देहरादून: कांग्रेस- 2016 के समापन सत्र में विज्ञान धाम,झाझरा में डाॅ0 एस0एस0 नेगी, महानिदेशक, वन, पर्यावरण,
जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार, नई दिल्ली ने मुख्य अतिथि के रूप में अपने सम्बोधन में कहा कि शोध एवं अनुसंधान में बेहतर स्थिति के लिए पुस्तकालयों के विकास तथा उनमें संदर्भ पुस्तकों व ग्रंथों की उपलब्धता बनायी जानी चाहिए। उन्होंने विज्ञान धाम परिसर में स्थापित नवनिर्मित आंचलिक विज्ञान केन्द्र को प्रदेश के युवाओं व आमजनों मंे वैज्ञानिक आधार विकसित करने के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में उपयोग करने का आहवान किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहें इन्दु कुमार पाण्डे, वित्तीय सलाहकार, मा0 मुख्य मंत्री ने अपने सम्बोधन में युवा वैज्ञानिकों व शोधार्थियों से कहा कि परम्परागत ज्ञान को आधुनिक परिवेश में प्रयोग किये जाने की महत्ती आवश्यकता है। उन्होंने योग के अन्तराष्ट्रीयकरण को आधुनिक जीवन पद्धति का एक भाग बनाने की जरूरत पर बल दिया।
समापन समारोह में उपस्थित बाबा बीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के कुलपति, डाॅ0 आर0सी0 सोबती ने अपने व्याख्यान में स्टेम सेल्स शोध के द्वारा विभिन्न रोगों के उपचार में प्रकाश डाला। उन्हांेने यह बताया कि मानव अंगों को दोबारा कैस ओरगेनोजिनिसिस के माध्यम से पुनः जीवित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जब पौधों में दोबारा नई कोपलें और टहनियों उत्पन्न हो जाती है तो मानव शरीर में क्यों नहीं नये उत्तक और अंग बनाये जा सकते है। उल्लेखनिय है कि भविष्य में आने वाले समय में रोगों का उपचार स्टेम सेल्स के माध्यम से किया जा सकेगा।
कार्यक्रम में उपस्थित प्रो0 एच0एस0 धामी, कुलपति, कुँमाऊ विश्वविद्यालय ने प्रतिभागी वैज्ञानिकांे से कहा कि उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधारों से भारत विश्व मंे उच्च स्थान प्राप्त कर सकता है। उन्होंने सेमिनारों व सम्मेलनों के व्यापक आयोजन पर जोर दिया।
उत्तराखण्ड तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो0 पी0के0 गर्ग ने कहा कि युवाओं को विज्ञान व तकनीकी विषयांे पर उच्च शिक्षा व शोध की ओर अग्रसर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों व उद्योगों को मिलजुल कर कार्य करने की आवश्कता है ताकि समुचित रूप से वैज्ञानिक कौशल विकास वाले युवाओं को बेहतर रोजगार मिल सके। बी0एस0आई0पी0, लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ0 सी0एम0 नौटियाल ने विज्ञान संचार के बारे में बताया। वाडिया इन्स्टीट्यूट आॅफ हिमालयन जियोलाॅजी के निदेशक डाॅ0 अनिल कुमार गुप्ता ने कहा कि वैज्ञानिक समुदाय को उच्च शिक्षण संस्थाओं में शोध एवं अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि राष्ट्र विकास की दिशा में तेजी से आगे बढ़ सके।
डाॅ0 राजेन्द्र डोभाल महानिदेशक, उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, (यूकाॅस्ट) ने समापन समारोह में दशम प्रादेशिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कांग्रेस की संस्तुतियों को प्रस्तुत किया तथा तीन दिवसीय विज्ञान कांग्रेस की सम्पूर्ण रिपोर्ट को भी साझा किया। डाॅ0 डोभाल द्वारा विज्ञान कांग्रेस के दौरान आयोजित चार ब्रेन स्टार्मिंग सत्रों में उपस्थित विशेषज्ञो द्वारा दी गयी संस्तुतियों के साथ कहा कि 16 विषयों के कुल 490 शोध पत्र प्रस्तुत किये गये। जिनकों अन्य राज्यों से आये राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों द्वारा मौखिक एवं पोस्टर प्रस्तुतियों को परखने के बाद कुल 50 युवा वैज्ञानिकों को पुरस्कृत करने की संस्तुति दी। जिनमें 28 पुरूष तथा 22 युवा महिला वैज्ञानिकों को चुना गया।
चुने गये सभी युवा वैज्ञानिकों को मंचासीन अतिथियों द्वारा प्रशस्ति पत्र व प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। सर्वाधिक 14 पुरस्कार जी0बी0 पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के शोधर्थियों को प्रदान किये गये। उसके पश्चात एच0एन0बी0 गढ़वाल विश्वविद्यालय को 6, कुमाऊ विश्वविद्यालय को 4 पुरस्कार प्रदान किये गये।
इस अवसर पर यूकाॅस्ट द्वारा प्रो0 एस0पी0 सिंह, पूर्व कुलपति, एच0एन0बी0 गढ़वाल विश्वविद्यालय, पन्तनगर को इकोलोजी के क्षेत्र में विज्ञान एवं टैक्नोलाॅजी एक्सीलेंस पुरस्कार से नवाजा गया। साथ ही इनोवेटर आॅफ द ईयर-2016 पुरस्कार सोमजीत मण्डल, ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय, देहरादून को दिया गया।
इस विज्ञान कांग्रेस के आयोजन में सहभागी उत्तराखण्ड पेट्रोलियम एण्ड एनर्जी स्टडीज़ (यू0पी0ई0एस0), के कुलाधिपति, प्रो0 एस0जे0 चोपड़ा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम के सराहनीय संचालन के लिए मोना बाली को यूकाॅस्ट द्वारा सम्मानित किया गया।
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