नई दिल्ली: इस्पात मंत्रालय 23 अक्टूबर 2018 को भुवनेश्वर, ओडिशा में ‘इस्पात क्षेत्र में पूंजीगत वस्तुएं; भारत में निर्माण‘ विषय पर एक सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। मीडियाकर्मियों को आज नई दिल्ली में संबोधित करते हुए इस्पात मंत्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह ने कहा कि यह सम्मेलन इस्पात क्षेत्र में पूंजीगत वस्तुओं की घरेलू क्षमता, क्षमता के निर्माण तथा विनिर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए इस्पात मंत्रालय की एक पहल है। इस सम्मेलन को ‘मेकॉन’ और सीआईआई की सहायता से आयोजित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य दुनिया भर के सर्वश्रेष्ठ श्रेणी के संस्थानों और उद्योगों के साथ व्यापक सहयोगी प्रयासों के माध्यम से भारत को विश्व श्रेणी के एक विर्निमाण केन्द्र के रूप में परिवर्तित करना है।
राष्ट्रीय इस्पात नीति (एनएसपी) 2017 में वर्ष 2030-31 तक 300 मिलियन टन इस्पात क्षमता स्थापित करने की योजना है। जिसका अर्थ है कि अगले 12 वर्षों के दौरान वर्तमान क्षमता 130 मीट्रिक टन से बढ़कर 300 मीट्रिक टन हो जाएगी अर्थात इसमें ढाई गुणा बढोत्तरी होगी। इसमें 800,000 करोड़ रुपये (128 बिलियन अमरीकी डॉलर) से अधिक का भारी निवेश होगा। मौजूदा अनुभव के आधार पर 2030-31 तक लगभग 25 बिलियन अमरीकी डॉलर (160,300 करोड़ रुपये) मूल्य की पूंजीगत वस्तु उपकरणों के आयात की उम्मीद है।
देश में इस्पात की खपत पिछले दो वर्षों के दौरान 7.9 प्रतिशत बढ़ी है। वर्ष 2018 के लिए विश्व इस्पात संघ के 8 महीने के इस्पात उत्पादन के आंकड़ों के अनुसार भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक देश बन गया है। भारत का इस्पात उत्पादन 6.7 की दर से बढ़ रहा है। इस प्रकार इसने दुनिया की प्रमुख अर्थव्यस्थाओं में सर्वाधिक बढ़ोत्तरी अर्जित की है। समझौता ज्ञापनों, संयुक्त उपकरणों, प्रौद्गिकी हस्तातंरण और समझौतों के तरीकों से बहुपक्षीय सहयोगी प्रयासों के माध्यम से भारत को वैश्विक विनिर्माण हब बनाने के आधार को व्यापक किया जा रहा है। इससे अधिकांश पूंजीगत वस्तु उपकरण देश में ही बनाये जा सकेंगे।
उद्घाटन सत्र के अलावा इस एक दिवसीय सम्मेलन में ‘इस्पात क्षेत्र के लिए वैश्विक अनुभव और पूंजीगत घरेलू वस्तुओं की क्षमता‘ और ‘घरेलू क्षमता विस्तार को प्रोत्साहित करना’ विषयों पर दो पैनल वार्ताएं आयोजित होंगी। जिनमें इस्पात उद्योग के दिग्गज, नीति निर्माता और विशेषज्ञ भारत में इस्पात उद्योग के लिए मुख्य मुद्दों, चुनौतियों और सरकारी सहायता के बारे में चर्चा करेंगे। इस सम्मेलन में पांच केन्द्रीय मंत्री, ओडिशा के मुख्यमंत्री, इस्पात मंत्रालय, भारी उद्योग विभाग के सचिव और केन्द्र तथा ओडिशा सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भाग लेंगे। इस सम्मेलन में भारतीय पूंजीगत वस्तुओं के निर्माता भी बड़ी संख्या में शामिल होंगे। भारतीय सीजी निर्माताओं, विदेशी प्रौद्योगिकी प्रदाताओं, विदेशी पूंजीगत वस्तु निर्माताओं, सलाहकारों और इस्पात निर्माताओं के मध्य 20 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये जाएंगे। विदेशी निर्माता लक्समबर्ग, स्पेन, इटली, जर्मनी, नीदरलैंड, फिनलैंड, चीन और जापान देशों से हैं। इन समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर होने से 5 बिलियन अमरीकी डॉलर मूल्य की आयातित पूंजीगत वस्तुओं का अगले 12 सालों के दौरान इस्पात क्षेत्र में मेक-इन-इंडिया अभियान के एक हिस्से के रूप में देश में निर्माण होगा। इस सम्मेलन में विश्व इस्पात संघ के 300 प्रतिनिधि और विदेशी प्रोद्योगिकी कंपनियों के 28 सीईओ भी भाग ले रहे हैं।