लखनऊ: प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डा0 शिवाकान्त ओझा ने कहा है कि राज्य के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों तथा जिला चिकित्सालयों को रेफरिंग अस्पतालों का रूप दे दिया गया है और अकारण मरीजों को यहां से मेडिकल कालेज तथा पीजीआई जैसे बड़े चिकित्सालयों में संदर्भित किया जा रहा है। इस प्रवृत्ति पर तत्काल लगाम लगाई जाए। उन्होंने कहा कि ओ0पी0डी0 में देखे जाने वाले मरीजों का समुचित इलाज किया जाय। ओ0पी0डी0 में आने वाले मरीजों की संख्या, उनके उपचार तथा मरीजों को दूसरे चिकित्सालयों में रेफर करने से संबंधित सूचना 15 दिन के भीतर मुख्यालय भेजी जाए। उन्होंने इसकी नियमित मानीटरिंग के लिए एक सेल बनाने के भी निर्देश दिए हैं।
डा0 ओझा आज बापू भवन स्थित सभागार में स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकारी चिकित्सालयों में बेहतर उपचार की बेहतर सुविधाओं की उपलब्धता के बाद भी वहाँ पर खाली बेडों की संख्या साफ दर्शाता है कि डाक्टर मरीजों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के प्रति संवेदनशील नहीं है। उन्होंने प्रमुख सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य श्री अरूण कुमार सिन्हा को निर्देश दिए कि सरकारी अस्पतालों की चिकित्सा व्यवस्था में सुधार लाया जाए, ताकि प्रदेश सरकार की मंशा को साकार रूप मिल सके और समाज के निम्नत्म से निम्नत्त व्यक्ति को चिकित्सा सुविधा का लाभ मिले। उन्होंने निर्देश दिए कि अधिकारी केवल दफ्तर में न बैठें, बल्कि चिकित्सालयों का निरीक्षण भी करें।
मंत्री ने कहा कि प्रदेश के सरकारी चिकित्सालयों में सफाई व्यवस्था बिलकुल ठीक नहीं है। संक्रामक रोग बढ़ने का सबसे बड़ा कारण गंदगी है। उन्होंने निर्देश दिए कि सफाई व्यवस्था दुरूस्त करने के लिए एक माह तक लगातार अभियान चलाया जाए, जिस अस्पताल में गंदगी पाई जाए वहां के अधिकारियों के विरूद्ध कठोर कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि चिकित्सकों द्वारा बाहर से दवाइयां लिखना बहुत गम्भीर समस्या है। यह कृत्य प्रदेश सरकार के प्रयासों को धूमिल कर रहा है। मलेरिया विभाग द्वारा फागिंग का कार्य भी ठीक से नहीं कराया जा रहा है। उन्होंने निर्देश दिए कि इन कमियों को दूर करने के लिए तत्काल ठोस कदम उठाए जाए।
चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं जंतु उद्यान राज्यमंत्री डा0 शिव प्रताप यादव ने कहा कि अस्पतालों में मरीजों को चिकित्सा सुविधा सुगमता से मिलनी चाहिए। सरकारी योजनाओं का डिस्प्ले अस्पताल की दीवारों पर होना चाहिए। आउटसोर्स पर तैनात कर्मियों को समय से पारिश्रमिक मिलेे, ताकि वे पूरे मनोभाव से जनसेवा करें। उन्होंने निर्देश दिए कि अस्पताल में बेड खाली न होने का बहाना बनाकर किसी भी मरीज को बिना इलाज किए वापस नहीं किया जाए, यदि इस प्रकार का कोई मामला उनके संज्ञान में आया तो संबंधित के विरूद्ध सख्त कार्रवाई होगी।
बैठक में सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य श्रीमती, हेकाली झिमोमी, महानिदेशक श्री सुनील श्रीवास्तव सहित वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।