि हवा की गुणवत्ता एक पर्यावरण संबंधी मुद्दा है जो देश के नागरिकों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है, डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्य योजना और वायु गुणवत्ता निगरानी संरचना ऐसे क्षेत्र हैं जिन पर सरकार का विशेष ध्यान है। डॉ. हर्षवर्धन ने दृढ़ता से कहा कि पर्यावरण संबंधी चुनौतियां समाज के सभी वर्गों द्वारा मिलकर कार्य करने को अनिवार्य बनाती हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य ने प्रकृति पर भारी दवाब डाला है जिसके परिणामस्वरूप जलवायु परिवर्तन, ग्लेशियरों के पिघलने, जैव विविधता की हानि, गरीबी और बढ़ती असमानता जैसी वैश्विक चुनौतियां पैदा हुई हैं। डॉ. हर्षवर्धन ने शहरों के ठोस कचरे को उचित तरीके से अलग करने और प्लास्टिक कचरे को दोबारा इस्तेमाल के उपयोगी बनाने के लिए योजनाएं बनाने का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि हम कचरा संग्रह और उसके निपटारे की प्रभावशाली प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न शहरी प्राधिकारों और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के साथ कार्य कर रहे हैं।
डॉ. हर्षवर्धन ने वायु प्रदूषण नियंत्रण, कचरा प्रबंधन, नदी संरक्षण अथवा जैव विविधता संरक्षण जैसी विभिन्न पहलों पर सरकार के साथ हाथ मिलाने के लिए उद्योग के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया।
इस अवसर पर आवास और शहरी विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत का विकास पथ हरित होगा और यह 2030 के विकास संबंधी एजेंडा के अनुरूप होगा। उन्होंने कहा कि भारत विश्व के बढ़ते तापमान से मुकाबला करने के प्रयासों में एकजुट है और राष्ट्रीय स्तर पर भारत के भावी योगदान पर नजर डाली जाए तो यह इसकी पुष्टि करता है। उन्होंने 2022 तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने के लक्ष्य को अभूतपूर्व बताया। उन्होंने कहा कि ठोस कचरा प्रबंधन, वायु प्रदूषण, मलिन बस्तियों में रहने वालों के लिए आवास तथा जल संबंधी आपदाएं जलवायु से जुड़े कुछ ऐसे पहलू हैं जिन्हें लक्ष्य 11 में शामिल किया गया है।
भारत को 2 अक्टूबर, 2019 तक खुले में शौच मुक्त बनाने और शत-प्रतिशत वैज्ञानिक ठोस कचरा प्रबंधन के स्वच्छ भारत मिशन के उद्देश्य की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन न केवल संरचना से जुड़ा है बल्कि इससे नागरिकों में व्यवहार संबंधी सांस्कृतिक बदलाव आएगा।
श्री पुरी ने कहा कि मकानों के निर्माण में नई और वैकल्पिक टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल, जलवायु के अनुसार पर्यावरण अनुकूल उपलब्ध स्थानीय सामग्री को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे न केवल निर्माण लागत बल्कि कार्बन पदचिन्ह कम होंगे। उन्होंने सस्ती, पर्यावरण अनुकूल और आधुनिक शहरी परिवहन सेवाओं पर जोर दिया और कहा कि दिल्ली मेट्रो आज दुनिया की सर्वेश्रेष्ठ परिवहन प्रणालियों के समकक्ष है।
इस अवसर पर भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक चन्द्रजीत बनर्जी, यूरोपीयन कमीश्नर श्री कारमेनू वेल्ला और उद्योग तथा समाज के अन्य प्रतिनिधि उपस्थित थे।