लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा है कि सहकारिता का आन्दोलन विशुद्ध रूप से लोकतांत्रिक व्यवस्था से जुड़ा एक अभियान है। सहकारी संस्थाओं की मजबूती और उनका आधार यह लोकतांत्रिक प्रणाली ही है। इसलिए हमारी सरकार ने यह निर्णय लिया कि जितनी सहकारी संस्थाएं हैं, उनकी नियमित कार्यपद्धति में भी यह व्यवस्था झलकनी चाहिए।
मुख्यमंत्री जी आज यहां इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में उ0प्र0 सहकारी ग्राम विकास बैंक की 42वीं वार्षिक सामान्य निकाय की बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने 42वीं वार्षिक सामान्य निकाय की बैठक के वार्षिक प्रतिवेदन का विमोचन भी किया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्तमान सरकार द्वारा कार्यभार ग्रहण किए जाने के समय प्रदेश में सहकारिता की स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। इस क्षेत्र में काफी उथल-पुथल थी। ऐसा लगता था कि यहां चन्द मुट्ठी भर लोगों ने इसे अपनी गिरफ्त में ले रखा है। सहकारिता आन्दोलन में स्वार्थी तत्वों की घुसपैठ के कारण यह आन्दोलन दम तोड़ने की कगार पर था। आज प्रदेश में सहकारिता उससे उबरकर लोकतांत्रिक प्रक्रिया से जुड़ गया है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि अब प्रदेश की सहकारी संस्थाएं न केवल लोकतांत्रिक पद्धति से कार्य कर रही हैं, बल्कि स्वतंत्र और स्वायत्त होकर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन भी कर रही हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि एम0एस0एम0ई0 सेक्टर के विस्तार और विकास में सहकारिता आन्दोलन उल्लेखनीय योगदान कर सकता है। यह न केवल उस सेक्टर को सुदृढ़ बना सकता है, बल्कि उसके माध्यम से रोजगार के सृजन और स्वावलम्बन का एक नवीन मार्ग भी प्रशस्त कर सकता है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने में सहकारिता आन्दोलन की बहुत बड़ी भूमिका है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि देश के अनेक राज्यों में सहकारिता आन्दोलन के माध्यम से वहां के किसानों और सामान्य नागरिकों के जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है। इसी क्रम में प्रदेश सरकार के सहकारिता विभाग ने सहकारी ग्राम विकास बैंक की स्वतंत्रता और स्वायत्तता को आगे बढ़ाने का प्रयास किया है। इस कार्य को निरन्तरता तभी मिलेगी, जब आप लोग अपनी कार्यशैली के माध्यम से बैंक की कार्यपद्धति में व्यापक परिवर्तन लाकर स्वयं को और अपने निर्वाचन को साबित करेंगे। बैंक को निष्पक्षता से कार्य करना होगा। अपने कार्यकलापों पर स्वयं निगरानी करनी होगी। बैंक पर अनावश्यक बोझ नहीं पड़ना चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बैंक की सामान्य निकाय की बैठक इससे जुड़े सभी लोगों को आत्म मंथन का अवसर देती है। टीम वर्क से सहकारिता आन्दोलन में नई जान फूंकने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बैंक के पदाधिकारी, संस्था हित और किसान हित में सोचें और तब निष्कर्षों को लागू करें। उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार जब सत्ता में आयी, तब उ0प्र0 सहकारी ग्राम विकास बैंक की स्थिति अत्यन्त दयनीय थी और इसे बन्द करने पर विचार किया गया था, परन्तु फिर इसके क्रियाकलापों में सुधार करते हुए इसे चलाने का निर्णय लिया गया। अब भी इस बैंक में सुधार की प्रक्रिया चल रही है। बैंक का दायित्व है कि वह इससे जुड़े लाभार्थियों के मन में सुरक्षा का भाव पैदा करे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने कार्यभार ग्रहण करने के तत्काल बाद अपनी पहली कैबिनेट बैठक में लघु एवं सीमान्त किसानों का फसली ऋण माफ करने का निर्णय लिया। ऋण के सही आंकड़ों की गणना के लिए तकनीक की सहायता ली गई। लिए गए ऋणों को आधार से जोड़ा गया, तब यह आंकड़ा 36,000 करोड़ रुपए आया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इस ऋण माफी के लिए लोन न लेकर इसकी व्यवस्था बजट में की। अपने राजस्व संग्रह को बढ़ाया। राजस्व को राजकोष में जमा करवाने की व्यवस्था की। इससे विकास को गति मिली।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश व्यापक सम्भावनाओं वाला राज्य है। दृढ़ इच्छाशक्ति और साफ नीयत से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। वर्तमान सरकार के अथक प्रयासों से आज उत्तर प्रदेश बेहतर स्थिति में है। निवेश का वातावरण सृजित हुआ है। निवेशकों का विश्वास बढ़ा है। इसके चलते प्रदेश में 03 लाख करोड़ रुपए का निवेश आया है। इससे 35 लाख युवाओं को रोजगार उपलब्ध हुआ है। ‘ईज ऑफ डुइंग बिजनेस’ रैंकिंग में आज उत्तर प्रदेश देश में दूसरे स्थान पर है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों को समय से खाद, पानी, बीज उपलब्ध कराकर खाद्यान्न का उत्पादन बढ़ाया है। कोरोना काल में सभी चीनी मिलें संचालित रहीं। कृषि को आत्मनिर्भर बनाया। इसके अलावा, एम0एस0एम0ई0 सेक्टर पर भी पूरा फोकस किया गया। राज्य सरकार के इन प्रयासों के चलते आज उत्तर प्रदेश देश की ‘टॉप टू’ इकोनॉमीज़ में से एक है। पहले बेरोजगारी की दर 17 प्रतिशत पर थी, जो अब घटकर 4 प्रतिशत पर आ गई है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यदि लोन के आकांक्षी लाभार्थियों को समय से लोन उपलब्ध करा दिया जाए और उनके चुने हुए क्षेत्र में उन्हें प्रशिक्षण उपलब्ध करा दिया जाए, तो प्रदेश का तेजी से विकास किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कृषि विविधीकरण के माध्यम से किसानों की आय में आश्चर्यजनक वृद्धि की जा सकती है। उन्होंने जनपद झांसी की महिलाओं के स्वयं सहायता समूह का उल्लेख करते हुए कहा कि इस समूह के दुग्ध उत्पादन का एक वर्ष का टर्नओवर 46 करोड़ रुपए था, जिसमें 02 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ। इसी प्रकार झांसी के एक परिवार द्वारा पहले छत पर फिर डेढ़ एकड़ खेत में स्ट्रॉबेरी की खेती कर 42 लाख रुपए की आमदनी अर्जित की गई। इसमें 36 लाख रुपए का मुनाफा शामिल है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रशिक्षण और तकनीक विकास को गति दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए और भी अच्छे प्रयास करने होंगे। बुन्देलखण्ड का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को प्राकृतिक गौ-आधारित खेती की ओर लाना होगा। इससे जहां एक ओर गौवंश की रक्षा होगी, वहीं दूसरी ओर लाभकारी खेती भी सम्भव हो सकेगी। इससे पशुपालन को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि एक चक्र के रूप के खेत और पशु एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। इस चक्र को और मजबूती प्रदान करनी होगी।
बैठक को सहकारिता मंत्री श्री मुकुट बिहारी वर्मा, उ0प्र0 सहकारी ग्राम विकास बैंक के सभापति श्री संतराज यादव तथा अपर मुख्य सचिव सहकारिता श्री एम0वी0एस0 रामीरेड्डी ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर उ0प्र0 सहकारी ग्राम विकास बैंक के उप सभापति श्री के0पी0 मलिक, प्रबन्ध निदेशक श्री ए0के0 सिंह सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।