लखनऊ: स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत प्रदेश में तरल एवं ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन पर राज्य के लिए मार्गदर्शिका तैयार करने एवं टेक्नालाजी विकल्पों पर जागरूकता उत्पन्न करने के लिए उद्यमिता विकास संस्थान, उ.प्र. द्वारा ‘‘ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबन्धन-मार्गदर्शिका एवं टेक्नालाजी विकल्प पर एक तीन दिवसीय कार्यशाला का समापन किया गया।
कार्यशाला के प्रथम सत्र में मुस्कान ज्याति संस्था से श्री मेवालाल ने कृषि अपशिष्ट से जैविक खाद के उत्पादन हेतु तीन प्रकार की तकनीकों पर प्रकाश डाला, जिनके माध्यम से किसान न केवल कचड़े का निस्तारण कर सकते हैं अपितु अपने खेतों में फसलों की उत्पादकता में भी वृद्धि कर सकते हैं। श्री मेवालाल ने कहा कि कूड़े का प्रबन्धन तभी लोकप्रिय एवं व्यवहारिक हो सकता है जब उसको एक व्यवासायिक उद्योग के रूप में विकसित किया जाये।
दूसरे सत्र में श्री प्रमोद डबरास, मुम्बई ने बड़े रोचक तरीके से अनेकों उदाहरणों के साथ 25 राज्यों में चल रही अपशिष्ट नीति पर चर्चा की। उन्होंने झारखण्ड राज्य में आरंभ होने वाली नीति पर भी प्रकाश डाला।
श्री वेकटेश्वर लू, आयुक्त एवं निदेशक,उद्योग, उ.प्र. ने कार्यशाला के तीनों सत्र में प्रतिभागियों से पंचायत स्तर एवं जिला स्तर पर ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबन्धन पर चर्चा की। श्री लू ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन को सफल बनाने के लिए पल्स पोलियों जैसे सफल कार्यक्रमों से सीख लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अपशिष्ट प्रबन्धन को उद्योगों से जोड़ने की अच्छी संभावनायें हैं। इस क्षेत्र में बहुत अच्छी टेक्नालाजी है। आवश्यकता है कि इन टेक्नालाजी का क्षेत्र की आवश्यकताओं एवं वातावरण को ध्यान में रखते हुए आंकलन किया जाये। एवं उद्यमियों को इस क्षेत्र में इकाइयाॅं लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाये। उन्होनें कहा कि इस क्षेत्र में उद्योग इकाईयाॅं लगाने के लिए उद्यमियों का सब्सिडी, टेक्नालाजी उपलब्ध कराने के लिए विशेष योजना की आवश्यकता है। प्रतिभागियों ने बताया कि विभिन्न योजनाओं/ कार्यक्रमों से जुड़े होने के कारण अपशिष्ट प्रबन्धन को प्राथमिकता नहीं मिल पाती है, यदि इस कार्यक्रम को ध्यान में रखते हुए नये सिरे से सर्वे एवं जनगणना की जाये तो कार्यक्रम के लिए व्यवहारिक कार्यान्वयन योजना तैयार की जा सकेगी। प्रतिभागियों का यह भी सुझाव था कि इस प्रकार के कार्यक्रमों की मानीटरिंग यदि संख्या में न करके गुणवत्ता के आधार पर की जाये तो परिणाम बेहतर प्राप्त होंगे। आयुक्त एवं निदेशक,उद्योग ने कहा कि तमाम बाधाओं के बीच में हर व्यक्ति स्वयं अपने स्तर पर क्या प्रयास कर सकते हैं इस पर ध्यान दें और इस भाव से काम करें कि यह मेरा गाॅंव है यह मेरा काम है तो निश्चित ही यह कार्यक्रम सफल होगा। कार्यक्रम में श्री एस0एन0सिंह, उप निदेशक, पंचायती राज ने कहा कि हमारा प्रयास है कि फील्ड स्तर की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए राज्य की मार्गदर्शिका तैयार की जाये और सुनियाजित योजना बना कर स्वच्छ भारत कार्यक्रम को उत्तर प्रदेश में सफल बनाया जाये।
कार्यशाला के दौरान राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञ सलाहकार श्री प्रमोद डबरास ने गाइडलाइन फ्रेमवर्क, ठोस एवं तरल अपशिष्ट के संबंध में जानकारी देते हुए इस बात पर जोर डाला कि टेक्नालाजी की सफलता में बहुत सारे कारक होते हैं। अतः समुदाय की आवश्यकता, आॅंकलन एवं प्राकृतिक वातावरण का ध्यान रखने के साथ ही यह महत्वपूर्ण है कि लोगों की आदतों एवं व्यवहार में परिवर्तन हो। अतः इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन से जुड़े लोगों को व्यवहार परिवर्तन पर ध्यान देना होगा। श्री वाई0डी0 माथुर, सुलभ इण्टरनेशनल, डा0 एच0एस0 शंकर, आई0आई0टी0 मुम्बई, श्री वकील अहमद, सलाहकार, श्री मेवा लाल, मुस्कान ज्योति ने तरल एवं ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन पर विभिन्न प्रकार की टेक्नालाजी पर प्रकाश डाला।
कार्यशाला के अंतिम सत्र में प्रतिभागियों ने प्रजेटेशन दियें जिसमें यह चिन्हित किया गया कि कार्यक्रम में कौन-कौन लोग स्टेक होल्डर हैं एवं उनसे क्या अपेक्षायें हैं, क्या समस्यायें है और उनके संभावित समाधान क्या हो सकते हैं। सभी प्रतिभागियों एवं विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि तकनीकी जानकारी, कार्यक्रम से जुड़े सामाजिक एवं व्यावहारिक मुद्दों की समझ, राजनीतिक मंशा एवं प्राथमिकता एवं समुदाय की सहभागिता को ध्यान में रखते हुए स्पष्ट गाइडलाइन स्वच्छ भारत मिशन की सफलता के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस श्रृंखला की अगली कार्यशाला ‘ ठोस एवं तरल अपशिष्ट आई0ई0सी0‘ पर आयोजित की जानी है।
कार्यशाला के दौरान टेक्नालाजी के प्रयोग को समझने के लिए प्रतिभागियों को मुस्कान ज्योति द्वारा निन्दूरा गाॅंव में कृषि जनित कचरे से आर्गनिक खाद एवं तरल खाद/कीटनाशक बनाने की इकाई का भ्रमण भी कराया गया।