देहरादून, बीएचबीसी न्यूज। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग मामले में एक अन्य याचिका के दायर होने के बाद नया मोड़ आ गया है। कोर्ट ने इस याचिका की सुनवाई 17 फरवरी के लिये तय की है। इससे पहले अदालत ने मुख्यमंत्री की याचिका पर अगली सुनवाई 13 पफरवरी के लिये निश्चित की थी।
सामाजिक कार्यकर्ता एवं गढ़वाल मंडल विकास निगम के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ नेगी ने जनहित याचिका दायर कर इस मामले में पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत, एक चैनल के मुख्य संपादक उमेश कुमार व द्वाराहाट के विधायक मदन सिंह बिष्ट के खिलाफ सीबीआई जांच का आग्रह किया है। याचिका में नेगी की ओर से कहा गया है कि मुख्यमंत्री का स्टिंग करने वाले लोग स्वयं कई आरोपों से घिरे हुये हैं। उन पर ब्लैक मेलिंग और फर्जीवाड़े के आरोप हैं। इसलिये उनके खिलाफ भी सीबीआइ की जांच होनी चाहिये। याचिका में स्टिंग प्रकरण को ही ब्लैकमेलिंग का मामला बताया गया है। याची की ओर से आज अदालत में उनके वकील मिस्टर पचोलिया ने पैरवी की। हाइकोर्ट कोर्ट इस मामले में 17 फरवरी को सुनवाई करेगा।
इससे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग मामले में गत सप्ताह हाई कोर्ट की एकलपीठ में सुनवाई के बाद अगली तिथि 13 फरवरी तय हुयी थी। न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की एकल पीठ के समक्ष पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत के अधिवक्ता राजेश्वर सिंह और विकास बहुगुणा दलील प्रस्तुत की। उस मामले में सीएम की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल व अन्य अधिवक्ता दलील पूरी कर चुके हैं, जबकि केंद्र सरकार, राज्य सरकार तथा सीबीआई की ओर से जवाब व प्रति उत्तर दाखिल किया जा चुका है। एकलपीठ के समक्ष हरक के अधिवक्ता राजेश्वर सिंह ने अरुणांचल के सीएम दोरजी केस का हवाला देते हुए दलील दी थी कि एक बार जांच शुरू होने के बाद जांच एजेंसी नहीं बदली जा सकती।