17.2 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

कलवरी श्रेणी की पांचवीं पनडुब्बी ‘वागीर’ की मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में कमीशनिंग

देश-विदेश

भारतीय नौसेना की रडार से बच निकलने में सक्षम स्कॉर्पीन श्रेणी की पांचवीं पनडुब्बी आईएनएस वागीर को आज, 23 जनवरी 2023 को मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में समारोह के मुख्य अतिथि नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार की उपस्थिति में नौसेना में शामिल किया गया। फ्रांस के मैसर्स नेवल ग्रुप के सहयोग से मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) द्वारा भारत में छह स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों का निर्माण किया जा रहा है। आईएनएस वागीर पश्चिमी नौसेना कमान के पनडुब्बी बेड़े का हिस्सा होगी तथा इसे कमान के शस्त्रागार में एक और शक्तिशाली हथियार के रूप में शामिल किया गया है।

वागीर को प्रोजेक्ट 75 (पी75) के तहत 12 नवंबर 2020 को लॉन्च किया गया था और समुद्री परीक्षणों के पूरा होने के बाद 20 दिसंबर 2022 को भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया था। वागीर को अब तक की सभी स्वदेश निर्मित पनडुब्बियों में सबसे कम निर्माण समय होने का गौरव प्राप्त हुआ है।

पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल एबी सिंह, एमडीएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक वाइस एडमिरल नारायण प्रसाद (सेवानिवृत्त) और रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ सैन्य तथा असैन्य अधिकारी कमीशनिंग समारोह के दौरान उपस्थित थे। भूतपूर्व ‘वागीर’ रूसी मूल की फॉक्सट्रॉट श्रेणी की एक पनडुब्बी को 2001 में सेवामुक्त कर दिया गया था, इसके चालक दल के सदस्य आज के समारोह के लिए विशेष रूप से आमंत्रित थे और तत्कालीन कमीशनिंग ऑफिसर आरएडीएम के राजा मेनन (सेवानिवृत्त) भी इस दौरान उपस्थित थे।

स्कॉर्पीन पनडुब्बियां बेहद शक्तिशाली प्लेटफॉर्म हैं, इसका रडार सिस्टम दुनिया से सबसे बेहतरीन में से एक है और यह इतनी उन्नत है कि रडार से बचने में सक्षम है। वागीर लंबी दूरी की गाइडेड टॉरपीडो के साथ-साथ युद्धपोत रोधी मिसाइलों से भी लैस है। इन पनडुब्बियों में अत्याधुनिक सोनार सुइट और उत्कृष्ट परिचालन क्षमताओं का परिचय देने वाला सेंसर सूट मौजूद है।

नौसेना प्रमुख का भाषण

इस अवसर पर नौसेनाध्यक्ष ने अपने संबोधन में कहा कि आईएनएस वागीर भारतीय नौसेना की परिचालन शक्ति को महत्वपूर्ण प्रोत्साहन देगा और किसी भी शत्रु के विरुद्ध एक शक्तिशाली रक्षक के रूप में कार्य करेगा।

नौसेनाध्यक्ष ने इस तथ्य का उल्लेख भी किया कि वागीर 24 महीने की छोटी सी अवधि में नौसेना में शामिल होने वाली तीसरी पनडुब्बी है। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि भारत के युद्धपोत निर्माण उद्योग के आने वाले युग तथा हमारे डिफेंस इकोसिस्टम की परिपक्वता को रेखांकित करता है। नौसेनाध्यक्ष ने कहा कि यह सफलता दुष्कर एवं जटिल सैन्य उपकरणों तथा प्लेटफॉर्म के निर्माण के लिए हमारे शिपयार्डों की विशेषज्ञता व अनुभव का एक शानदार प्रमाण भी है और यह वर्ष 2047 तक पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनने के लिए भारतीय नौसेना की स्पष्ट प्रतिबद्धता तथा दृढ़ संकल्प को और भी सशक्त करने का कार्य करता है।

नौसेनाध्यक्ष ने मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक और कर्मियों को उनके सराहनीय प्रयासों के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि एमडीएल भारतीय नौसेना के लिए एक करीबी तथा महत्वपूर्ण भागीदार है और यह ‘खरीदने वाली नौसेना’ से ‘निर्माण करने वाली नौसेना’ में परिवर्तन के लिए सबसे आगे रहा है।

नौसेनाध्यक्ष ने कमीशनिंग क्रू की सराहना करते हुए भविष्य के लिए अपना विश्वास व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि आप में से हर एक ‘अपना कर्तव्य निभाएगा और हर जिम्मेदारी को अच्छी तरह से पूरा करेगा। उन्होंने कहा कि वागीर गर्व के साथ राष्ट्र की सेवा करेगी और नौसेना की उच्चतम परंपराओं द्वारा निर्देशित होगी।‘

वागीर – सैंड शार्क

सैंड शार्क ‘गोपनीयता और निडरता’ का प्रतिनिधित्व करती है, इन्हीं दो गुणों की वजह से इस पनडुब्बी को यह नाम दिया गया है। पनडुब्बी का आदर्श वाक्य, ‘साहस, शौर्य, समर्पण’ पराक्रम, वीरता और निष्ठा के आधारभूत मूल्यों का प्रतीक है। ये मूल्य सभी परिस्थितियों में विजयी होने के लिए अपनी चरम दक्षता पर सभी कार्यों को पूरा करने तथा कठिन परिस्थितियों का सामना करने पर तालमेल बिठाने की क्षमता को दर्शाते हैं। आदर्श वाक्य नौसेना द्वारा आत्मसात किया गया है, जो उन्हें प्रतिकूल परिस्थितियों से उबरने के लिए प्रेरित करता है। इसका उद्देश्य सबसे कठिन परिस्थितियों में भी आत्मविश्वास बनाए रखना है, जिससे निर्भीक और साहसी बने रहने के लिए मनोबल प्राप्त हो और भारतीय नौसेना को ‘तेज तथा तत्पर’ रखा जा सके।

वागीर को शामिल करना भारतीय नौसेना के आधुनिकीकरण की दिशा में एक और सफल कदम है, जो एक निर्माता की तरह नौसेना की विशिष्ट स्थिति को मजबूत करता है, साथ ही यह दुनिया के एक प्रमुख युद्धपोत और पनडुब्बी निर्माण यार्ड के रूप में एमडीएल की क्षमताओं का प्रतिबिंब भी है। प्रोजेक्ट-75 रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में यार्ड की निरंतर सफलता में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

वागीर की शुरुआत आजादी के अमृत महोत्सव समारोह के साथ हो रही है। इस स्वदेशी पनडुब्बी का कमीशन करना एक बार फिर शानदार बदलाव को दर्शाता है और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की ओर अपना ध्यान केंद्रित करता है।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More