नई दिल्ली: कोयला उत्पादन करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की महारत्न कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने 2019-20 तक एक अरब टन (बीटी) कोयला उत्पादन हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। सात प्रतिशत की अनुमानित वृद्धि दर से 2019-20 तक लगभग 1200 मिलियन टन (एमटी) की देश की कोयले की संभावित मांग को देखते हुए सीआईएल का एक अरब टन का कोयले का उत्पादन करने की उम्मीद है।
इसमें से 908 एमटी का योगदान पहचानी गई परियोजनाओं से प्राप्त होने की उम्मीद है। एक अरब टन की संख्या तक पहुंचने के लिए शेष मात्रा को साझा करने के लिए परियोजनाओं की पहचान की प्रक्रिया भी चल रही है। सीआईएल की दो सहायक कंपनियां संबलपुर आधारित महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड और बिलासपुर आधारित साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) के क्रमश: 250 एमटी और 240 एमटी के उत्पादन के साथ 1 बीटी के सीआईएल के एक अरब टन लक्ष्य को हासिल करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
कोल इंडिया ने विभिन्न मंत्रालयों एवं राज्य अधिकारियों के साथ परियोजना आधारित मुद्दों की नियमित निगरानी के लिए कोल परियोजना निगरानी समूह (सीपीएमजी) पोर्टल का निर्माण किया है। कोयला ढुलाई करने की समस्या से निपटने के लिए सीआईएल ने अपने खुद के फंड से 2000 रेलवे वेगनों को खरीदने का फैसला किया था जिसके लिए एक विशिष्ट कोष निर्धारित कर दिया गया है। इसके प्रयासों को समन्वित करने के लिए एसईसीएल के पास रेलवे से संबंधित अंतिम स्थान तक संपर्क सुनिश्चित करने समेत रेल नेटवर्क विकसित करने के लिए राज्य सरकारों के साथ पहले से ही दो स्पेशल पर्पज व्हीकल (एसपीवी) हैं।
भविष्य के लिए सीआईएल की रणनीतियों में उच्च क्षमता उपकरणों के साथ ओपन कास्ट खदानों में प्रौद्योगिकी उन्नयन शामिल है। सीआईएल प्रणाली में कई प्रकार की बेहतरियां लागू कर रही है जो कंपनी को अपने चुनौतीपूर्ण लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगी। आईसीटी, दूरसंचार संवेदी भू-भौतिकीय प्रौद्योगिकियों के उपयोग एवं उचित निगरानी एवं मूल्यांकन पद्धतियां इसकी मुख्य विशेषताएं होंगी।