14.5 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

कोल इंडिया 30 मिलियन टन क्षमता वाली नौ कोकिंग कोल वाशरी स्थापित करेगी: प्रल्हाद जोशी

देश-विदेश

भारत को आयात पर निर्भरता कम करने के लिए कोकिंग कोल का उत्पादन बढ़ाने पर पूरी तत्परता से ध्यान देने की जरूरत है। केन्द्रीय कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने यह बात देश में उपलब्ध कोकिंग कोल से संबंधित प्रौद्योगिकीय उपाय खोजने और उसके उपयोग के बारे में सभी हितधारकों से सुझाव आमंत्रित करते हुए कही।

श्री जोशी आज यहां कोयला मंत्रालय, कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ते हुए “भारतीय इस्पात क्षेत्र के लिए कोकिंग कोल से जुड़ी रणनीति” के बारे में एक कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर बोलते हुए, केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में कोकिंग कोल के आयात में वृद्धि हुई है, हालांकि घरेलू कोकिंग कोल का उत्पादन भी बढ़कर 51.7 मिलियन टन हो गया है।

इस वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में कोकिंग कोल के उत्पादन में 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। कोकिंग कोल ब्लॉक की नीलामी को उद्योग जगत से अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली और कोयला मंत्रालय इस संबंध में उद्योग जगत के सामने आने वाली समस्याओं को समझने का इच्छुक है। केन्द्रीय मंत्री ने देश में उपलब्ध कोकिंग कोल का उपयोग करने हेतु ऐसे प्रौद्योगिकीय उपाय और सुदृढ़ रणनीति की तलाश करने का आग्रह किया, जो इस क्षेत्र को एक आत्मनिर्भर भारत की दिशा में प्रधानमंत्री के पांच-सूत्री दृष्टिकोण के अनुरूप होने में मदद करे।

निजी क्षेत्र के लिए कोकिंग कोल खदान के ब्लॉकों के आवंटन एवं अन्वेषण संबंधी मानदंडों में ढील और कोयले के गैसीकरण के लिए 50 प्रतिशत की छूट के संदर्भ में मुख्य रूप से एमएमडीआर अधिनियम में संशोधनों के साथ विभिन्न नीतिगत समर्थन उपलब्ध हैं। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार कोकिंग कोल का उत्पादन बढ़ाने के लिए सभी उपाय करने के लिए तैयार है। उन्होंने बताया कि छोड़े हुए कोयला ब्लॉकों को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से लेकर उनकी नीलामी की जा रही है और वाणिज्यिक कोकिंग कोल ब्लॉकों में नीलामी की जा रही है।

कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) द्वारा 30 मिलियन टन क्षमता वाली नौ नई कोकिंग कोल वाशरी स्थापित की जानी हैं और इसके लिए बुनियादी ढांचे में आवश्यक सुधार कर लिया गया है।

इस्पात मंत्रालय के सचिव श्री संजय सिंह ने कोकिंग कोल के क्षेत्र के विरोधाभासों पर प्रकाश डालते हुए घरेलू कोकिंग कोल के उत्पादन के बारे में एक विवरण प्रस्तुत किया। इस्पात क्षेत्र को 60 मिलियन टन कोकिंग कोल की जरूरत है, जिसका 90 प्रतिशत हिस्सा आयात के जरिए पूरा किया जाता है। मंत्रालय ने ब्लास्ट फर्नेस और वाशरी में घरेलू कोयले का उपयोग करने तथा घरेलू कोयले के मिश्रण को 25-35 प्रतिशत तक बढ़ाने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। श्री सिंह ने लौह अयस्क एवं कोकिंग कोल पर निर्भरता कम करने के लिए अल्पकालिक रणनीति के रूप में खपत तथा स्क्रैप के उत्पादन में वृद्धि और दीर्घकालिक अवधि में उत्पादन में चार गुना वृद्धि करने का सुझाव दिया।

कोयला मंत्रालय के सचिव श्री ए. के. जैन ने भी कोकिंग कोल के उत्पादन में महत्वपूर्ण प्रगति की सराहना की। कोकिंग कोल के उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार की मिशन रणनीति के बारे में प्रकाश डालते हुए, श्री जैन ने कहा कि कोकिंग कोल इस्पात क्षेत्र के लिए एक ईंधन है और इस उद्योग में, विशेष रूप से कोयले की प्रचुरता वाले क्षेत्रों में निवेश को आकर्षित करने के लिए सुधारों की जरूरत है। कोयले की धुलाई, राख की मात्रा को कम करने और घरेलू कोकिंग कोल उत्पादन को बढ़ाने के लिए शुरू से लेकर अंत तक प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग पर ध्यान दिया जाएगा। श्री जैन ने कहा कि सरकार बंद वाशरी को खोलने, सीआईएल द्वारा स्थापित वाशरी को लीज पर देने, कोकिंग कोल खदानों के प्रबंधन और प्रौद्योगिकीय अनुप्रयोगों को एकीकृत करने सहित सभी आवश्यक कदम उठाने के लिए तैयार है।

संगोष्ठी में केन्द्रीय मंत्री एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए, कोल इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष श्री प्रमोद अग्रवाल ने कोकिंग कोल की आपूर्ति एवं मांग पक्षों के बीच संतुलन लाने, निजी क्षेत्र की भूमिका को निर्धारित करने, निम्न-श्रेणी के कोयले को प्रतिस्थापित करके गुणवत्ता में सुधार लाने और प्रौद्योगिकीय एकीकरण पर अधिक ध्यान देने के चार-सूत्री एजेंडे पर जोर दिया।

इस्पात क्षेत्र के लिए कोकिंग कोल की मांग एवं आपूर्ति, कोकिंग कोल के लाभ, इस्पात क्षेत्र के लिए प्रौद्योगिकी उन्नयन से संबंधित तकनीकी सत्र, पैनल चर्चा, सीईओ सत्र और प्रश्न – उत्तर सत्र इस महत्वपूर्ण एक दिवसीय कार्यशाला के मुख्य आकर्षण थे।

कोयला मंत्रालय के सचिव डॉ. ए. के. जैन, अतिरिक्त सचिव श्री एम. नागराजू, सीआईएल के अध्यक्ष प्रमोद अग्रवाल, इस्पात मंत्रालय के सचिव श्री संजय सिंह, सेल की अध्यक्ष श्रीमती सोमा मंडल, प्रख्यात उद्योगपतियों और कोयला एवं इस्पात क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने इस कार्यशाला में भाग लिया और आने वाले वर्षों में घरेलू कोकिंग कोयले के उत्पादन को बढ़ाने और आयात पर निर्भरता को कम करने के विभिन्न तरीकों के बारे में चर्चा की।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More