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द्वितीयक इस्‍पात क्षेत्र के लिए अवसर और चुनौतियों पर सम्‍मेलन का शुभारंभ किया

देश-विदेश

नई दिल्ली: केंद्रीय वित्‍त, कार्पोरेट मामले एवं सूचना और प्रसारण मंत्री श्री अरूण जेटली ने आज नई दिल्‍ली में ‘300 मिलियन टन के लिए रोड मैप : द्वितीयक इस्‍पात क्षेत्र के लिए अवसर और चुनौतियों’ पर एक सम्‍मेलन का शुभारंभ किया। इस अवसर पर केंद्रीय इस्‍पात और खान मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर और इस्‍पात और खान राज्‍य मंत्री श्री विष्‍णु देव सांई, इस्‍पात सचिव श्री राकेश सिंह और अन्‍य गणमान्‍य व्‍यक्‍तित्‍व भी उपस्थित थे।

देश भर के द्वितीयक इस्‍पात निर्माताओं के अलावा सरकार के प्रतिनिधियों के साथ इस प्रथम सम्‍मेलन का आयोजन इस्‍पात मंत्रालय द्वारा संयुक्‍त संयंत्र समिति और भारतीय वाणिज्‍य और उद्योग संघ के सहयोग से विज्ञान भवन में आयोजित किया गया है। केंद्रीय वित्‍त, कार्पोरेट मामले एवं सूचना और प्रसारण मंत्री मंत्री श्री अरूण जेटली ने मुख्‍य अतिथि के तौर पर उद्घाटन सत्र की अध्‍यक्षता की।

इस्‍पात मंत्रालय की इस पहल की सराहना करते हुए केंद्रीय वित्‍त, कार्पोरेट मामले एवं सूचना और प्रसारण मंत्री मंत्री श्री अरूण जेटली ने अपने उद्घाटन संबोधन में देश में इस्‍पात वृद्धि पर खुशी जताई। उन्‍होंने कहा कि इस्‍पात जीवन की गुणवत्‍ता के साथ जुड़ा है। उन्‍होंने कहा कि ऐसा कोई भी विज्ञान नही है जो इस्‍पात क्षेत्र की वृद्धि का पूर्वानुमान लगा सके। अंतर्राष्‍ट्रीय बाजार की अनिश्‍चितता से भारतीय इस्‍पात निर्माताओं द्वारा सामना की जा रही चुनौतियों का उल्‍लेख करते हुए श्री जेटली ने इस्‍पात निर्माताओं से अपनी स्‍वयं की प्रतिस्‍पर्धात्‍मक शक्‍ति के द्वारा ऐसी चुनौतियों से सक्षम रूप से निपटने की अपील की। उन्‍होंने कहा कि इस्‍पात निर्माताओं को बुनियादी कारणों का समाधान करते हुए अपनी प्रतिस्‍पर्धात्‍मकता में सुधार लाना चाहिए। वित्‍त मंत्री ने श्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर और खान मंत्रालय को एमएमडीआर संशोधन अधिनियम 2015 के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं जो कानून में संशोधन की दिशा में एक महत्‍वपूर्ण पहल थी। उन्‍होंने सभी प्रतिभागियों से वर्तमान सरकार की व्‍यापार अनुकूल नीतियों का उपयोग करने का आहवान किया और श्री नरेनद्र तोमर के सक्षम नेतृत्‍व के प्रति विश्‍वास जताया।

इस्‍पात और खान मंत्री श्री तोमर ने अपने संबोधन में इस्‍पात उद्योग में रोजगार सृजन और विकास संभावनाओं का उल्‍लेख करते हुए भारत के वर्तमान इस्‍पात उत्‍पादन 110 मिलियन टन से 300 मिलियन टन तक ले जाने की उम्‍मीद जताई जो प्रमुख इस्‍पात कंपनियों के अलावा द्वीतियक इस्‍पात निर्माताओं की समान सहभागिता के बिना संभव नहीं है। श्री तोमर ने कहा बर्नपुर और राउलकेला के इस्‍पात संयंत्रों में हाल के प्रधानमंत्री के दौरा, विशेष प्रयोजन वाहन तरीके के माध्‍यम से समेकित इस्‍पात संयंत्रों के गठन के लिए छत्‍तीसगढ़ और झारखंड के बीच हस्‍ताक्षर किए गये समझौते पत्र के दौरान उनकी उपस्‍थिति, और द्वितीयक इस्‍पात निर्माताओं के अखिल भारतीय सम्‍मेलन में वित्‍त मंत्री की उपस्‍थिति यह दर्शाती है कि वर्तमान सरकार ‘मेक इन इंडिया’ पहल के प्रति पूरे हदय से वचनबद्ध है। उन्‍होंने द्वितीयक इस्‍पात निर्माताओं को सरकार की सहायता के प्रति आश्‍वस्‍त भी किया और इस्‍पात क्षेत्र के दीर्घकालिक विकास, रोजगार अवसरों के सृजन, उत्‍पादन में वृद्धि के लिए मार्ग तलाशने और इस क्षेत्र से जुड़ी चिंताओं का बातचीत के माध्‍यम से समाधान निकालने के लिए सहभागियों का उत्‍साहवर्धन भी किया।

इस्‍पात और खान राज्‍य मंत्री श्री विष्‍णु देव सांई ने दोहराया कि इस्‍पात उत्‍पादक भारत सरकार के 300 मिलियन टन के स्‍वप्‍न को साकार करने के लिए महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएगें। इस्‍पात सचिव श्री ने देश में प्राथमिक और द्वितीयक दोनों तरह के इस्‍पात निर्माताओं के लिए भारत सरकार की पेशकश की चर्चा की। उन्‍होंने कहा कि भारत की वृद्धि को देखते हुए नये एमएमडीआर कानून के माध्‍यम से कच्‍चे माल की उपलब्‍धता को आसान कर दिया गया है।

इस्‍पात किसी भी आधुनिक अर्थव्‍यवस्‍था का आधार है। इस्‍पात का प्रति व्‍यक्ति उपभोग स्‍तर प्राय: आर्थिक विकास के स्‍तर एक महत्‍वपूर्ण सूचकांक माना जाता है। भारत में इस्‍पात उत्‍पादन तेजी से बढ़ रहा है और पिछले दस वर्षों में दुगुना होकर 2004-05 के 43.44 मिलियन टन से बढ़कर 2014-15 में 88.12 मिलियन टन पर पहुंच गया है। वर्तमान में इस्‍पात उद्योग देश के सकल घरेलू उत्‍पाद में करीब 2 प्रतिशत का योगदान करता है।भारत अंतर्राष्‍ट्रीय इस्‍पात मानचित्र पर मुख्‍य भूमिका निभाता है और इसमें दुनिया में तीसरे सबसे बड़े इस्‍पात उत्‍पादक का दर्जा हासिल करके अमरीका को पीछे छोड़ दिया था। अगले 10 वर्षों में भारत में इस्‍पात उत्‍पादन के वर्तमान 110 मिलियन टन से 3 गुना बढ़कर 300 मिलियन टन तक पहुंचने की संभावना है। दुनियाभर में भारत में इस्‍पात उत्‍पादन व्‍यापक रूप से बेसिक अयस्‍क का उपयोग करते हुए तैयार किया जाता है। हालांकि भारत ने इस्‍पात के उत्‍पादन के लिए इसका येागदान सिर्फ 45 प्रतिशत के करीब है और 55 प्रतिशत अधिकांश इस्‍पात इन हाउस अथवा खरीद कर लिए गए इस्‍पात कचरे का उपयोग करते हुए इलेक्ट्रिक इस्‍पात से तैयार किया जाता है। हालांकि इनमें से कुछ इकाइयां काफी बड़ी हैं जो कई मिलियन टन का उत्‍पादन करती हैं लेकिन अधिकांश इकाइयां छोटी हैं और ये प्रतिवर्ष कुछ हजार टन से कुछ लाख टन का उत्‍पादन करती हैं इन्‍हें लघु इस्‍पात संयंत्रों के तौर पर जाना जाता है। इनमें अधिकांश इलेक्ट्रिक इंडक्‍शन फर्नेंस और इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेंस हैं। भारत इस्‍पात निर्माण में विशिष्‍ट स्थित रखता है यहां करीब 32 प्रतिशत इस्‍पात इलेक्ट्रिक इंडक्‍शन फर्नेंस में तैयार किया जाता है। भारत प्रतिवर्ष करीब 24 मिलियन टन के स्‍पांज लौह का भी सबसे बड़ा उत्‍पादक है। इस्‍पात उत्‍पादकों के अलावा यहां पर स्‍टील री-रोलिंग मिल्‍स, कोल्‍ड रोलिंग मिल्‍स, गैलवेंजिन इकाइयां और कलर कोटिंग इकाइयों के रूप में बड़ी संख्‍या में इस्‍पात प्रसंस्‍करण इकाइयां हैं। यह पहला मौका है जबकि द्वितीयक इस्‍पात क्षेत्र के लिए एक व्‍यापक सम्‍मेलन का आयोजन फिक्‍की और जेपीसी के साथ इस्‍पात मंत्रालय संयुक्‍त रूप से कर रहा है। इस सम्‍मेलन का उद्देश्‍य द्वितीयक इस्‍पात क्षेत्र को न सिर्फ लक्ष्‍य तक पहुंचाना बल्कि इस क्षेत्र के समक्ष आने वाली सभी चुनौतियों का सामना करते हुए उद्यमियों के प्रमुख मुद्दों का समाधान भी तलाशना है। इस सम्‍मेलन में जानी-मानी कंपनियों के मुख्‍यकार्यकारी अधिकारियों और मुख्‍य प्रबंध निदेशकों के साथ-साथ स्‍पांज आयरन मैन्‍यूफैक्‍चर्स एसोसिएशन, ऑल इंडिया इंडक्‍शन फर्नेंस एसोसिएशन, स्‍टील फर्नेंस एसोसिएशन ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया स्‍टील री-रोलर्स एसोसिएशन, स्‍टील री-रोलिंग मिल्‍स एसोसिएशन, सिहौर स्‍टील री-रोलिंग मिल्‍स एसोसिएशन, स्‍टील वायर मैन्‍यूफैक्‍चर्स एसोसिएशन आफ इंडिया भाग ले रहे हैं। यह सम्‍मेलन द्वितीयक क्षेत्र के इस्‍पात उत्‍पादकों के लिए एक अच्‍छा मंच साबित होगा जिसके माध्‍यम से वे अवसरों का लाभ उठाते हुए अपने समक्ष् आने वाली चुनौतियों पर व्‍यापक रूप से विचार विमर्श कर सकेंगे। यह सम्‍मेलन इस्‍पात मंत्रालय की देश में द्वितीयक इस्‍पात उत्‍पादकों के साथ संबंधों की मजबूत की भी प्रतिबद्धता जताता है।

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