नई दिल्ली: नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लान्बा, पीवीएसएम, एवीएसएम, एडीसी 19 दिसंबर 2016 से जापान की अधिकारिक यात्रा पर हैं। इस यात्रा का उद्देश्य मौजूदा दोनों देशों के बीच समुद्री सहयोग पहल को मजबूत करने के साथ ही नए अवसरों की तलाशन करना है।
भारत और जापान के बीच दोस्ती का एक दीर्घकालिक इतिहास आध्यात्मिक संबंध और मजबूत सांस्कृतिक एवं सभ्यतागत संबंधों में निहित है। जापान के साथ भारत का सबसे पहला प्रलेखित सीधा संपर्क नारा में टोडाजी मंदिर के साथ हुआ, जहां भगवान बुद्ध की विशाल प्रतिमा की प्रतिष्ठापन या अभिषेक का काम 752 ई. में एक भारतीय भिक्षु बोधिसेन ने किया था। समकालीन समय में, जापान के साथ जुड़े प्रमुख भारतीयों में स्वामी विवेकानंद, गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर, जेआरडी टाटा, नेताजी सुभाष चंद्र बोस एवं न्यायाधीश राधाविनोद पाल शामिल हैं। जापान-इंडिया एसोसिएशन 1903 में स्थापित किया गया था, और आज यह जापान की सबसे पुरानी अंतरराष्ट्रीय मैत्री संस्था है।
भारत और जापान के बीच रक्षा सहयोग मजबूत है और मुख्य रूप से समुद्री सहयोग की दिशा में केंद्रित है। भारत-जापान व्यापक सुरक्षा वार्ता के साथ हमारा रक्षा सहयोग संस्थागत था, जिसकी 2001 में शुरूआत हुई थी।
2015 से अभ्यास में एक नियमित सदस्य के रूप में शामिल किए जाने से पहले जापानी समुद्री सेल्फ डिफेंस फोर्स (जेएमएसडीएफ) ने 2007, 2009, 2014 में मालाबार अभ्यास में भाग लिया है। जेएमएसडीएफ ने बंगाल की खाड़ी और पश्चिमी प्रशांत में क्रमश: मालाबार 15 और 16 में भाग लिया।
2014 में जापान को भी हिंद महासागर सामुद्रिक परिसंवाद (आईओएनएस) में शामिल किया गया जो कि भारतीय नौसेना द्वारा 2008 में संकल्पित एवं प्रवर्तित एक सामुद्रिक सहयोग रचना है।
दोनों देशों की नौसेनाएं नौसेना से नौसैनिक वार्ता में भी संलिप्त हैं, जिसकी शुरूआत 2008 में हुई। सातवीं नौसेना से नौसैनिक वार्ता 2017 में आयोजित किए जाने की कार्यक्रम है।