देहरादून: मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने केन्द्र से उत्तराखण्ड की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजनाओं में 90 प्रतिशत केन्द्रांश स्वीकृत किए जाने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने नई दिल्ली में केन्द्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आवासन व शहरी विकास मंत्रालय व नागरिक उड्डयन मंत्रालय, श्री हरदीप सिंह पुरी से भेंट करते हुए हरिद्वार में वर्ष 2021 में आयोजित होने जा रहे महाकुम्भ मेले के लिए भारत सरकार से 5 हजार करोड़ रूपए की वन टाईम ग्रान्ट दिए जाने का भी आग्रह किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड के हरिद्वार में महाकुम्भ मेला 2021 का आयोजन किया जाना है। इसमें देश-विदेश से 15 करोड़ तीर्थ यात्रियों के आने की सम्भावना है। मेले के सफल आयोजन के लिए आवास, परिवहन, स्वास्थ्य, सुरक्षा सहित विभिन्न अवस्थापना सेवाओं व सुविधाओं संबंधी कार्य बड़े पैमाने पर किए जाने हैं। राज्य सरकार ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं। सभी स्थायी व अस्थायी कार्य अक्टूबर 2020 तक पूरे किए जाने है। मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री से उत्तराखण्ड राज्य के सीमित आर्थिक संसाधनों की सीमितता को देखते हुए भारत सरकार से हरिद्वार महाकुम्भ मेला 2021 के लिए 5 हजार करोड़ रूपए की वन टाईम ग्रान्ट स्वीकृत किए जाने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संबंध में केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण से भी अनुरोध किया जा चुका है।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने केन्द्रीय मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी को स्वच्छ भारत मिशन के तहत उत्तराखण्ड में किए गए कार्यों की जानकारी देते हुए कहा कि जैव विविधता व वन आच्छादन से भरपूर उत्तराखण्ड राज्य को स्वच्छ व सुन्दर रखे जाने के लिए ‘स्वच्छ भारत मिशन’ का विशेष महत्व है। राज्य सरकार द्वारा भी इस दिशा में गम्भीरता से प्रयास किए गए हैं। राज्य के सभी नगरों को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के अंतर्गत परियोजना लागत का केवल 35 प्रतिशत अंश वीजीएफ ग्रान्ट( वायबिलिटी गैप फंडिंग) के रूप में भारत सरकार से अनुमन्य किया जा रहा है। उत्तराखण्ड में अधिकांश नगर पर्वतीय अंचलों में स्थित हैं। इसके अलावा यहां ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में पीपीपी की सम्भावना भी कम है। इसलिए राज्य में स्वच्छ भारत मिशन के वर्तमान व भावी चरणों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजनाओं के लिए केन्द्रांश की अनुमन्यता 90 प्रतिशत किए जाने की आवश्यकता है।