केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि विजन इंडिया @2047 में भारत के क्षमता संसाधनों के इष्टतम उपयोग का ध्यान रखना चाहिए।
प्रशासनिक सुधार विभाग (डीएआरपीजी) द्वारा आयोजित विजन इंडिया @2047 पर सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि क्षमता संसाधन प्रबंधन भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बनने जा रहा है क्योंकि देश अगले 25 साल की विकास यात्रा का रोडमैप तैयार कर रहा है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी की प्रबंधन प्रथाओं को अपनाना सरकारों के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है और इसी उद्देश्य से प्रधानमंत्री मोदी ने महत्वाकांक्षी विजन इंडिया@2047 पहल की शुरुआत की है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), संवर्धित वास्तविकता (एआर), ब्लॉकचेन, ड्रोन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), रोबोटिक्स, 3डी प्रिंटिंग और वर्चुअल रियलिटी (वीआर) जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों का शासन सहित जीवन के सभी पहलू पर व्यापक प्रभाव पड़ने वाला है। उन्होंने कहा कि हालांकि, अब से 25 साल बाद उभर रहे भारत के सटीक आकार की कल्पना करना मुश्किल है, लेकिन एक बात तय है कि जब स्वतंत्र भारत 100 साल का होगा, तो यह दुनिया का तकनीकी और आर्थिक महाशक्ति होगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि मोदी सरकार के पिछले 8 वर्षों के दौरान कई पहलों, नीतियों, योजनाओं और कार्यक्रमों ने नए भारत के उदय और आत्मनिर्भर भारत के उद्भव में योगदान दिया है, लेकिन कई मोर्चों पर चुनौतियां हैं जिनके लिए नवाचार समाधान की आवश्यकता है। समस्या समाधान में एकीकृत दृष्टिकोण का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि आम आदमी के “आसान जीवन” के लिए विश्वास बढ़ाने और अनुपालन को कम करने की आवश्यकता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि “जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन” सिविल सेवकों के लिए प्रशिक्षण का एक अनिवार्य स्तंभ बनना चाहिए। आपदा प्रबंधन के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका की कल्पना करते हुए केंद्रीय मंत्री ने बताया कि जलवायु अनुसंधान पर एक मेगा विज्ञान मिशन का जल्द ही अनावरण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नए अवसर और नई चुनौतियां सामने आती रहेंगी और इसलिए सिविल सेवकों को सही समय पर पहल करने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि नागरिकों और सरकार को करीब लाने के लिए डिजिटल संस्थानों का निर्माण करना होगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने सार्वजनिक सेवाओं के वितरण में नैतिकता पर भी बहुत जोर दिया और कल्पना की कि आने वाले वर्षों में प्रौद्योगिकी नागरिकों द्वारा शासन के एक मॉडल को आगे बढ़ाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने विशिष्ट डिजिटल पहचान और सामान्य सेवा केंद्रों तक पहुंच प्रदान करके प्रत्येक नागरिक के लिए एक प्रमुख उपयोगिता के रूप में डिजिटल बुनियादी ढांचे को सुनिश्चित करने का प्रयास किया है और विभागों/मंत्रालयों में सेवाओं के निर्बाध एकीकरण द्वारा मांग पर हजारों सेवाएं प्रदान की हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि एक राष्ट्र एक राशन कार्ड, ई-ऑफिस, सीपीजीआरएएमएस, पासपोर्ट सेवा केंद्र, ई-अस्पताल जैसे कार्यक्रम जिस अभूतपूर्व पैमाने पर लागू किए गए हैं वो सरकार की ‘बिल्डिंग टू स्केल बिल्डिंग टू लास्ट’ दृष्टिकोण अपनाने की इच्छा को दर्शाता है जहां सुधार की जड़ें गहरी और लंबे समय तक चलने वाली हैं।
डीएआरपीजी सचिव श्री वी. श्रीनिवास ने बताया कि 2021 में प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग ने प्रशासनिक सुधारों को गहरा करने के उद्देश्य से 3 महत्वपूर्ण अभियानों को लागू करने में पूरे सरकारी दृष्टिकोण को अपनाने का प्रयास किया है। निर्णय लेने में दक्षता बढ़ाने की पहल में निवेदन के माध्यमों को कम करने, वित्तीय प्रतिनिधिमंडल, ई-ऑफिस संस्करण 7.0 का संचालन, केंद्रीय पंजीकरण इकाइयों का डिजिटलीकरण और सभी मंत्रालयों/विभागों में डेस्क अधिकारी प्रणाली के संचालन की परिकल्पना की गई है।
इंडिया विजन @47 के लिए अपने विचार प्रस्तुत करने वाले कुछ प्रतिष्ठित विशेषज्ञों में प्रभात कुमार, पूर्व कैबिनेट सचिव, अजीत कुमार सेठ, पूर्व कैबिनेट सचिव, संजय कोठारी, पूर्व सीवीसी, डॉ. सी. चनरमौली, पूर्व डीओपीटी सचिव, डॉ. के. राधाकृष्णन, इसरो के पूर्व अध्यक्ष, प्रोफेसर हिमांशु रॉय, निदेशक, आईआईएम, इंदौर, प्रोफेसर अभय करंदीकर, निदेशक, आईआईटी कानपुर, डॉ. आर. बालासुब्रमण्यम, सदस्य-एचआर, क्षमता निर्माण आयोग, एस. एन. त्रिपाठी, महानिदेशक, आईआईपीए शामिल थे।