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प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पाइप पेयजल आपूर्ति हेतु प्रस्तावित नीति-2018 के अन्तर्गत पर्याप्त शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के ठोस प्राविधान

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: राज्य सरकार ने प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों मेें पाइप पेयजल योजनाओं को अपेक्षित मानकों के अनुरूप संचालित एवं अनुरक्षण कर भरपूर मात्रा में शुद्ध, स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से संचालन एवं अनुरक्षण नीति-2018 प्रस्तावित की है। यह नीति प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों की सभी पाइप पेयजल योजनाओं पर लागू होगी।

यह जानकारी आज यहां अधिशाषी निदेशक पेयजल एवं स्वच्छता मिशन श्री सुरेन्द्र राम ने दी। उन्होंने बताया कि इस नीति के तहत ग्रामीण अंचलों में पेयजल आपूर्ति के लिए कई ठोस प्राविधान किये गये हैं।

पाइप पेयजल योजनाओं के हस्तान्तरण के उपरान्त पंचायतीराज संस्थाओं, संचालन समिति तथा संयुक्त संचालन समिति द्वारा लिये जाने वाले यूजर चार्जेज की न्यूनतम दर 31 अक्टूबर, 2014 को जारी शासनादेश के अनुसार 50 रूपये प्रतिमाह प्रति परिवार होगी। इसके अतिरिक्त आवश्यकतानुसार यूजर चार्जेज की बढ़ोत्तरी के लिए संबंधित संचालन समिति निर्णय लेगी।

पंचायतों द्वारा घरेलू कनेक्शन हेतु यूजर चार्जेज इस प्रकार से निर्धारित किये जायेंगे कि प्राप्त जल मूल्य से अनुरक्षणाधीन पाइप पेयजल योजना के संचालन हेतु स्टाफ, सामान्य मरम्मत, रसायन एवं बिजली के बिल के भुगतान हेतु आवश्यक धनराशि की व्यवस्था हो सके।

इसी प्रकार लघु पेयजल योजनाओं में स्टैण्डपोस्ट के माध्यम से जलापूर्ति किये जाने से लाभान्वित परिवारों से जल स्तम्भ शुल्क लिया जायेगा। इसका निर्धारण इस प्रकार किया जायेगा कि प्राप्त जल मूल्य से अनुरक्षणाधीन पाइप पेयजल योजना के संचालन हेतु स्टाफ, सामान्य मरम्मत, रसायन एवं बिजली के बिल के भुगतान हेतु आवश्यक धनराशि की व्यवस्था हो सके।

पेयजल योजनाओं के जल की गुणवत्ता परीक्षण के लिए जनपद स्तरीय प्रयोगशाला में भेजा जाना जरूरी होगा। इस पेयजल का कम से कम रंग, गन्ध, मैलापन, टीडीएस, क्लोरीन, नाइट्रेट, फ्लोराइड, आर्सेनिक, आयरन का परीक्षण किया जायेगा। यदि रासायनिक पैरामीटर के आधार पर पेयजल नमूना सही नही पाया  जाता है तो उस स्रोत के जल को पुनः दूसरे लैब में परीक्षण किया जायेगा। इसके बावजूद भी पेयजल में अशुद्धियां पायी जाती हैं, तो ऐसे स्थिति में उस स्रोत के पानी को पीने हेतु प्रतिबंधित कर दिया जायेगा। आपूर्ति किये जाने वाले पेयजल का क्लोरीनेशन सुनिश्चित किया जायेगा।

अधिशाषी निदेशक ने बताया कि प्रस्तावित नीति में पेयजल योजनाओं के अनुश्रवण एवं शिकायतों के निस्तारण की भी व्यवस्था की गई है। जिला पेयजल एवं स्वच्छता समिति द्वारा जनपद स्तर पर शिकायतों के निस्तारण हेतु एक कारगर तंत्र विकसित किया जायेगा। ग्राम पंचायत स्तर पर संचालन समिति/संयुक्त संचालन समिति द्वारा शिकायतों का निस्तारण किया जायेगा।

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