देहरादून: मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह की अध्यक्षता में गुरूवार को सचिवालय में स्टेट काउंसिल आन क्लाइमेंट चेंज की बैठक हुई। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बैंगलोर के प्रो.रवीन्द्र नाथ, आईआईटी, दिल्ली के प्रो.ए.के.गोसाई सहित अन्य विशेषज्ञों ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उत्तराखण्ड के विशेष संदर्भ में संभावित जोखिम के आंकलन, जोखिम से बचने की तैयारी और कार्य योजना पर चर्चा की गई।
बताया गया कि उत्तराखण्ड में क्लाइमेंट चेंज सेंटर की स्थापना कर नेशनल मिशन आन सस्टेनिंग हिमालया के अनुरूप कार्य किया जा रहा है। क्लाइमेंट एक्शन गु्रप, सैक्टोरल ग्रुप, नॉलेज मैनेजमेंट ग्रुप बनाकर कार्य योजना बना ली गयी है। प्रो. रवीन्द्रनाथ ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के वैज्ञानिक साक्ष्य हैं। हिमालयी क्षेत्रों का तापमान बहुत अधिक बढ़ रहा है। हिम के पिघलने और ग्लेशियरों के टूटने के संकेत मिले है। इनसे होने वाले खतरों के आंकलन की जरूरत है। प्रो0 ए.के.गोसाई ने जलवायु परिवर्तन से होने वाले प्रभावों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि चम्पावत और टिहरी गढ़वाल सबसे अधिक प्रभावित होने वाले जनपद है। इसके बाद हरिद्वार, अल्मोड़ा और बागेश्वर में जलवायु परिवर्तन का प्रतिकूल असर पडेगा। मुख्य सचिव ने आटोमेटिक वेदर स्टेशन स्थापित करन,े 43 सदस्यां वाले क्लाइमेट एक्शन ग्रुप के गठन, 20 सदस्यीय वर्किंग ग्रुप, नालेज मैनेंजमेंट सेल के गठन की मंजूरी दी।
बैठक में प्रमुख सचिव ऊर्जा डॉ.उमाकांत पंवार, सचिव सिंचाई आनंद बर्धन, सचिव आईटी दीपक कुमार सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।