नई दिल्ली: भारत पहली बार विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति के निर्माण के लिए सामुदायिक रेडियो के माध्यम से बेजुबान की आवाज की रिकॉर्डिंग कर रहा है।
विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति (एसटीआईपी)-2020 के निर्माण की प्रक्रिया विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय (पीएसए) के साथ मिलकर शुरू की गई है। भारी परिवर्तन और समावेशी प्रक्रिया अपनाकर पॉलिसी के स्वरुप को विकेन्द्रित करने पर ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है।
यह नीति निर्माण प्रक्रिया लगभग 15,000 हितधारकों को शामिल करके चार इंटरलिंक किए गए ट्रैक पर आधारित है। जिसमें सामुदायिक रेडियो के माध्यम से इनपुट के समावेश को शामिल किया जा रहा है। तदनुसार, नेशनल काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी कम्युनिकेशन (एनसीएसटीसी), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने सामुदायिक रेडियो स्टेशनों (सीआरएस) की भागीदारी के माध्यम से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के लिए लोगों के इनपुट को ग्रहण करने के लिए एक विशेष तरीका तैयार किया है। देश भर के 291 सामुदायिक रेडियो स्टेशनों (सीआरएस) में से 25 सीआरएस की पहचान क्षेत्रीय विविधता, लिंग और पहुंच क्षमता के आधार पर की गई है। क्षमता निर्माण और सहयोग के लिए कॉमनवेल्थ एजुकेशनल मीडिया सेंटर फॉर एशिया (सीईएमसीए) के माध्यम से इस प्रक्रिया को कार्यान्वित किया जा रहा है।
डीएसटी द्वारा विकसित नीति पर श्रव्य सामग्री 1 अगस्त 2020 से पहचान किए गए सीआरएस के माध्यम से एक दिलचस्प जिंगल के साथ 13 भारतीय भाषाओं में प्रसारित की जा रही है और यह प्रसारण 30 सितंबर 2020 तक जारी रहेगा। एसटीआईपी 2020 में शामिल करने के लिए इन स्टेशनों के डेटा अनेक प्रारूपों में एकत्र किया जाएगा। समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ फोकस ग्रुप डिस्कशन (एफजीडी) पहले ही शुरू हो चुका है।
इस नीति का उद्देश्य विभिन्न वैज्ञानिक क्षेत्रों की आवश्यकता के अनुसार एसटीआई पारिस्थितिकी तंत्र की प्राथमिकताओं को पूरा करना है और इस प्रकार जन-केंद्रित दृष्टिकोण इसे राष्ट्र के समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए समाज की बदलती आकांक्षाओं के साथ पंक्तिबद्ध करेगा। सहभागी लोकतंत्र के मूलभूत लोकाचार को ग्रहण करने के लिए इस नीति के निर्माण में चार परस्पर जुड़ी ट्रैक वाले सहभागी मॉडल को अपनाया गया है।
डीएसटी के सचिव, प्रोफ़ेसर आशुतोष शर्मा ने कहा कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार पर यह नीति प्रासंगिक समस्याओं की पहचान करने और उनसे प्रभावी ढंग से निपटने के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं की पहचान से बहुत लाभ अर्जित करेगी।