नई दिल्लीः केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (सीपीएसई) द्वारा आकांक्षी जिलों के विकास के लिए सीएसआर (कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व) कोष जुटाने पर आज एक सम्मेलन नीति आयोग और सार्वजनिक उद्यम विभाग (डीपीई) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में नीति आयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत, सार्वजनिक उद्यम विभाग में सचिव सुश्री सीमा बहुगुणा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव सुश्री प्रीति सूडान और स्कूल, शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (डीएसईएल) में सचिव सुश्री रीना रे सहित कई वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने भाग लिया। इसके अलावा, अनेक सीपीएसई की ओर से 150 से भी अधिक प्रतिभागियों ने आकांक्षी जिलों पर फोकस करने के लिए विस्तारपूर्वक विचार-विमर्श किया। इन प्रतिभागियों में अनेक चेयरमैन-प्रबंध निदेशक, सीएसआर के लिए कार्यात्मक निदेशक और अन्य पदाधिकारी भी शामिल थे।
आकांक्षी जिलों में व्यापक बदलाव सुनिश्चित करना दरअसल राज्य सरकारों की भागीदारी के साथ भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है जिसे नीति आयोग का विशेष सहयोग प्राप्त है। इस पहल के तहत उन 117 आकांक्षी जिलों में बड़ी तेजी से व्यापक बदलाव लाने के लिए संगठित प्रयास किए जा रहे हैं जिन्होंने स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा इत्यादि के क्षेत्र में अपेक्षाकृत कम प्रगति की है। इस सम्मेलन का विषय (थीम) विशेषकर स्वास्थ्य, पोषण एवं शिक्षा के क्षेत्र में आकांक्षी जिलों की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार सीपीएसई के सीएसआर कोष का कारगर उपयोग सुनिश्चित करना था। इस तरह के कदम का स्पष्ट असर दिखेगा क्योंकि इन उद्यमों का सीएसआर सालाना 3200 करोड़ रुपये से भी अधिक है।
इस सम्मेलन के दौरान आकांक्षी जिलों के इन क्षेत्रों में सीएसआर के बड़े हिस्से को लगाने के लिए एक विशिष्ट व्यवस्था करने पर विचार-विमर्श किया गया।
नीति आयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत ने अपने मुख्य संबोधन में कहा कि अपनी युवा आबादी से लाभ उठाने के लिए भारत को मानव विकास सूचकांक से जुड़े अपने नतीजों को निश्चित तौर पर बेहतर करना चाहिए। उन्होंने सीपीएसई के अधिकारियों को अपने प्रयासों को आकांक्षी जिलों, विशेषकर स्वास्थ्य एवं पोषण और शिक्षा के विषयगत क्षेत्रों पर केन्द्रित करने के लिए प्रोत्साहित किया। डीपीई में सचिव ने कहा कि सीएसआर परियोजनाओं के तहत की गई पहलों को जारी रखना चाहिए और इसके साथ ही इनके तहत परिचालन एवं रखरखाव के लिए आवश्यक सहयोग प्रदान किया जाना चाहिए।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव सुश्री प्रीति सूडान ने आयुष्मान भारत कार्यक्रम सहित स्वास्थ्य क्षेत्र में ऐसी विभिन्न गतिविधियों की अनुशंसा की जिनका वित्त पोषण सीएसआर द्वारा किया जा सकता है। डीएसईएल में सचिव सुश्री रीना रे ने कहा कि सीपीएसई को शिक्षा से जुड़ी बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं जैसे कि अवर प्राथमिक विद्यालयों को उच्च प्राथमिक विद्यालयों में तब्दील करने के लिए सहायता करने पर गौर करना चाहिए, जिससे मौजूदा बुनियादी ढांचे में कमी के कारण बीच में ही स्कूल की पढ़ाई छोड़ने वाले विद्यार्थियों के अनुपात को कम करने में मदद मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि बीच में ही पढ़ाई छोड़ने वाली बालिकाओं की संख्या में उल्लेखनीय कमी सुनिश्चित करने के एक विशेष उपाय के तहत सीएसआर का उपयोग बालिकाओं को साइकिल सुलभ कराने में किया जा सकता है। ओएनजीसी और ऑयल इंडिया के अधिकारियों ने सीएसआर कार्यक्रम के तहत की गई अपनी-अपनी विशिष्ट पहलों पर प्रस्तुतियां दीं और स्वास्थ्य एवं शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी कुछ परियोजनाओं के उल्लेखनीय असर पर रोशनी डाली।
इस दौरान आयोजित विभिन्न सत्रों के बाद एक खुली परिचर्चा आयोजित की गई, ताकि प्रतिभागियों की ओर से पूछे जाने वाले सवालों का जवाब दिया जा सके। सीपीएसई के अनेक अधिकारियों ने आकांक्षी जिलों के जिला प्रशासन एवं राज्य के साथ भागीदारी में कार्य किए जाने को अपना समर्थन दिया, ताकि स्वास्थ्य एवं पोषण और शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर नतीजे सामने आ सके। इस कार्यक्रम का समापन इस टिप्पणी के साथ हुआ कि सीपीएसई आकांक्षी जिलों में की जाने वाली पहलों को अपनी ओर से समर्थन प्रदान करने के लिए केन्द्रीय प्रभारी पदाधिकारियों और जिलाधिकारियों दोनों के ही साथ मिलकर योजनाएं तैयार करेंगे।