नई दिल्ली: महिलाओं की स्थिति के बारे में उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों पर विचार करने के लिए आज नई दिल्ली में एक कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में सरकार के 22 मंत्रालयों, 10 राज्य सरकारों और 22 सिविल सोसाइटी संगठनों और मीडिया के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट के आधार पर महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए व्यवहार्य तथ्य तैयार करने के लिए बुलाई गई थी। कार्यशाला में महिला और बाल विकास मंत्री श्रीमती मेनका संजय गांधी ने कहा कि महिलाओं की स्थिति पर उच्च स्तरीय समिति ने चार भागों वाली विशाल रिपोर्ट सौंपी है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट का सार ग्रहण करना और इसे कार्यशील मॉड्यूल में बदलना जरूरी है। उन्होंने कार्यशाला में भाग ले रहे प्रतिनिधियों से कहा कि वे विचार-विमर्श से एक कार्यशील रूपरेखा तैयार करने के लिए अल्प अवधि, मध्यम अवधि और दीर्घ अवधि के उद्देश्य तय करें। श्रीमती मेनका संजय गांधी ने कहा कि जमीनी स्तर पर महिलाओं के लिए जिन व्यावहारिक योजनाओं को लागू किया जा सकता है उनकी पहचान करना जरूरी है, उदाहरण के लिए महिलाओं की रक्षा, कौशल विकास आदि से जुड़ी योजनाएं जिनसे महिलाओं की रोजमर्रा की जिंदगी में अंतर पैदा करने में मदद मिले।
उच्च स्तरीय समिति की अध्यक्ष प्रोफेसर पैम राजपूत ने समिति की सिफारिशों पर एक प्रस्तुति दी। उन्होंने कानूनी पहलुओं, महिलाओं को अधिकार सम्पन्न बनाने के बारे में नई राष्ट्रीय नीति, स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत कार्य, शासन, मीडिया, अंतर मंत्रिस्तरीय समन्वय, अच्छी कार्य प्रणाली और संस्थागत बदलावों के बारे में नई राष्ट्रीय नीति बनाने सहित आवश्यक कार्य के क्षेत्रों को उजागर किया।
महिला और बाल विकास मंत्रालय में सचिव श्री वी. सोमसुन्दरम ने कहा कि महिलाओं को अधिकार सम्पन्न बनाने के लिए तीन मोर्चों पर कार्य करना जरूरी है इनमें महिलाओं और बच्चों के कल्याण के लिए अधिक धनराशि का नियोजन, महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा, कल्याण आदि पर गौर करने लायक सांचा विकसित करना तथा महिलाओं पर एक संशोधित नीति तैयार करना शामिल है।
कार्यशाला में महिलाएं और अर्थव्यवस्था; महिलाएं और सामाजिक अधिकारिता; महिलाएं, मीडिया और सूचना प्रौद्योगिकी, महिलाएं और कानून तथा संस्थागत तंत्र तथा शासन सहित चार समूहों के अंतर्गत दी गई सिफारिशों पर चर्चा की गई। कार्यशाला के अंत में पांचों समूहों ने अपने व्यवहार्य तथ्य प्रस्तुत किए। भाग लेने वाले प्रतिनिधियों ने श्रम कानूनों के अंतर्गत कामकाजी दत्तक और सरोगेट माताओं के लिए मातृत्व लाभ, आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं को शामिल करते हुए प्रत्येक खंड में बलात्कार और विपत्ति केन्द्र, सभी सार्वजनिक संगठनों में महिलाओं के खिलाफ नफरत करने वाली भाषा के इस्तेमाल पर रोक, स्कूलों में लड़कियों के लिए शत-प्रतिशत शौचालय, मासिक धर्म स्वास्थ्यकर पबंध कार्यक्रम, महिलाओं के लिए पृथक मीडिया नीति और सभी राजनैतिक दलों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था करने जैसे अनेक महत्वपूर्ण सुझाव दिए।