नई दिल्ली: विलय और अधिग्रहण सम्बन्धी दाखिले को विभिन्न हितधारकों के लिए सरल और स्वीकार्य बनाने के उद्देश्य से जारी प्रयासों के हिस्से के रूप में भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (सीसीआई) ने अपने संयुक्त नियमनों में संशोधन करके उन्हें अन्य क्षेत्राधिकारों की श्रेष्ठ परम्पराओं को ध्यान में रखते हुए और भी अधिक अनुकूल बनाया है।
मार्च 2015 में सीसीआई ने संशोधनों के मसौदे को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करते समय अपनी परामर्शी प्रक्रिया के हिस्से के रूप में सभी हितधारकों से टिप्पणियां आमंत्रित की थीं। संशोधनों के बारे में सुझाव देते समय हितधारकों ने इसका स्वागत किया, क्योंकि इन संशोधनों से अब अधिक स्पष्टता और पारदर्शिता मिल रही है तथा अनावश्यक देरी से बचने में मदद मिल रही है।
मौजूदा संशोधनों द्वारा जो मुख्य बदलाव किया गया है वह ‘’अदर डाक्यूमेंट’’ नामक पद की परिभाषा से सम्बन्धित है। इसमें और भी अधिक निश्चितता लाने के उद्देश्य से ‘’अदर डाक्यूमेंट’’ नामक पद का दायरा अब किसी सांविधिक प्राधिकरण के साथ अधिग्रहण के विचार से किए जाने वाले संवाद तक सीमित किया गया है।
इसके अलावा प्रस्तावित संशोधनों से नोटिस पर हस्ताक्षर के बारे में विभिन्न पक्षों के लिए लोचशीलता उपलब्ध होती है। मौजूदा संशोधनों के अधीन निदेशक मंडल द्वारा विधिवत अधिकृत कोई व्यक्ति नोटिस पर हस्ताक्षर कर सकता है, साथ ही आयोग में दाखिल की जाने वाली सूचना की प्रतियों की संख्या में भी कमी की गई है।
हितधारकों से प्राप्त किए गए अनुरोधों को ध्यान में रखते हुए भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग ने विलय की अधिसूचना के लिए दाखिल किए जाने के लिए आवश्यक फार्म-1 में भी संशोधन किया है। इसके अतिरिक्त किसी नोटिस में दाखिले के लिए आवश्यक विवरण के बारे में विभिन्न पक्षों के लिए मार्गनिर्देश प्रकाशित किए जाऐंगे।