नई दिल्ली: विश्व सीमा शुल्क संगठन (डब्ल्यूसीओ) के नीतिगत आयोग की बैठक के 80वें सत्र का समापन आज मुंबई में हो गया। इस तीन दिवसीय सत्र के दौरान व्यापार आधारित मनी लांड्रिंग सहित वित्त अथवा धन के अवैध प्रवाह के खतरे के मुद्दे और इसे नियंत्रण में रखने के तौर-तरीकों पर भी विचार-विमर्श किया गया। इस तीन दिवसीय सत्र के दौरान कई अन्य मुद्दों पर भी चर्चाएं की गईं। उदाहरण के लिए, लघु द्वीप अर्थव्यवस्थाओं और उन्हें आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) एवं मुक्त व्यापार क्षेत्रों (फ्री ट्रेड जोन) की मुख्यधारा में कैसे लाया जाए, इस पर भी विचार-विमर्श किया गया। इस सत्र के दौरान सदस्य देशों ने सीमा पार व्यापार के विभिन्न क्षेत्रों में अपनाई जा रही सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों और अपने-अपने अनुभवों का आदान-प्रदान किया।
सत्र के दौरान डब्ल्यूसीओ के अधिकारियों ने इस आशय का विवरण प्रस्तुत किया कि डब्ल्यूसीओ में विभिन्न क्षेत्रों में क्या-क्या कार्य संपन्न किए जा रहे हैं। व्यापार में सुविधा, राजस्व संग्रह, समाज की सुरक्षा और क्षमता निर्माण पर अपने कार्य को आगे बढ़ाने के लिए डब्ल्यूसीओ की रणनीतिक योजना (2019-2022) पर चर्चा किया जाना भी इनमें शामिल है। इस दौरान प्रतिनिधियों ने सीमा पार मंजूरी से संबंधित विभिन्न प्रक्रियाओं के लिए प्रदर्शन को मापने के महत्व के साथ-साथ अपनाई जाने वाली पद्धतियों पर भी चर्चाएं कीं। विश्व बैंक की ‘कारोबार में सुगमता’ रैंकिंग सहित प्रदर्शन को मापने वाले विभिन्न वैश्विक साधनों या उपकरणों का जिक्र करते हुए इस पर भी विचार-विमर्श किया गया कि डब्ल्यूसीओ में सीमा शुल्क (कस्टम्स) के लिए प्रदर्शन को मापने का साधन अथवा उपकरण अवश्य ही होना चाहिए। दरअसल, इससे सीमा शुल्क प्रशासन या विभाग आयात और निर्यात की जाने वाली वस्तुओं की क्लीयरेंस से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों में अपने प्रदर्शन को मापने में सक्षम हो पाएंगे।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के चेयरमैन और सदस्य (सीमा शुल्क) ने इस सत्र के दौरान विभिन्न देशों के साथ अलग से द्विपक्षीय वार्ताएं की थीं जिसका उद्देश्य सीमा शुल्क से संबंधित अपने पारस्परिक मुद्दों पर विस्तारपूर्वक विचार-विमर्श करना था। इन देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, ईरान, उरुग्वे, युगांडा, बहरीन, पेरु, दक्षिण कोरिया, ब्राजील, न्यूजीलैंड, रूस और नाइजीरिया शामिल थे। भारत और पेरु ने पारस्परिक सहयोग के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। उधर, भारत और युगांडा ने दोनों ही देशों के लिए अधिकृत आर्थिक ऑपरेटरों (एईओ) के व्यापार में सुविधा हेतु पारस्परिक मान्यता समझौता (एमआरए) करने के लिए संयुक्त कार्य योजना (जेएपी) पर हस्ताक्षर किए।
विश्व सीमा शुल्क संगठन (डब्ल्यूसीओ) के नीतिगत आयोग की बैठक के तीन दिवसीय 80वें सत्र का आयोजन भारत सरकार के केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) द्वारा 3-5 दिसंबर, 2018 के दौरान मुंबई में किया गया।
इससे पहले उपर्युक्त बैठक का शुभारंभ सोमवार 3 दिसंबर, 2018 को केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री श्री अरुण जेटली के वीडियो संबोधन के साथ हुआ था। राजस्व सचिव श्री अजय भूषण पांडेय ने उद्घाटन भाषण दिया था। सीबीआईसी के चेयरमैन श्री एस. रमेश ने भारतीय सीमा शुल्क विभाग द्वारा लागू किए गए विभिन्न सुधारों का उल्लेख किया जिनकी बदौलत सीमा पार व्यापार से जुड़ी विश्व बैंक की ‘कारोबार में सुगमता’ रैंकिंग या सूचकांक में भारत जोरदार छलांग लगाकर पिछले वर्ष के 146वें पायदान से ऊपर चढ़कर इस वर्ष 80वें पायदान पर पहुंच गया। बैठक में भाग लेने वाले भारतीय प्रतिनिधिमंडल में सदस्य (सीमा शुल्क) श्री पी.के. दास भी शामिल थे।
डब्ल्यूसीओ के महासचिव श्री कुनियो मिकुरिया के साथ-साथ डब्ल्यूसीओ के अन्य शीर्ष अधिकारियों और विश्व भर से 30 से भी अधिक देशों से आए सीमा शुल्क प्रतिनिधिमंडलों ने भी सीमा शुल्क से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर आयोजित परिचर्चाओं में भाग लिया। डब्ल्यूसीओ और सभी सदस्य देशों ने भारत में इस नीतिगत आयोग सत्र की मेजबानी के लिए सीबीआईसी का धन्यवाद किया।