देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने देहरादून में प्रस्तावित स्मार्ट सिटी योजना में तोंगजी विश्व विद्यालय चायना के साथ हुए समाझौता ज्ञापन को राज्य के लिये बड़े अवसर की शुरूआत बताया
है।
शुक्रवार को कैन्ट रोड़ स्थित मुख्यमंत्री आवास पर मुख्यमंत्री श्री रावत की उपस्थित में तोंगजी विश्व विद्यालय चायना के अर्बन डेवलपमेंट, शंघाई तोंगजी अर्बन प्लानिंग एवं डिजाइन इंस्टीट्यूट के डीन डा. शिया एवं उपाध्यक्ष एमडीडीए आर. मीनाक्षी सुन्दरम के मध्य समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि दून को स्मार्ट सिटी बनाने के लिये एमडीडीए, नगर निगम व अन्य सभी सहयोगियों ने टीम भावना से कार्य कर इसे एम.ओ.यू तक पहुंचाया है। हुडकों ने भी 490 करोड़ की वित्तीय सहायता की सहमति दी है। उन्होंने कहा कि चाय बागान की लगभग 350 एकड़ भूमि पर होने वाली स्मार्ट सिटी का प्रस्ताव 15 दिसम्बर तक केन्द्र सरकार को भेज दिया जायेगा। उन्होने कहा कि नये स्थान पर स्मार्ट सिटी बनाने के साथ ही देहरादून शहर के विकास में भी पूरा ध्यान दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि चाय बागान की भूमि पर बनने वाली स्मार्ट सिटी का भू-स्वामित्व सरकार के पास रहेगा। भूमि अधिग्रहाण से प्रभावित लोगों का पूरा ध्यान रखा जायेगा।
मुख्यमंत्री श्री रावत कहा कि देहरादून में स्मार्ट सिटी बनने, अवस्थापना सुविधाओं के विकास से ग्रोथ में स्थायित्व आयेगा। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी टाउनशिप विकसित की जायेगी। शहरीकरण की जरूरतों को पूरा करने के लिये लेण्ड पूल बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि तोंगजी विश्व विद्यालय द्वारा इस योजना में 60 प्रतिशत पूंजी निवेश व तकनीकि सहयोग दिया जायेगा। उनके द्वारा बिजिंग, शंघाई व अमेरिका आदि देशों में भी इस क्षेत्र में कार्य किया जा रहा है, इसी को ध्यान में रखते हुए इन्हें सहयोगी बनाया गया है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि केंद्र द्वारा स्मार्ट सिटी के लिए प्रारम्भिक तौर पर चयनित शहरों में देहरादून को शामिल किया गया है। हमारे सामने दो विकल्प थे। पहला, वर्तमान देहरादून में ही रेट्रोफिटिंग कन्सेप्ट के साथ बदलाव लाते। इसके लिए नगर निगम को आगे आना होता। परंतु वर्तमान में नगर निगम देहरादून की स्थिति ऐसी नहीं है कि इसमें कुछ विशेष कर पाता। दूसरा, एक नए क्षेत्र को स्मार्ट कन्सेप्ट के साथ विकसित करते। इसमें मसूरी की तरफ नहीं बढ़ा जा सकता था। रायपुर में वन क्षेत्र आ जाता है। डोईवाला में कृषि भूमि है जो कि चीनी मिल को सपोर्ट करता है। इससे सैंकड़ों लोगों की आजीविका जुड़ी है। सर्वश्रेष्ठ विकल्प चाय बागान की भूमि थी। उन्होंने कहा कि चाय बागान में वर्तमान में कार्यरत मजदूरों को स्मार्ट सिटी में रोजगार उपलब्ध करवाया जाएगा और उन्हें अच्छा घर भी उपलब्ध करवाया जाएगा। एफआरआई से यह बताने को कहा गया है कि स्मार्ट सिटी में पर्यावरणीय कारणों से कितना ग्रीन कवर आवश्यक है, उतनी भूमि इसके लिए चिन्हित कर दी जाएगी।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि स्मार्ट सिटी को उच्च स्तरीय एजुकेशन व हेल्थ सर्विसेज के हब के रूप में विकसित किया जाएगा। देहरादून व उत्तराखण्ड के हित में हमने केंद्र सरकार की स्मार्ट सिटी के कन्सेप्ट को ग्रहण किया है। यदि राज्य सरकार इसे नहीं अपनाती तो कहा जाता कि हमने अवसर खो दिया है। स्मार्ट सिटी पर हम पारदर्शी तरीके से आगे बढ़ना चाहते हैं। यहां से होने वाली आय के माध्यम से पुराने देहरादून सहित उत्तराखण्ड के अन्य स्थानों का भी विकास किया जाएगा। उन्होंने स्मार्ट सिटी के लिये निगम बोर्ड द्वारा दी गई सहमति के लिये भी धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर तोंगजी विश्व विद्यालय के डीन डा. शिया ने कहा कि उनका विश्व विद्यालय एवं संस्थान आईटी, ऊर्जा, सोलर ऊर्जा, स्वच्छ पेयजल, उद्योग, शिक्षा आदि क्षेत्रों में वे कार्य कर रहे है। उन्होंने कहा कि अपने ज्ञान व तकनीकि के बल पर इस योजना को बेहतर बनाने का उनका प्रयास रहेगा।