नई दिल्ली: केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग और नागरिक उड्डयन मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने भारत-चीन व्यापार पर वाणिज्य विभाग द्वारा कराए गए अध्ययन से सम्बन्धित रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में चीन के साथ भारत के बढ़ते व्यापार घाटे के स्तर का उल्लेख करने के साथ-साथ इसके कारणों का विश्लेषण भी किया गया है।
वाणिज्य मंत्री ने कहा कि चीन के साथ भारत का व्यापार सम्बन्ध अनूठा है और देश में लोगों की जितनी रुचि भारत-चीन व्यापार सम्बन्धों में होती है, उसकी तुलना किसी और द्विपक्षीय व्यापार सम्बंध से नहीं की जा सकती है। चीन वर्ष 2001 में भारत का एक छोटा व्यापार साझेदार था और 15 वर्षों की अवधि में ही चीन बड़ी तेजी से भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार बन गया है। दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ रहा है, लेकिन इसके साथ ही चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा भी बढ़ता जा रहा है।
मंत्री महोदय ने अध्ययन रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि ज्यादातर उद्योग संगठन चाहते हैं कि सरकार मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) को लेकर रक्षात्मक रुख अख्तियार करे और घरेलू उत्पादकों के लिए घरेलू बाजारों के सिद्धांत पर अमल करते हुए शुल्क दरों (टैरिफ) को बढ़ा दे। विश्व भर में संरक्षणवादी नीतियां तेजी से अमल में लाई जा रही हैं। वर्ष 2018 में विश्व भर में संरक्षणवादी उपायों का उपयोग अप्रत्याशित रहा और इसके साथ ही दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार युद्ध का खतरा भी मंडराने लगा है।