नई दिल्ली: वर्ष 1987 में गठित ‘आईएल एंड एफएस’ एक बड़ी प्रणालीबद्ध महत्वपूर्ण गैर-जमा स्वीकार्य कोर निवेश कंपनी (सीआईसी-एनडी-एसआई) है। इस कंपनी के पास असंख्य परिसम्पत्तियां है और इसने देश में बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के विकास और वित्त पोषण में अहम भूमिका निभाई है। वर्ष 2017-18 के आंकड़ों के अनुसार इस समूह में 169 कंपनियां हैं, जिनमें सहायक कंपनियां, संयुक्त उद्यम कंपनियां और सहयोगी निकाय शामिल हैं। ‘आईएल एंड एफएस’ समूह की कंपनियों द्वारा अगस्त और सितम्बर, 2018 के दौरान सावधि जमाओं, अल्पकालिक जमाओं, अंतर-कंपनी जमाओं, वाणिज्यिक प्रपत्र एवं गैर-परिवर्तनीय डिबेंचरों की अदायगी में अनेक बार चूक (डिफॉल्ट) की। यही नहीं, समूह की कुछ कंपनियों की रेटिंग घटाई गई और कुछ कंपनियां अन्य वित्तीय प्रपत्रों की भी अदायगी में विफल रहीं। इसका वित्तीय बाजारों पर व्यापक प्रतिकूल असर पड़ा, जिसके चलते इस तरह के वित्तीय प्रपत्रों को हासिल करने वाले म्यूचुअल फंडों पर विमोचन का दबाव बढ़ गया। इसका अत्यंत प्रतिकूल असर शेयर बाजारों, मुद्रा बाजारों और डेट बाजारों पर भी पड़ा। म्यूचुअल फंडों पर विमोचन के दबाव से व्यापक प्रणालीगत जोखिम उत्पन्न हो गया है। इससे गुणवत्तापूर्ण प्रपत्रों (पेपर) को भारी डिस्काउंट पर बेचने के लिए विवश होना पड़ रहा है, ताकि विमोचन की मांग को पूरा किया जा सके। डेट बाजार को लगे जबरदस्त झटके से शेयर बाजार भी प्रभावित हुये बिना नहीं रहा। इससे विशेषकर गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और एनबीएफसी के वित्त पोषण से जुड़े क्षेत्रों की कंपनियों के शेयरों की बिकवाली तेज हो गई।
‘आईएल एंड एफएस’ समूह की नवीनतम बैलेंस शीट के अनुसार इस समूह के पास 1,15,000 करोड़ रुपये से भी अधिक की ढांचागत एवं वित्तीय परिसम्पत्तियां हैं और इसे वर्तमान में भारी ऋण दबाव का सामना करना पड़ रहा है। ‘आईएल एंड एफएस’ समूह को लगभग 91,000 करोड़ रुपये के ऋणों की अदायगी के लिए जूझना पड़ रहा है, जो विगत में इसकी कुप्रबन्धित उधारियों का नतीजा है। सरकार वित्तीय प्रणाली से आईएल एंड एफएस के लिए आवश्यक तरलता सुनिश्चित करने हेतु पूरी तरह प्रतिबद्ध है, ताकि और ज्यादा डिफॉल्ट न हों और बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं का क्रियान्वयन सुचारू ढंग से हो।
पूंजी एवं वित्तीय बाजारों में वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए ‘आईएल एंड एफएस’ समूह की विश्वसनीयता एवं वित्तीय सुदृढ़ता में मुद्रा, डेट एवं पूंजी बाजारों, बैंकों और वित्तीय संस्थानों के विश्वास की बहाली अत्यंत आवश्यक है। इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि वित्तीय अदायगी में चूक (डिफॉल्ट) का सिलसिला तत्काल बंद हो। इसके लिए परिसम्पत्तियों की बिक्री, कुछ देनदारियों के पुनर्गठन और निवेशकों एवं ऋणदाताओं द्वारा वित्तीय प्रणाली में नई पूंजी डालने जैसे कई उपाय करने होंगे। ‘आईएल एंड एफएस’ समूह के प्रबंधन और कंपनी की विश्वसनीयता में वित्तीय बाजार के विश्वास को बहाल करने की जरूरत है।
सरकार ‘आईएल एंड एफएस’ समूह की उभरती स्थिति का विश्लेषण करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि इस समूह को वित्तीय दृष्टि से धराशायी होने से बचाने के लिए ‘आईएल एंड एफएस’ समूह के गवर्नेंस एवं प्रबंधन में बदलाव लाना आवश्यक है, जिसके लिए वर्तमान बोर्ड एवं प्रबंधन को तत्काल हटाने और नये प्रबंधन की नियुक्ति करने की जरूरत है।